चकबन्दी आयुक्त के आदेश के बाद आखिर प्रशासन मानीकलां में कूटरचना के जरिए जमीन कब्जाने वालो पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया?


             फ्राड कराने वाला अंसार अहमद 

जौनपुर। जनपद के ग्रामसभा मानीकला में भरेठी निवासी एवं सिंगापुर के कारोबारी अंसार अहमद ने धन के बल पर फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार करके लगभग 35 बीघा जमीन जिसकी कीमत करोड़ो में है को कब्जा करने का प्रयास किया था पूरे मामले की जाँच हाईकोर्ट उच्च न्यायालय  के आदेश पर बन्दोबस्त अधिकारी चकबंदी जौनपुर  की तीन सदस्यीय टीम की जांच में यह खुलासा हुआ है। जांच टीम ने जमीन कब्जा करने का प्रयास करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की संस्तुति की है। पूरे मामले से जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है। चकबंदी आयुक्त ने चार नवंबर को अपनी समीक्षा बैठक में मानीकलां में हुए इस फर्जीवाड़े पर एफआईआर दर्ज कर विधिक कार्रवाई करने का डीएम जौनपुर को आदेश दिया लेकिन डीएम की संदिग्ध भूमिका के चलते अभी तक दोषियों के खिलाफ एफआईआर नहीं की गई जिससे जिला प्रशासन के इस शीर्ष अधिकारी को लेकर जन मानस के बीच तरह तरह के सवाल उठाये जा रहे है।
यहां बता दें कि खेतासराय थाना क्षेत्र के मानीकला गांव में अनवारुद्दीन खांन  एवं उनके परिवार के लोगों की करीब 35 से 40 बीघा जमीन है। उस पर वर्षो खेती-बाड़ी करते आ रहे हैं। इस बीच ग्राम भरेठी निवासी अंसार अहमद ने फर्जी व कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लिया। अंसार अहमद व उनका परिवार सिंगापुर का बड़ा कारोबारी माना जाता है। बताया जाता है कि धनबल बाहुबल का प्रयोग करके लेखपाल व चकबंदी कर्मियों की मिलीभगत से 21 दिसंबर 1993 उप संचालक चकबंदी(डीडीसी) न्यायालय जौनपुर के एक फर्जी मुकदमे का आदेश तैयार करवाया गया, इसी आदेश के जरिए उच्च न्यायालय से कब्जे व पैमाइश का आदेश भी करा लिया गया। जब मामले की जानकारी इस जमीन के असली मालिक अनवारुद्दीन खान को हुई तो उन्होंने जांच पड़ताल शुरू कराई और उच्च न्यायालय से गुहार लगाई। पुराने दस्तावेजों को दाखिल करते हुए न्याय की मांग की। उच्च न्यायालय ने दस्तावेजों की हकीकत को देखते हुए 5 जुलाई 2024 को पूर्व में दिए गए कब्जा सम्बंधी आदेश पर स्थगन आदेश दे दिया। तथा अगली तिथि 8 जुलाई 2024 के आदेश में उच्च न्यायालय ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी जौनपुर को आदेशित किया 3 माह के अंदर दोनो पक्षों के दस्तावेजों की जांच कर रिपोर्ट दें। उच्च न्यायालय के आदश के क्रम में बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई जिसमे एक सीओ, एक एसीओ व एक कानूनगो की समिति बनाई। इस समिति ने दोनों पक्षों के दस्तावेज लिए और अभिलेखागार एवं मिसिलबन्द से दस्तावेजों का मिलान शुरू किया तो चौंकाने वाले तथ्य निकले। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक अंसार अहमद द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेज कूटरचित व फर्जी पाए गए। कमेटी ने 24 सितंबर को बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी जौनपुर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि अंसार अहमद को किसी भी कीमत पर जमीन पर कब्जा नहीं दिया जा सकता। क्योंकि उनके सभी दस्तावेज कूटरचित एवं फर्जी हैं। ऐसे में चकबंदी अधिकारी बन्दोबस्त जौनपुर ने पूरी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद एक बार फिर अंसार अहमद को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया। अंसार अहमद ने अपने अधिवक्ता के जरिए दोबारा उन्हीं दस्तावेजों (साक्ष्यो) को दाखिल किया जिसे तीन सदस्यीय समिति ने कूटरचित एवं फर्जी बताया था। ऐसे में चकबंदी अधिकारी बन्दोबस्त ने अंसार अहमद की सभी दलीलों को खारिज करते हुए अनवारुद्दीन खान के पक्ष में आदेश किया। चकसंख्या 116 पर अंकित आदेश 21 दिसंबर 1993 में की गई अमलदरामद को तत्कालीन चकबंदी लेखपाल प्रकरण में संलिप्तता बताते हुए लेखपाल सहित विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने और विभागीय कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं इस प्रकरण में चकबंदी आयुक्त भानुचंद्र गोस्वामी ने 4 नवंबर को जौनपुर मे एक समीक्षा बैठक किया। इस बैठक में ग्राम मानीकला में जमीन कब्जाने के मामले में हुए फर्जी वाड़े पर जिलाधिकारी को रिपोर्ट दर्ज कराने एवं हुए विधिक कार्रवाई का करने आदेश दिया, आयुक्त चकबन्दी के आदेश का समय लगभग एक सप्ताह बीतने को है लेकिन आज तक जिलाधिकारी दोषियों के खिलाफ न तो एफआईआर कराई न कोई विधिक कारवाई कराई, सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार कूट रचना करने वाले धनबल का उपयोग करके कारवाई न करने का दबाव जिला प्रशासन पर बना रहे है जिसमें कुछ तथा कथित पत्रकार भी सक्रिय भुमिका अदा कर रहे है। जबकि मामला अति गंभीर एवं संवेदनशील होता जा रहा है और दोषियों पर  कारवाई न होने के चलते कभी भी किसी अप्रिय घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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