आतंकी हमले के एक दिन बाद पाकिस्तान ने अपने कब्जे में BSF जवान पूर्णव साव फोटू किया जारी, जवान की प्रेग्नेंट पत्नी बोली- चुप नहीं रहूंगी, पति को वापस लाए भारत सरकार; अब क्या हैं विकल्प..



हुगली....पहलगाम में आतंकी हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को पाकिस्तानी रेंजर्स ने दो फोटो जारी कीं। दावा किया कि उन्होंने एक BSF जवान पूर्णव कुमार साव को पकड़ा है। पहली फोटो में जवान पेड़ के नीचे खड़ा है और उसकी राइफल, पानी की बोतल, बैग जमीन पर पड़ा है। दूसरी फोटो में जवान की आंखों पर पट्‌टी बंधी है।

पूर्णव पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में रहते हैं। गांव का नाम रिसड़ा है। पूर्णव की रिहाई के लिए BSF तीन बार फ्लैग मीटिंग बुला चुकी है, लेकिन पाकिस्तान ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। एक मीडिया हाउस से बात करते हुए पूर्णव की पत्नी रजनी ने कहा कि मैं हमेशा के लिए बैठकर इंतजार नहीं कर सकती। इतना वक्त बीत गया, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। अगर मुझे मदद नहीं मिली, तो मैं दिल्ली जाऊंगी और PMO से जवाब मांगूंगी।’

पाकिस्तानी रेंजर्स ने पूर्णव की ये फोटो जारी की है। इसमें उनकी राइफल, गोलियों से भरी मैगजीन, पानी की बोतल और बैग दिखाई दे रहा है।

‘टीवी पर न्यूज देखी तो पता चला, पूर्णव पाकिस्तान के कब्जे में है’
पूर्णव के परिवार में मां देवंती देवी, पिता भोलानाथ, पत्नी रजनी, भाई श्याम सुंदर हैं। पूर्णव को BSF जॉइन किए 17 साल हो गए, लेकिन पहली बार परिवार डरा हुआ है। इसकी वजह पहलगाम हमले के बाद बना माहौल और भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ी तल्खी है।

इस बीच मिडिया पूर्णव के घर पहुंचा। उनकी पत्नी रजनी प्रेग्नेंट हैं। उनकी तबीयत खराब है, इसलिए वे बिस्तर पर लेटी हुई थीं। माता-पिता बात नहीं करना चाहते थे। हमने पूर्णव के बड़े भाई श्याम सुंदर से बात की। उनसे पूछा कि पूर्णव के पाकिस्तान की कस्टडी में होने की खबर कैसे मिली?

श्याम जवाब देते हैं, ‘मेरे एक दोस्त का फोन आया था। उसने कहा कि टीवी पर पूर्णव की खबर चल रही है। मैंने टीवी ऑन की, तो देखा कि उसे पाकिस्तान के रेंजर्स ने पकड़ लिया है। हम बहुत घबरा गए। BSF या सरकार की तरफ से कोई बात नहीं की गई।'

'अगले दिन हमारे समाज के अध्यक्ष विजय मिश्रा ने सांसद कल्याण बनर्जी से बात की। कल्याण बनर्जी ने मुझे कॉल किया। उन्होंने कहा कि पूर्णव को भारत लाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से बात की है।’

श्याम आगे कहते हैं, ‘मैंने भाई की फोटो देखी, तो बहुत दुख हुआ। उसके हाथ बंधे हुए थे। आंखों पर पट्टी थी। इसी हालत में उसे पाकिस्तान ले गए। पहले तो लगा कि उसे मार दिया होगा, लेकिन भगवान के आशीर्वाद से वो जिंदा है।'

‘मैंने उसके दोस्त से बात की थी। उसने बताया कि पूर्णव ड्यूटी पर था। उसकी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वो आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया। वहीं उसकी नींद लग गई। तभी पाकिस्तानी रेंजर आए और उसकी राइफल छीन ली। उसे अपने साथ ले गए।'

