मंगेश यादव मुठभेड़ काण्ड का जानिए असली सच क्या है ? आखिर न्यायिक जांच से परहेज क्यों हो रहा है?



जौनपुर। जनपद के थाना बक्शा क्षेत्र स्थित ग्राम अगरौरा निवासी मंगेश यादव की पुलिस द्वारा मुठभेड़ दिखाकर गोली मारकर मार डालने के बाद उठे सियसी घमासान के बाद स्थानीय लोगो से बात चीत और पुलिस की कहांनी के पश्चात जो सच सामने आया है वह एसटीएफ की पूरी टीम को सवालो के कटघरे में खड़ा कर रहा है। हलांकि पुलिस के प्रदेश स्तरीय अधिकारी एसटीएफ की टीम को बचाने का प्रयास कर रहे है लेकिन अगर उच्च स्तरीय न्यायिक अथवा सीबीआई जांच हो गई तो एसटीएफ की टीम पर बड़ी कार्यवाई संभव हो सकेंगी ऐसा जन मानस मान रहा है।
जिस मंगेश यादव के उपर एसटीएफ की टीम ने एक लाख रुपए का इनाम घोषित कर मुठभेड़ दिखाकर मार डाला उसके बाबत ग्रामीण जन बताते है कि वह एक छोटा मोटा अपराधी चोर था। लेकिन वह लुटेरा टाइप का बदमाश नहीं था। एसटीएफ ने कैसे इतना बड़ा अपराधी घोषित कर दिया यह तो उच्च स्तरीय जांच से ही साफ होगा। पुलिस अभिलेख को माने तो मंगेश यादव के उपर विभिन्न थानो में आठ चोरी के मुकदमें थे।किसी भी मुकदमें असलहा आदि नही दिखाया गया है फिर वह बड़ा अपराधी बनाकर मार डाला गया।
यहां बता दें कि जनपद सुल्तानपुर में विगत 28 अगस्त 24 को दिन में 2 बजकर 15 मिनट पर भारत ज्वेलर्स की दुकान पर नकाबपोश बदमाश पहुंच कर असलहे की नोक पर करोड़ो के जेवरात लूट कर फरार हो जाते है। इससे जब प्रदेश सरकार की किरकिरी शुरू हुई और कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे तब विवेचना एसटीएफ को दे दी गई। एसटीएफ ने विवेचना शुरू करने के साथ ही 02 सितम्बर को एलान कर दिया कि इस लूट काण्ड में विपिन सिंह गिरोह का हाथ संभव है। जो एक बड़ा लुटेरा है। अब सवाल यह है कि विपिन और मंगेश को साथ कब और कहां हुआ इसका खुलासा एसटीएफ की टीम आज तक नही कर सकी है। हलांकि सच यह है कि विपिन और मंगेश का कभी कोई साथ अथवा सम्बन्ध नहीं रहा।  बस केस का खुलासा कर अपनी पीठ थपथपानी थी फिर खेल शुरू हो गया।
एसटीएफ को विवेचना के दौरान पता चला कि मंगेश यादव एक सामान्य चोर है लेकिन खेल करना था तो आनन फानन में 02 सितम्बर को मंगेश को पचास हजार रुपए का इनामी घोषित कर दिया और रात लगभग तीन बजे भोर में थाना बक्शा क्षेत्र स्थित ग्राम अगरौरा में बक्शा पुलिस के साथ दबिश देकर मंगेश यादव को घर से उठा ले गए। 04 सितम्बर 24 को एक लाख का इनाम घोषित कर उसी रात मुठभेड़ दिखा कर मंगेश यादव को एसटीएफ ने मारडाला। 
मंगेश यादव को मारने के बाद जिन चांदी के जेवरात की बरामदगी दिखाई गई उसके बाबत लुटे स्वर्णकार के दुकान का था ही नही क्योंकि भारत ज्वेलर्स की मुहर किसी भी जेवरात पर नहीं मिले। सोने के एक भी जेवरात नहीं बरामद किया गया। एसटीएफ ने जो कहांनी गढ़ी उसमें कहा कि तीन बजे रात को मंगेश यादव अपने एक साथी के साथ जेवरात बेचने जा रहा था। अब सवाल यह है कि रात में कहां और किस सोनार की दुकान खुली थी जिसे लूट का जेवरात बेचने मंगेश यादव जा रहा था। यह भी कहांनी मनगढ़ंत और फर्जी प्रतीत होती है।
मृतक मंगेश यादव की बहन प्रन्सी का एक वीडियो वायरल है जिसमें उसका बयान है कि 28 अगस्त 24 को मंगेश यादव उसके विद्यालय में 2 बजे तक उसकी फीस जमा करने के लिए मौजूद था। लूट की घटना 2 बजकर 15 मिनट की है पुलिस नहीं बता पा रहीं है कि 15 मिनट में कोई 100 किमी कैसे पहुंच सकेगा। विद्यालय में सीसीटीवी कैमरा लगा होगा उसको चेक करते ही सच सामने आ जाएगा लेकिन एसटीएफ ने इसे जरूरी नहीं समझा क्यों, यह एक बड़ा सवाल है।
विपिन का एसटीएफ द्वारा जैसे ही लाया गया वह तत्काल कोर्ट के जरिए जेल के अंदर चला गया और पुलिस मंगेश को विपिन गिरोह का सदस्य बता रही है अगर वह विपिन गिरोह का सदस्य होता तो घर पर क्यों रहता और सोता। इतनी बड़ी लूट का अपराधी होता तो भी फरार रहता न कि घर पर सोते मिलता। एक ग्रामीण ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि जब मंगेश यादव को एसटीएफ और पुलिस घर से ले जा रही थी तो उसने देखा लेकिन उसे क्या पता था कि उसको मार दिया जायेगा।
इस तरह अगरौरा सहित आसपास गांव के ग्रामीण जनो के बयान और एसटीएफ की मुठभेड़ के दौरान बताई गई कहांनी इस पूरी घटना और एसटीएफ को संदेह के घेरे में खड़ा कर दी है। जन मानस का मानना है कि पूरे मामले की न्यायिक जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी पूरी तरह से साफ हो जाएगा इसलिए सरकार को चाहिए कि इस पूरे मामले को न्यायिक जांच के हवाले कर दे।

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