सायंकाल के समय पूरे विधि-विधान के साथ छठ मैया का पूजनोत्सव अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देने के साथ शुरू हो गया


जौनपुर। गोमती के पावन तट पर आज गुरुवार को छठ मैया का पूजन करने वाली व्रती महिलाएं 36 घंटे कठिन नियमों का पालन करते हुए जनपद मुख्यालय स्थित विसर्जन घाट पर स्नान करने के पश्चात पानी में खड़े होकर अस्ताचल भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर प्रणाम करते छठ पूजन की शुरुआत किया है जिसका समापन कल यानी 08 नवंबर को प्रातःकाल उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ किया जायेगा।
छठ मैया के पूजन हेतु व्रती महिलाएं 24 घंटे से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखकर व्रत रहती है चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत मंगलवार को नहाय खाय के साथ हो गई थी आज गुरुवार 07 नवंबर को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात ही 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही इसका समापन होगा। सूर्यदेव की उपासना के इस पर्व की पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती है ऐसी मान्यता है।
व्रती महिलाएं अपने परिजनो के साथ बांस के बने टोकरी में दीपक अगरबत्ती, कुम कुम चंदन ,धूप अगरबत्ती ,फूल ,पान सोपारी , शहद , हल्दी , मूली ,नारियल ,अक्षत , शरीफा ,केला, नाशपाती आदि फल फूल साथ ही मिठाई घी ,गुड , सिंदूर , गन्ना , शकर कंद आदि तमाम पूजन सामग्रियों के साथ भगवान भाष्कर को व्रती महिलाएं शाम और सुबह के समय जल में कमर तक खड़ी होकर अर्घ्य देती है।
जनपद मुख्यालय स्थित विसर्जन घाट से लेकर जोगियापुर घाट, हनुमान घाट, अचला देवी घाट, जफराबाद घाट सहित गोमती के किनारे दर्जनो स्थान पर ग्रामीण क्षेत्रो में भी व्रती महिलाओ का भीषण जमावड़ा लगा रहा। इतना ही नहीं जहां पर नदी नही है उन इलाको में पोखरा एवं आदि जलासयों पर पहुंचकर महिलाओ ने अपने परिवार के सुख और समृद्धि के लिए पूजन अर्चन करते हुए डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजनोत्सव का शुरूआत कर दिया है।
शहर से लेकर गांव तक की महिलायें अपने घरो से पैदल चलकर छठी मैया का गीत गाते हुए नदी और अन्य जलासयों के किनारे पहुंची। सुरक्षा व्यवस्था और साफ-सफाई आदि की जिम्मेदारी खुद जिला प्रशासन संभाले हुए था। नगरीय क्षेत्र में सफाई की जिम्मेदारी नगर पालिकायें संभाल रही थी तो ग्रामीण क्षेत्र में यह दायित्व ग्राम सभाओ को दिया गया था। इसके साथ ही सुरक्षा का प्रबंध भी किया गया था ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

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