एनएचआई घोटाला: जांच के बाद पांच करोड़ रूपये घोटाले की पुष्टि रिपोर्ट डीएम को प्रेषित अब दोषियों पर होगी कार्रवाई


जौनपुर। जिले में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में जालसाजी की जांच के लिए बनी टीम ने 15 दिनों की तफ्तीश के बाद रिपोर्ट दे दी है। जांच रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर खुलासा हुआ है कि एसडीएम, तहसीलदार और कानूनगो बनकर फाइलों पर फर्जी हस्ताक्षर कर जालसाज दिला रहे थे मुआवजा। इसमें तहसीलों से बगैर अभिलेख आए ही सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति (काला) कार्यालय में तहसील के अधिकारियों की पत्रावली, हस्ताक्षर और मुहर के जरिए भुगतान कर दिया गया। इसकी जांच पूरी हो गई है, रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि एसडीएम, तहसीलदार और कानूनगो का फर्जी हस्ताक्षर करके मुआवजा दिलाते थे, इसके ऐवज में आरोपी कर्मी मोटा कमीशन वसूलते थे। जांच सीडीओ की अध्यक्षता में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट इशिता किशोर, एसडीएम ज्ञानप्रकाश यादव कर रहे हैं। इन्होंने सदर, मछलीशहर, मड़ियाहूं, बदलापुर के सभी मुआवजे भुगतान के मामलों की जांच की। इसमें एक साल के अंदर भुगतान हुए सभी काश्तकारों के भुगतान को चेक किया। इसमें चार काश्तकारों का बयान भी लिया गया। साथ ही आरोपियों का बैंक स्टेटमेंट भी चेक किया गया। जांच में पाया गया कि 10 ग्राम पंचायत में 20 फर्जी अभिलेखों के जरिए पांच करोड़ का मुआवजा दिया गया। यह सब खेल करीब तीन माह जून, जुलाई और अगस्त से चल रहा था।
एनएचआई  से काश्तकारों का अवार्ड घोषित होता है। इसमें काश्तकारों का नाम जारी किया जाता है। जिसके बाद लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार, एसडीएम के माध्यम से रिपोर्ट मंगाते हैं। इसमें जिस किसी के फाइल विवाद होने के चलते तहसीलों से नहीं आती थी। उन काश्तकारों से बात करके यहीं पर उनकी पत्रावली, हस्ताक्षर मुहर तैयार कर दिया जाता था। इसके बाद भुगतान होता था।
डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ के अनुसार जांच रिपोर्ट आ गई है।मुझे फिलहाल जो साक्ष्य मिले हैं। उसके आधार पर आरोपियों को छोड़ा नहीं जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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