बीएड में प्रवेश आखिर छात्र क्यों नहीं ले रहे है,जानिए असली कारण क्या है,जिम्मेदार है कौन ?
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध सभी जिलो के बीएड काॅलेजों में 50 फीसदी सीटें खाली रह गई हैं। 191 कालेजों की 16500 सीटों पर प्रवेश होना था। सीटें नहीं भरने से विवि को करोड़ों का नुकसान होगा। वहीं काॅलेजों को खर्च निकाल पाने की समस्या से इनकार नही किया जा सकता है।
छात्र नहीं मिलने के कारण काॅलेजों का तो नुकसान होगा ही विश्वविद्यालय को परीक्षा फीस के नाम पर मिलने करोड़ों रुपये की बड़ी चपत लगेगी। छात्र संख्या घटने के कारण परीक्षा फीस भी कम हो जाएगी। काउंसिलिंग की अंतिम तिथि 28 सितंबर तय की गई थी। समय बीतने के बाद दाखिला की स्थिति काफी दयनीय है। बीएड काॅलेज संचालक इस इंतजार में हैं कि खाली सीटें भरने के लिए शासन से कोई आदेश निर्गत हो तो नुकसान की भरपाई की जा सके। इस बार बीएड प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी बुंदेलखंड विवि झांसी को सौंपी गई थी। काउंसिलिंग पूरी होने के बाद कालेजों में प्रवेश की स्थिति से बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को अवगत करा दिया गया है।
उपरोक्त स्थित यह संकेत कर रही है कि बीएड की डिग्री लेने के प्रति छात्र छात्राओ की रूझान कम हो गई है। एक बड़ा सवाल यहां पर खड़ा होता है कि आखिर ऐसी स्थित के लिए जिम्मेदार कौन है तो जिम्मेदारी सूई सीधे प्रदेश की सरकार पर जाकर टिकती है। प्रदेश की सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में प्रदेश के अन्दर एक भी प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक की भर्ती नहीं कराई है। बीएड डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने की लालसा लिए बीएड में प्रवेश लेते थे। जिसका परिणाम रहा कि बीएड कॉलेजो की भरमार लग गई और सीटे भी अधिक कर दी गई थी। अब जिस डिग्री पर नौकरी मिलने की संभावना क्षीण हो गई है उस डिग्री को छात्र छात्रायें क्यों ले यह एक बड़ा सवाल है।
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