भाजपा की प्रेस वार्ता में मुद्दे से हट कर सवाल करने पर मंत्री और पत्रकार के बीच झड़प, एक दूसरे पर आरोपो की बौछार


जौनपुर। जनपद में भाजपा द्वारा सदस्यता अभियान को लेकर जिला मुख्यालय के एक होटल में बुलाई गई प्रेस वार्ता में प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीश चन्द यादव एवं आज तक के स्ट्रिंगर पत्रकार राजकुमार सिंह के बीच विवाद हो गया। दोनो एक दूसरे के खिलाफ जम कर अपनी भड़ास निकाले और देख लेने तक की बात आ गई। वहां पर मौजूद भाजपा के कई वरिष्ठ नेता गण बीच बचाव करने के बजाय मूक दर्शक बन कर तमाशा देख रहे थे। जिलाध्यक्ष लोगो को चुप कराने और मर्यादा की दुहाई दे रहे थे लेकिन पत्रकार शान्त होने के बजाय मंत्री को लगातार उकसा रहे थे। इस घटना की आवाज कहां तक जायेगी यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस घटना से मीडिया और जन प्रतिनिधि की गरिमा जन मानस के बीच तार तार होती नजर आयी है।

घटना की शुरुआत के पीछे का असली सच यह है कि पत्रकार जी लम्बे समय से मंत्री के खिलाफ प्रायोजित होकर खबरे चला रहे थे। इससे मंत्री जी भी दुखी थे। आज पत्रकार वार्ता सदस्यता अभियान के मुद्दे पर जिलाध्यक्ष ने बुलाई थी। जिसमें भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी रहे कृपाशंकर सिंह और उनकी टीम के लोगो सहित,जिला प्रभारी अशोक चौरसिया तथा सरकार के मंत्री गिरीश चन्द यादव को प्रेस वार्ता करनी थी। सदस्यता के मुद्दे पर वार्ता चल ही रही थी कि वार्ता के बीच पत्रकार राजकुमार सिंह जो मंत्री के खिलाफ प्रायोजित खबरे करते रहे के द्वारा जनपद मुख्यालय पर चल रही एसटीपी योजना को लेकर सवाल दाग दिये मंत्री ने कहा अभी जिस मुद्दे पर प्रेस वार्ता आयोजित है उस पर बात करे फिर बाद मुझसे कार्यालय पर आकर एसटीपी पर जानकारी ले लीजिएगा। मंत्री के इस उत्तर पर पत्रकार ने नाराजगी जताते हुए कहा आप का फोन नहीं उठता आप जबाव देने से भाग रहे है।आप भी एसटीपी भ्रष्टाचार के भागीदार है। इसी बात को लेकर दोनो के बीच तू तकार शुरू हो गया और सारी मर्यादायें तार तार हो गई। घटना के समय जिलाध्यक्ष भले ही सभी को शांत कराते दिखे लेकिन भाजपा के नेता लोकसभा का चुनाव लड़ चुके कृपाशंकर सिंह मूक दर्शक बन कर विवाद को बढ़ता देख रहे थे।एक भाजपा नेता ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि पत्रकार को भाजपा नेता का सह था इसलिए वह उग्र हो कर मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोले हुए था।

अब यहां पर सवाल इस बात का है कि अगर सदस्यता अभियान के लिए बुलाई गई पीसी में मंत्री या भाजपा के लोग दूसरे मुद्दे पर बात नही करना चाह रहे थे तो पत्रकार को अग्रेसिव होने की क्या जरूरत थी। एफटीपी मुद्दा छेड़ने के पीछे की क्या मंशा थी। पत्रकार होने का यह मतलब नहीं कि प्रायोजित होकर किसी भी व्यक्ति अथवा राजनेता की मान मर्दन कर सके। संविधान में प्रदत्त अपने अधिकार और दायित्व को भी समझने की जरूरत है। किसी की व्यवस्था में व्यवधान नहीं करना चाहिए। इस घटना को लेकर समाज के बीच में जो चर्चाएं है वह यह है कि आखिर जिस मुद्दे पर बात करने के लिए बुलाया गया था उस पर बात क्यों नही की गई है। विवाद के मुद्दे पर मंत्री से बात करने पर उन्होंने बताया कि विवाद करने वाले पत्रकार लम्बे समय से हमारे खिलाफ खबरे कर रहे है आज उन्होंने पार्टी के अभियान में व्यवधान उत्पन्न करने का काम किया और मर्यादाओ का हनन करने लगे इसके बाद हमको विरोध करना पड़ा है।हमको भ्रष्टाचारी बताया उनको साबित करना पड़ेगा हमने कौन सा भ्रष्टाचार किया है। जौनपुर के विकास के एसटीपी योजना लाये उसका क्रियान्वयन सरकारी तंत्र द्वारा किया जा रहा है।शहर की समस्या दूर की जा रही है और हमको लक्ष्य करके आरोप लगाने का काम पत्रकार कर रहे है।

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