‘पहलगाम में जो हुआ, उससे मैं बहुत परेशान था। पूरे देश को इसका दुख है। उम्मीद नहीं थी कि मेरे भाई के साथ ऐसा हो जाएगा। हमें बताया गया है कि रिहाई के लिए बातचीत चल रही है। केंद्र और राज्य सरकार कोशिश कर रही हैं। उम्मीद है कि वो सुरक्षित वापस आएगा।'

पत्नी बोलीं- सरकार पति को वापस लाए
पूर्णव की पत्नी रजनी पति की रिहाई के लिए सरकार और BSF से अपील कर रही हैं। अफसरों से बात करने के लिए फिरोजपुर और दिल्ली जाने की तैयारी कर रही हैं।

हमने उनसे बात करने की कोशिश की। वे कैमरे पर बात नहीं करना चाहती थीं। ऑफ कैमरा बताती है, 'मैंने उनसे (पूर्णव) आखिरी बार मंगलवार को रात 1 बजे बात की थी। बुधवार सुबह करीब 6 बजे उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ लिया। मैं भारत सरकार से अपील करती हूं कि उन्हें सुरक्षित वापस लाए।'

पूर्णव के भतीजे राहुल बताते हैं, ‘चाचा आखिरी बार होली पर घर आए थे। 31 मार्च को पठानकोट लौट गए थे। उन्होंने बहुत कम उम्र से काम करना शुरू कर दिया था। परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं पर है। पिता ई-रिक्शा चलाते हैं। चाचा की खबर सुनने के बाद से सदमे में हैं।’

किसानों की सिक्योरिटी के लिए गए थे, गलती से बॉर्डर पार चले गए
पूर्णव फिरोजपुर के पास बॉर्डर पर जीरो लाइन के जिस एरिया में तैनात थे, वहां अभी गेहूं की कटाई चल रही है। किसानों के खेत बॉर्डर की फेंसिंग पर लगे गेट नंबर-208/1 के पास हैं। बॉर्डर पर कांटेदार फेंसिंग है, लेकिन कुछ खेत फेंसिंग के पार भी हैं। उन्हें BSF की निगरानी में तय वक्त के लिए खेतों में जाने की परमिशन मिलती है।

गर्मियों में किसान सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खेतों में काम कर सकते हैं। यहां ड्यूटी पर तैनात BSF जवानों को किसान गार्ड कहा जाता है।

23 अप्रैल को किसानों की निगरानी के लिए BSF के दो जवान भेजे गए थे। इनमें पूर्णव भी थे। वे गलती से इंटरनेशनल बॉर्डर पार कर पाकिस्तान वाले एरिया में चले गए। तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया। उसी दिन पूर्णव की फोटो जारी की।

बताया जाता है कि पूर्णव तबियत खराब होने की वजह से एक पेड़ के नीचे बैठ गए थे। इसी दौरान पाकिस्तानी रेंजर्स से उन्हें पकड़ लिया।

इस बारे में पता चलते ही BSF ने पूर्णव की रिहाई के लिए कोशिश शुरू कर दी। वे तुरंत मौके पर पहुंचे और पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ बातचीत की। हालांकि 4 दिन बाद भी पाकिस्तान ने पूर्णव को नहीं छोड़ा है। BSF और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच तीन बार फ्लैग मीटिंग हो चुकी है, लेकिन कोई पॉजिटिव रिजल्ट नहीं निकला।

इस घटना के बाद से ही भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात सभी यूनिट्स को हाई अलर्ट पर रखा गया है। BSF के DG दलजीत चौधरी होम सेक्रेटरी को पूर्णव की वापसी के लिए की जा रहीं कोशिशों का अपडेट दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने भी साफ किया है कि जवान की वापसी में किसी भी तरह की देरी को गंभीरता से लिया जाएगा और जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

पहलगाम अटैक के बाद माहौल बिगड़ा, आगे क्या हो सकता है…

BSF के अफसरों ने पाकिस्तानी रेंजर्स को बताया कि पूर्णव कुमार साव हाल में ट्रांसफर होकर आया है। उसे इस एरिया और जीरो लाइन के बारे में सटीक जानकारी नहीं थी। इस वजह से वो अनजाने में बॉर्डर पार कर गया। भारतीय अफसरों ने तुरंत जवान की रिहाई की मांग की, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे छोड़ने से इनकार कर दिया।

