जानिए सीएम योगी ने आखिर क्यों कहा "सौ पढ़ा न एक प्रतापगढ़ा",जो पढ़ा वो दइवो से बड़ा"
इस माह में लोग कथा का श्रवण आंवले के बाग में करते हैं। आप लोग सौभाग्यशाली हैं कि सुरम्य वातावरण में श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण का सौभाग्य मिला। भागवत ज्ञान व वैराग्य की कथा है। जहां तक ज्ञान की बात की जाए तो सौ पढ़ा न एक प्रतापगढ़ा, और जो पढ़ा, वो दइवो से बड़ा। जहां भी कहीं भी प्रतापगढ़वासी रहे हैं, अपनी छाप छोड़ी है। सभी को प्रतापगढ़ व देश हित में कार्य करने की आवश्यकता है। यह बातें बृहस्पतिवार को पट्टी के करमाही में हो रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहीं।
उन्होंने कहा कि यूपी में 75 जिले हैं लेकिन किसी ने भी अमृत फल को अपने जनपद का फल नहीं बनाया लेकिन प्रतापगढ़ ने आंवले को जनपद का फल बनाया। सभी को भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।आगे कहा कि श्रीमद्भागवत कथा की वास्तविकता हम सबको प्रमाणित करती है। श्रीमद्भागवत पुराण को मोक्ष ग्रंथ भी माना गया है।
लोग मोक्ष का अर्थ मुक्ति से मानते हैं लेकिन उससे विराट इसका महत्व है। बालक, युवा, गृहस्थ, साधक एवं बुजुर्ग की प्रकृति के अनुरूप उसके कार्य क्षेत्र में सफलता का मार्ग प्रशस्त हो सके, वहीं मोक्ष है। पांच हजार साल पहले कथा को सुनने का सौभाग्य शुक तीर्थ में परीक्षित को हुआ। पांच हजार वर्षों से यह सिलसिला अनवरत चला आ रहा है। कथा कोटि-कोटि लोगों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
पावन मास में करमाही के सुरम्य स्थल पर ऐसा लग रहा है, जैसे यहां शुक तीर्थ स्थापित कर दिया हो। हमारा सौभाग्य है कि शुक तीर्थ के पुर्नोद्धार का मौका हमारी सरकार में हमें मिला। शुक तीर्थ से गंगा की धारा कई किमी दूर जा चुकी थी लेकिन उस समय शुक तीर्थ में गंगा की धारा को वहां दोबारा लाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
बताया कि हमारे यहां जो युगों की कल्पना की गई है उसके अनुसार तीसरे युग द्वापर में श्रीमद्भागवत कथा की कल्पना की गई। इसके बाद चौथे युग कलयुग में इसकी शुरुआत हुई। पांच हजार साल से कथा के श्रवण का साैभाग्य प्राप्त हो रहा है। कोटि-कोटि धर्मावलंबी इससे अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। इससे पहले भी धर्म संस्कृति थी, जिसका प्रमाण हमें आज भी प्रस्तुत करना पड़ता है। इसके पीछे कई कारण हैं, हमें इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
सनातन धर्म सशक्त है तो विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। कथा व्यास हमेशा धर्म की जय बोलते हैं। उसके साथ ही विश्व कल्याण, प्राणियों में सद्भावना की बात करते हैं। श्रीमद्भागवत कथा भगवान की पावन कथा है। आप सभी कथा के मूल तत्वों को समझकर जन-जन तक पहुंचाएंगे। जब इंसान जन्म लेता है तो साथ में कुछ ऋण भी लेकर पैदा होता है। सभी ऋणों से मुक्ति का माध्यम यह कथा है।
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