13 दिसम्बर को निजीकरण विरोध दिवस मनाएंगे बिजली कर्मचारी, कर्मचारियों का जानिए क्या है आरोप


यूपी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी और अभियंता 13 दिसंबर को निजीकरण विरोधी दिवस मनाएंगे। कार्यालय समय के उपरांत समस्त जनपदों, परियोजनाओं एवं राजधानी लखनऊ में सभा करेंगे।
संघर्ष समिति का आरोप है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन अनावश्यक तौर पर निजीकरण का निर्णय लेकर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है। बिजली कर्मचारी शांतिपूर्वक बिजली व्यवस्था बेहतर बनाने में लगे हुए थे, लेकिन अब प्रबंधन इसे पटरी से उतार देने पर तुला हुआ है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पीके दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल आदि ने संयुक्त बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार के रहते हुए सबसे ज्यादा सुधार बिजली व्यवस्था में हो रहा है।
बिजली कर्मचारी और अभियंता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बिजली व्यवस्था के सुधार में लगातार लगे हुए हैं, लेकिन पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने अचानक प्रदेश के 42 जनपदों में बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा कर बिजली कर्मियों को उद्वेलित कर दिया है।  
अनावश्यक रूप से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बना दिया है । बिजली कर्मी अभी भी पूरी मेहनत से कार्य कर रहे हैं और निजीकरण के विरोध में  सभी ध्यानाकर्षण कार्यक्रम कार्यालय समय के उपरांत कर रहे हैं,  जिससे बिजली व्यवस्था पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े और उपभोक्ताओं को कोई दिक्कत ना हो।
 संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने  कहा कि  दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से वर्ष 2023- 24 में प्रति यूनिट 4.47 रुपया मिल रहा है जबकि निजी क्षेत्र की टोरेंट कंपनी से आगरा शहर में पावर कारपोरेशन को मात्र  4.36 रुपए प्रति यूनिट मिला है।
यह आंकड़े साफ तौर पर बता रहे हैं की ग्रामीण क्षेत्र और चंबल के बीहड़ रहते हुए भी दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से पावर कारपोरेशन को अधिक पैसा मिल रहा है। टोरेंट को बिजली देने में पावर कारपोरेशन को घाटा हो रहा है ।फिर भी निजीकरण के ऐसे विफल प्रयोग को पावर कार्पोरेशन प्रबंधन किस कारण से उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर थोपना चाहता है।।
 समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की  अरबों रुपए की बेशक कीमती जमीन  किस आधार पर मात्र एक रुपए में निजी घरानों  को सौंप दी जाएंगी। यह जनता की  परिसंपत्ति है। 
इसके अतिरिक्त अरबों खरबों रुपए की परिसंपत्तियों और कार्यालयों को बिना परिसंपत्तियों का मूल्यांकन किए किस आधार पर और कितने रुपए में निजी कंपनी को बेचने की तैयारी है ? इन सब बातों से बिजली कर्मचारी और उपभोक्ता बहुत अधिक परेशान और उद्वेलित है। इसीलिए शांति पूर्ण ढंग से ध्यानाकर्षण कार्यक्रम किए जा रहे हैं।

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