स्वतंत्रता आन्दोलन के समय काकोरी ट्रेन काण्ड की संक्षिप्त कहांनी जानिए आखिर क्या थी


शहीदो की चिताओं पर लगेगे हर बरस मेले। वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशां होगा।।
काकोरी कांड आज से 100 वर्ष पहले घटी वो घटना है जिसने अंग्रेजी सरकार को हिलाकर रख दिया दिया था। हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेज सरकार का खजाना लेकर जा रही एक ट्रेन को काकोरी स्टेशन पर लूट लिया था। इस घटना को अब एक शताब्दी बीत चुकी है पर यह घटना इतिहास में दर्ज हो गई और आज भी इसे गर्व से याद किया जाता है।
यूपी सरकार ने 9 अगस्त यानी आज से काकोरी ट्रेन एक्शन का शताब्दी महोत्सव मना रही है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि वो स्टेशन किस हालत में है और कैसे भारत के इतिहास की इस प्रमुख घटना को संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया है।
काकोरी ट्रेन एक्शन (कार्यवाही) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की ईच्छा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे।इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को परिणाम दिया था।
काकोरी-कार्यवाही के क्रान्तिकारी वर्तमान में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा 9 अगस्त 2021 को काकोरी कांड रेलवे स्टेशन का नाम का नामांकन का काकोरी ट्रेन एक्शन के नाम पर कर दिया गया है
इसमें प्रमुख थे राम प्रसाद 'बिस्मिल'  एवं अशफाक उल्ला खाँ इसके बाद क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी 18. चंद्रशेखर आज़ाद इन क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत थी शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की सहायता से समूची लौह पथ गामिनी पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया गया था। बाद में अंग्रेजी सत्ता उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का प्रकरण चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस प्रकरण में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।

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