जौनपुर में "साहब मैं जिन्दा हूं" लिखा तख्ती लिए दो वृद्ध महिलाएं पहुंची डीएम के दरबार बोली न्याय करे साहब

 

जौनपुर । प्रदेश की सरकार गरीब कल्याण की योजना चलाते हुए उसका लाभ आम जन तक पहुंचाने का दावा करती तो जरूर है लेकिन सरकारी कर्मचारियों के अजीबोगरीब कारनामों के कारण गरीब सरकार की योजना के लाभ से वंचित रह जाते है। इतना ही नहीं सरकार की योजना का लाभ पाने वाले गरीब को लाभ से वंचित करने के लिए उसको सरकारी अभिलेख में मृतक घोषित कर देते है।
ऐसा ही एक मामला जनपद जौनपुर में तब प्रकाश में आया जब पीड़ित गरीब महिलायें जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी डीएम जौनपुर के पास एक तख्थी पर लिखा कर साहब मै जिन्दा हूँ तख्थी के साथ जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार मांदड़ के पास जन सुनवाई के दौरान पहुंची।  महिलाओ के हाथ में तख्थी पर लिखे स्लोगन साहब मै जिन्दा हूँ देखकर डीएम भी घबरा गये और  महिलाओ को तुरंत अपने पास बुलाया और उनकी पीड़ा सुनते हुए समाज कल्याण विभाग के अधिकारी को तलब कर कड़ी फटकार लगाई और महिलाओ को मृत घोषित करने वाले के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया।
यहां बता दें कि जनपद के विकास खण्ड जलालपुर क्षेत्र स्थित बीबनमऊ गांव की गरीब महिला शांति पत्नी स्व0 जयराम एवं केवला देवी पत्नी स्व0 श्रीराम निषाद को समाज कल्याण विभाग से विधवा पेंशन मिलती थी विगत दो वर्षो से विधवा पेंशन मिलना बन्द हो गई। पेंशन बन्द होने के बाद दोनो वृद्ध महिलाएं  समाज कल्याण विभाग सहित जिले के अधिकारियों के यहां पुन: पेंशन चालू कराने के लिए एडियां रगड़ रही थी। लगभग दो साल बाद समाज कल्याण विभाग के लिपिक पियूष कुमार ने महिलाओ को बताया कि सरकारी अभिलेख में दोनो महिलाओ को गांव के सिक्रेटरी ने मृतक घोषित कर दिया है जिसके कारण पेंशन बन्द कर दी गयी है।
अपने को सरकारी अभिलेख में मृतक घोषित होने के बाद दोनो पीड़ित महिलायें अपने क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य के माध्यम से अधिकारियों के यहां विकास खण्ड के खण्ड विकास अधिकारी एवं विकास भवन तक प्रत्यावेदन देते हुए अपने को जिन्दा साबित करने का प्रयास करती रही लेकिन किसी भी स्तर से महिलाओ को न्याय न मिलने पर अन्तिम अस्त्र के रूप में एक तख्थी पर स्लोगन लिखा साहब मै अभी जिन्दा हूँ और सीधे डीएम के कार्यालय में पहुंच गई। बोली हमे न्याय  दिला दीजिए साहब, तख्थी पर स्लोगन लिखा देखकर डीएम भी भौचक हो गए और तत्काल महिलाओ को अपने पास बुलाया तो सरकारी तंत्र की लापरवाही की पोल खुल गई। हलांकि डीएम ने तत्काल समाज कल्याण अधिकारी को तलब करके दोनो महिलाओ को वृद्धावस्था पेंशन देने का आदेश दिया साथ ही पूरे मामले की जांच का भी आदेश दिया ताकि लपरवाही करने वाले जिम्मेदार जनो के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
सरकारी तंत्र के कर्मचारी द्वारा गरीब असहाय पीड़ित जन को मृतक घोषित कर सरकारी लाभ से वंचित करने का उपरोक्त मामला तो एक उदाहरण के रूप में सामने आया है यदि जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी पूरे जिले में ऐसे मामलो की गहन छानबीन कराये तो और भी बड़ी तादाद में ऐसे हैरतअंगेज मामले प्रकाश में नजर आ सकते है और सरकारी तंत्र के लोगो की कार्यशैली की बड़ी पोल सामने आ सकती है।                        

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