एनएचआई घोटाला: सीआरओ तो हो गए निलम्बित,शेष पांच संलिप्त जनों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई कब होगी ?


जौनपुर। जनपद के मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) गणेश प्रसाद की देखरेख में ही साढ़े चार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। इसकी पुष्टि शासन स्तर से हुई और निलम्बन की कार्रवाई  हो गई है। पता चला है कि 14 ग्राम पंचायतों के 46 काश्तकारों को फर्जी तरीके से मुआवजा दिया गया था। इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ पहले ही मुकदमा दर्ज है।
भूमि अधिग्रहण और मुआवजा भुगतान में फर्जीवाड़े का मुद्दा वहीं पर कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटर रोबिन साहू ने अगस्त माह के शुरुआत में प्रमुखता से डीएम जौनपुर के समक्ष उठाया था। 2 अगस्त 2024 को मीडिया में खबर आयी कि 3.38 की जगह 34 लाख का भुगतान एनएचआई में किया गया। इसका संज्ञान लेकर ही जिलाधिकारी रहे रविन्द्र कुमार मांदड़ 22 अगस्त 24 को अचानक पूरी टीम के साथ सीआरओ को लेकर भूमि अध्याप्ति कार्यालय पहुंचे। पहले ही दिन उन्होंने कार्यालय से चार फर्जी अभिलेख प्राप्त किए। इससे पता चला कि ढाई करोड़ का फर्जी भुगतान किया गया था। इसके बाद सीडीओ साईं तेजा सीलम की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित हुई। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ईशिता किशोर और एसडीएम ज्ञानप्रकाश यादव को जांच कमेटी का सदस्य बनाया गया। टीम ने सदर, मड़ियाहूं, मछलीशहर, बदलापुर में चल रहे भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की जांच की और पाया कि 14 ग्राम पंचायतों के 46 काश्तकारों को साढ़े चार करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया था। 
प्रशासन का दावा है कि जांच के दौरान बदलापुर के कुछ काश्तकारों के 50 लाख का भुगतान रोक दिया गया था। जिलाधिकारी ने थाना लाईनबाजार में मामले में पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए 05  सितम्बर 24 को सीआरओ के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा था। अब शासन ने 10 अक्टूबर को घोटाले के आरोप में सीआरओ को निलंबित कर दिया है। जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ उसमें शिक्षा अनुदेशक राहुल सिंह पूरामुकुन्द बदलापुर, मिरसादपुर निवासी प्रीतम उर्फ मुलायम, कार्यालय प्रभारी संतोष तिवारी,अमीन अनिल कुमार यादव, आपरेटर हिमांशु श्रीवास्तव का नाम शामिल है। खबर है कि जिनके खिलाफ एफआइआर दर्ज है वह हाईकोर्ट से अरेस्ट स्टे लेकर करोड़ो डकार कर मस्ती से घूम रहे है। सभी की सेवायें जारी भी है जो प्रशासन के बड़ा प्रश्न चिन्ह भी है कि इनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई कब और कैसे हो सकेंगी।
यहां बता दे कि मड़ियाहू तहसील के 12 काश्तकाराें को 1.87 करोड़, बदलापुर तहसील के 28 काश्तकारों को 2.2 करोड़, मछलीशहर के तीन काश्तकारों को 56 लाख, सदर तहसील के तीन काश्तकारों को 84 लाख का भुगतान किया गया। इस पूरे घोटाले के खेल में बदलापुर कोतवाली क्षेत्र के पूरामुकुद गांव निवासी राहुल सिंह शिक्षा विभाग में अनुदेशक है पहले वह एनएच कार्यालय आता था। वह बदलापुर के मिरशादपुर निवासी अपने साथी प्रीतम उर्फ मुलायम के साथ काश्तकारों से डील करता था। भुगतान के लिए कार्यालय प्रभारी (कानूनगो) संतोष तिवारी, अमीन अनिल यादव, ऑपरेटर हिमांशु से मिलकर फर्जी तरीके से फाइल तैयार कराते थे। राहुल और प्रीतम ने ही 20 काश्तकारों के नए खाते खुलवाए। खाता खुलवाने के बाद दोनों काश्तकारों से ब्लैंक चेक ले लेते थे। पैसा ट्रांसफर करने बाद उसी दिन चेक लेकर दोनों बैंक के बाहर काश्तकार से रुपये लेने के लिए खड़े रहते थे, जिसमें 30 से 50 फीसदी तक यह तुरंत ले लेते थे।

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