सोर्स बताते हैं, ‘पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ गई है। इस वजह से पाकिस्तान BSF जवान को लौटाने में आनाकानी कर रहा है।'

पाकिस्तान इस मौके का फायदा उठाकर प्रेशर बनाने की कोशिश कर रहा है। भारत जवान की रिहाई के लिए पाकिस्तानी रेंजर्स के साथ फील्ड कमांडर लेवल की मीटिंग के लिए बात कर सकता है।

क्या है जीरो लाइन.....
जीरो लाइन भारत और पाकिस्तान के बीच इंटरनेशनल बॉर्डर पर बिल्कुल बीचोंबीच मानी जाती है। ये लाइन असल में जमीन पर दिखाई नहीं देती, लेकिन सिक्योरिटी फोर्सेज के लिए बहुत अहम होती है।

BSF और पाकिस्तान रेंजर्स दोनों को पता होता है कि जीरो लाइन के इस पार और उस पार कौन है। इस लाइन को गलती से भी पार करना, गंभीर मामला माना जाता है। BSF और पाकिस्तान रेंजर्स को जीरो लाइन के पास तो गश्त करने का अधिकार है, लेकिन उसे पार करने की मनाही है। यहां सीमित वक्त में किसानों को खेती करने की परमिशन दी जाती है।

जीरो लाइन पर काम करने वाले किसानों की सुरक्षा के लिए BSF के जवान तैनात किए जाते हैं। पूर्णव भी यही ड्यूटी कर रहे थे। (इण्डिया न्यूज प्लस)

अगर गलती से कोई जवान जीरो लाइन पार कर ले तो उसे कस्टडी में ले लिया जाता है। इसके बाद दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग बुलाई जाती है। जवान के गलती से जाने की वजह बताई जाती है। अगर ये साफ हो जाए कि उसकी दुश्मनी की मंशा नहीं थी, तो जवान को सांकेतिक चेतावनी देकर वापस भेज दिया जाता है।

अगर कोई आम आदमी जीरो लाइन पार करता है, तो उससे पूछताछ और रिहाई का भी प्रोटोकॉल होता है। कुछ मामलों में जासूसी या घुसपैठ का आरोप भी लगाया जा सकता है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हो, तो जवान या नागरिक को तुरंत लौटाने के बजाय लंबी पूछताछ की जाती है।

पहले भी गलती से सीमा पार गए हैं जवान
ऐसा कई बार हुआ है कि BSF या भारतीय सेना का कोई जवान गलती से जीरो लाइन पार कर गया हो और उसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ लिया हो। बाद में उन्हें रिहा भी कर दिया गया। ऐसे कुछ बड़े मामले जान लीजिए…

साल: 2016.....
पठानकोट हमले के बाद
BSF का एक जवान गलती से जम्मू सेक्टर में इंटरनेशनल बॉर्डर पार कर गया था। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे पकड़ लिया। फ्लैग मीटिंग के बाद साबित हो गया कि जवान ने गलती से सीमा पार की थी। उसे 24 घंटे के अंदर लौटा दिया गया।

साल: 2020....
एक और BSF जवान गश्त के दौरान फेंसिंग के पार चला गया। पाकिस्तान रेंजर्स ने उसे हिरासत में ले लिया। कुछ घंटों की बातचीत और जांच के बाद उसे सुरक्षित भारत को सौंप दिया गया।

अब तक ज्यादातर मामलों में गलती से सीमा पार गए जवानों को पाकिस्तानी रेंजर्स ने लौटा दिया है। कुछ मामलों में पाकिस्तान ने जवान को लंबे समय तक हिरासत में रखा या तुरंत रिहाई से इनकार कर दिया। ऐसा खासतौर से तभी हुआ जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा हो।

2011 में BSF का एक जवान गलती से सीमा पार कर गया था। पाकिस्तान ने उसे करीब 10 दिन तक हिरासत में रखा। बाद में फ्लैग मीटिंग और राजनयिक दबाव के बाद उसे रिहा किया गया। हालांकि ऐसा कभी नहीं हुआ कि पाकिस्तान ने किसी BSF जवान को हमेशा के लिए कैद कर लिया हो या गायब कर दिया हो।

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