अशोका इंस्टीटृयूट में तीन दिवसीय सार्वभौमिक मानव मूल्य कार्यशाला का आयोजन शिक्षक के लिए शिक्षा की क्या है भूमिका विषय पर चर्चा


पहड़िया स्थित अशोका इंस्टीट्यूट में वैल्यु एजुकेशन सेल अशोका एण्ड ए0आई0सी0टी0ई0, एन0सी0सी0, आई0पी0 द्वारा आयोजित सार्वभौमिक मानवीय मूल्य (यू0एच0वी0) वर्कशॉप में मानव की मूल चाहना और उसकी पूर्ति समग्र विकास और शिक्षा की भूमिका विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में गाजियाबाद से पधारे मुख्य वक्ता डा0 हिमांशु कुमार राय और असिसटेंट प्रो0 डा0 प्रियंका राय और प्रयागराज से आए आई0ई0आर0टी0 के असिसटेंट प्रोफेसर ऋशि राज राजन को पौध भेंटकर सम्मनित किया। गया इस दौरान अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड मैनेजमेंट की डायरेक्टर डा0 सारिका श्रीवास्तव ,डायरेक्टर फार्मेसी डा0 बृजेश सिंह और अशोका स्कूल ऑफ बिजनेस के प्राचार्य श्रीश श्रीवास्तव एवं शैक्षणिक अधिव्ठाता प्रो0 एस0 के0 शर्मा मंच पर उपस्थित रहे तत्पश्चात् अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
 कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता हिमांशु कुमार राय ने एक शिक्षक के लिए शिक्षा की क्या भूमिका है विषय पर चर्चा शुरु की मानवीय शिक्षा संस्कार के चार बिन्दु मानवीय दृष्टि , मानवीय मूल्य ,मानवीय आचरण पूर्वक जीने के लिए हुनर पर विस्तार पूर्वक चर्चा पर प्रकाश डाला और कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों के पूछे गए सवालों के उत्तर विस्तार पूर्वक दिए ।
द्वितीय सत्र में प्रसन्न रहना सुखी होना क्या एक ही है या भिन्न हैं प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया संस्कारों का परिमार्जन करें मानव के लिए भौतिक सुविधा आवश्यक तो है पर वो और अधिक की सोचता रहता है उदाहरण के तौर पर 20 वर्ष पूर्व जो सुविधा हमारे पास थी आज उससे अधिक सुविधा हमारे पास हो चुकी है । लेकिन हमारे सुविधा संपन्न होने के पश्चात् हमारे अंदर का हम और मै हमें सुखी नहीं रहने देता वो हमेशा उससे अधिक सुविधा पाने की सोचता रहता है।
 सुविधा के अलावा और क्या आवश्यक है क्या सुविधा जुटाने में हम अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए कितना प्रयास करते हैं क्योंकि सुविधा आवश्यक तो है लेकिन संबंध भी आवश्यक है। लेकिन संबंध सुधारने में हमारे बीच झगडे भी हो जाते हैं । हमें हमेंशा अपने सामने वाले के अंदर कमियां नजर आती हैं और हम उसे ठीक करने के प्रयास में उलझ जाते हैें लेकिन हमें हमारे अंदर की कमी उस समय दिखाई नहीं देती उस स्थान पर झगडे का कारण हमारे अंदर की कमी ही होती है सडक पर होने वाली घटना में अक्सर लोगों की हत्या तक हो जाती है। जिसके लिए हमारे अंदर का हम और मैं ही जिम्मेदार होता है जिसको हमें समय देकर समझना होगा ताकि ऐसे परिस्थिति उत्पन्न होने से बचा जा सके । कार्यक्रम के अंतिम में सत्र में वक्ता प्रियंका राय ने स्वंय में जांच परख की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया जो कुछ कहा जा रहा है एक प्रस्ताव है जिसे अपनी सहज स्वीकृति के आधार पर जाने समझें और व्यवहार करें ।

Comments

Popular posts from this blog

गोलियों की तड़तड़ाहट से जनपद मुख्यालय थर्राया दादी पोता गम्भीर रूप से घायल, पुलिस अब छानबीन में जुटी, जिले की पुलिसिंग पर लगा प्रश्न चिह्न

जौनपुर के डीएम सहित यूपी सरकार ने 13 जिलो के बदले डीएम, देखे सूची

सपा विधायक के बेटा हुआ गिरफ्तार, विधायक पत्नी सहित हुए अंडरग्राउंड तलाश में जुटी पुलिस