प्राइवेट चपरासी के वायरल पत्र से राजस्व विभाग में हड़कंप, अधिकारी की रिपोर्ट में प्राइवेट व्यक्ति को काम करने से इनकार



जौनपुर। सोशल मीडिया में वायरल हो रही एक चिट्ठी ने जिला प्रशासन में हड़कम्प मचा रखी है। डीएम ने इस चिट्ठी की जांच एसडीएम से कराया तो प्रथम दृष्टया मामला भ्रामक पाया गया। इस मामले की गहन जांच के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर एडीएम वित्त को शाहगंज शुक्रवार को गये वह भी एसडीएम की रिपोर्ट पर मुहर लगा दिए। हलांकि डीएम ने जिले के सभी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी अधिकारी किसी प्राइवेट व्यक्ति से कार्य न कराये न ही किसी को अनावश्यक रूप से कार्यालय में घुसने दे। 
बता दे विगत गुरुवार की शाम से सोशल मीडिया में डीएम को सम्बोधित एक शिकायती पत्र तेजी से वायरल हुआ। पत्र लिखने वाले राजाराम यादव नामक व्यक्ति ने शिकायती पत्र में लिखा है कि वह नायब तहसीलदार लपरी का प्राइवेट चपरासी है, उनके घूस का पैसा हम ही अधिवक्ताओं व जनता से वसूलते है , मेरे नीचे  अविनाश यादव व अजीत यादव है हम लोग लगातार झगड़ा कर मारपीट कर घूस का पैसा वसूलते हैं।हम प्राइवेट चपरासी को प्रतिदिन 1000 रूपये मिलता है मुझे 500 रूपये ही नायब तहरीलदार देते हैं मेरा पैसा बढ़ाया जाए। 
इस पत्र को वायरल होने के बाद डीएम मामले की जांच करने के लिए एसडीएम शाहगंज को आदेशित किया। इस मामले की नायब तहसीलदार लपरी व तहसीलदार शाहगंज के द्वारा संयुक्त जाँच करायी गयी। जॉच में राजाराम यादव अथवा किसी अन्य नाम का कोई भी प्राइवेट कर्मचारी तहसील शाहगंज में कार्यरत नहीं पाया गया। शिकायतकर्ता राजाराम यादव का मोबाइल नम्बर, पिता का नाम व पता पता अंकित नही है। प्रथम दृष्टया शिकायत मिथ्या एवं भ्रामक है। इस आशय की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई। 
जिलाधिकारी ने रविन्द्र कुमार माँदड़ से वार्ता करने पर उन्होंने बताया कि इस मामले की एसडीएम से जांच कराई गई जिसमें राजाराम नाम का कोई प्राइवेट कर्मचारी नहीं हैं , फ़िलहाल पूरे मामले की जांच के लिए एडीएम को शाहगंज भेजा गया था उनकी रिपोर्ट का इंतजार है। डीएम ने सभी विभागों के अधिकारियों को आदेश भी दिया है कि कोई भी अधिकारी प्राइवेट कर्मचारी से काम न ले न ही किसी व्यक्ति को अनाधिकृत रूप से दफ्तर में घुसने दे। औचक जांच होगी अगर किसी अधिकारी के यहां प्राइवेट कर्मी मिला तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
वायरल पत्र की जांच कर वापस लौटे एडीएम वित्त राम अक्षयबर चौहान से बात करने पर उन्होंने बताया कि तहसील परिसर में कोई निजी कर्मचारी काम नहीं करता। जबकि अधिवक्ताओं का कहना था कि बगैर निजी कर्मचारी के कोई काम नहीं होता।30 से 40 निजी कर्मचारी काम करते हैं। वायरल पत्र फर्जी है। हलांकि शाहगंज तहसील के अधिवक्ता संघ के उपाध्यक्ष सुभाष चंद्र यादव का बयान है कि तहसील परिसर स्थित सभी कार्यालय में निजी कर्मचारी लगे हुए हैं और तहसील में राजाराम यादव नाम का प्राइवेट कर्मचारी भी मौजूद हैं।

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