अशोका इंस्टीट्यूट में छात्रो को दी जाएगी ड्रोन टेक्नोलॉजी की शिक्षा

जनपद वाराणसी के पहड़िया स्थित अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट में जल्द ही ड्रोन टेक्नोलॉजी का लाभ छात्रों को मिलने जा रहा है । इसके लिए अशोका इंस्टीट्यूट ने चेन्नई की ड्रोन कंपनी  गरुण एअरोस्पेस लिमिटेड के साथ अनुबंध किया । ड्रोन एकेडमी के हेड डॉ0 जी मारुति यादव और सीनियर एसोसिएट डा0 एस अरविंद सीनी और अशोका इंस्टीट्यूट के चेयरमैन ई0 अंकित मौर्य ने अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किया है । यह जानकारी अशोका इंस्टीट्यूट के चेयरमैन ई0 अंकित मौर्य, वाइस चेयरमैन डॉ0 अमित मौर्य, डायरेक्टर डॉ0 सारिका श्रीवास्तव ने दी । ट्रेनिंग एण्ड प्लेसमेंट के ओपी शर्मा ने कहा छात्रों के लिए जॉब के नए अवसर मिलेंगे । 
अशोका इंस्टीट्यूट छात्रों को ड्रोन टेक्नोलॉजी का प्रमाण पत्र प्रदान करेगा साथ ही छात्रों के लिए माईनर डिग्री के लिए शिक्षा कोर्स प्रारंभ किया जाएगा । पूर्वांचल के युवा आने वाले समय में इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से ड्रोन का उद्योग स्थापित कर सकते हैं। इन दिनों विश्व में ड्रोन का बाजार काफी तेजी से बढ रहा है । गरुण एयरोस्पेस भारत का ड्रोन यूनिकार्न, स्टार्ट अप ड्रोन को आकार दे रहा है साथ ही यह भारत की कृषि के लिए एक वरदान साबित हो रहा है । दोनों पक्ष साझेदारी की भावना और पारदर्शिता के साथ अनुसंधान और विकास,सेवा और रखरखाव एवं शिक्षाविदों में सलाहकार की भूमिका के साथ ड्रोन टेक्नोलॉजी के उच्च स्तर का प्रशिक्षण छात्रों को देेंगे ।    
 देश की सुरक्षा में इसके इस्तेमाल से सरहद से लेकर खेती और किसानी में बहुत तेजी से बदलाव देखे जा रहे हैं फसलों की पैदावार कम समय में ज्यादा की जा रही है एक अकेला किसान इसके माध्यम से खेतों की निगरानी खाद ,पानी का छिड़काव एवं फसलों में लग रहे रोगों की रोकथाम कर फसलों की ज्यादा पैदावार कर रहा है । 
 सेना में इसका इस्तेमाल घायल सैनिकों को युद्ध के मैदान से अस्पताल तक कम समय में सुरक्षित लाने व लेजाने में किया जा रहा है, छोटे व हल्के ड्रोन जिसका पेलोड 100 किलो से लेकर 130 किलो भार उठाने में सक्षम होने के कारण युद्ध के मैदान में रसद एवं गोला बारुद को दुश्मन की नजर से बचाते हुए दिन या रात किसी भी समय मौके पर सुरक्षित पहुंचाने में मदद मिलेगी। आने वाले समय में पारंपरिक युद्ध की जगह ड्रोन ले रहे हैं इस क्रांति से सैनिकों की कुर्बानियों को कम किया जा सकता है यह दुर्गम पहाडियों की ऊॅची चोटियों पर फंसे सैनिकों व ,नदियों और समुद्र के तटों की रक्षा के लिए सैनिकों की कफी मदद करेगा । 
 हमारे देश में इस टेक्नोलॉजी पर काफी तेजी से काम हो रहा है लगभग हर सेक्टर में इसकी जरुरत महसूस की जा रही है ड्रोन टेक्नोलॉजी को उन्नत करने के लिए लगातार रिसर्च चल रहे हैं । शुरुआत में यह अनुबंध तीन वर्ष के लिए लागू रहेगा उसके बाद दोनों पक्षों की अपसी सहमति से इसके कार्यकाल को बढाया जा सकेगा एमओयू के तहत अशोका इंस्टीट्यूट गरुण एयरोस्पेस के लिए सिविल ,इलेक्ट्रिकल और कंप्युटिंग सुविधाएं प्रदान करेगा।

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