69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में एक नया पेंच; सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से 28000 बीएड शिक्षक हो जाएंगे बाहर



लखनऊ 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की तरफ से आरक्षण घोटाले को लेकर दिए गए आदेश के बाद इस भर्ती प्रक्रिया में नौकरी कर रहे बीएड डिग्री धारकों के सामने नौकरी बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण विसंगतियों के कारण बाहर हुए अभ्यर्थियों को समायोजित करने के लिए नई मेरिट सूची जारी करने पर सहमति दे दी है.
सरकार के इस रुख के बाद नौकरी पा चुके बीएड डिग्री धारकों के सामने नौकरी जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है. नौकरी कर रहे बीएड डिग्री धारकों को चिंता सता रही है कि अगर सरकार नई मेरिट सूची जारी करती है, उसमें सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश का अनुपालन होता है तो हजारों बीएड डिग्री धारक नौकरी से वंचित हो सकते हैं. ऐसे में नई मेरिट लिस्ट को लेकर एक और विवाद खड़ा हो जाएगा.
नई लिस्ट से जन्म लेगा बीएड-बीटीसी विवाद:प्रदर्शन में शामिल शिक्षकों ने बताया कि हाईकोर्ट ने नई मेरिट रिवीजन करने को कहा गया है. ऐसे में अगर नई लिस्ट जारी होती है तो बीएड करके नौकरी पाने वाले कई शिक्षकों के सामने नौकरी जाने का संकट खड़ा हो जाएगा. बीटीसी वाले अभ्यर्थी उस पर आपत्ति उठाएंगे और वह कोर्ट जा सकते हैं.
अभ्यर्थियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा 1 से 5 तक के विद्यालयों में अब भर्ती के लिए बीएड नहीं सिर्फ बीटीसी ही अहर्ता होगी. ऐसे में अगर सरकार नई लिस्ट तैयार करती है तो उसे सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2023 के इस आदेश का भी अनुपालन करना पड़ेगा.
अगर ऐसा होता है तो 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में नौकरी पा चुके करीब 40% यानी 28000 बीएड डिग्री धारकों को नौकरी गवानी पड़ सकती है, क्योंकि उनकी नियुक्ति कक्षा 1 से 5 तक के विद्यालयों में हुई है. नौकरी पा चुके अभ्यर्थियों का कहना है कि आरक्षित वर्ग के वंचितों के लिए अलग से कोई लिस्ट तैयार की जाती है तो उसमें यही दिक्कत आएगी कि बीएड वाले अभ्यर्थी उसमें शामिल नहीं हो पाएंगे. ऐसे में सरकार के सामने फिर से एक चुनौती खड़ी हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2023 में दिया था आदेश:सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अगस्त 2023 में एक फैसला दिया था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया था कि देश में बेसिक शिक्षा विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक वही अभ्यर्थी नौकरी पाने के योग्य हैं जो बीटीसी डिग्री धारक होंगे. इन विद्यालयों में बीएड डिग्री धारकों को भर्ती के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है.
ऐसे में 2018 में उत्तर प्रदेश में शुरू हुए 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत नौकरी पा चुके शिक्षकों के सामने हाईकोर्ट के आदेश के बाद चुनौती खड़ी हो गई है. अगर सरकार नए सिरे से मेरिट लिस्ट तैयार करती है तो उसे 2023 के सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का भी अवलोकन करना होगा. ऐसे में बीएड डिग्री धारकों को हर हाल में नौकरी गंवानी पड़ सकती है.
सरकार ने बीएड धारकों को ब्रिज कोर्स कराने के लिए कहा था:बीएड लीगल टीम के सदस्य अखिलेश कुमार शुक्ला ने बताया कि 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जब 69 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की, तो सरकार ने कक्षा एक से पांच तक के विद्यालयों में बीएड डिग्री धारकों को नौकरी के लिए योग्य माना था. साथ ही इन शिक्षकों को नौकरी के बाद अगले 6 महीने में ब्रिज कोर्स करने को कहा था.
अखिलेश कुमार शुक्ला ने बताया कि नौकरी पाने के बाद सरकार की तरफ से कक्षा 1 से 5 में जो बीएड डिग्री धारको को 5 साल बाद भी ब्रिज कोर्स नहीं कराया गया है. इस मामले में कक्षा 1 से 5 तक नौकरी कर रहे बीएड डिग्री की धारकों ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल कर रखी है.
बेसिक शिक्षा विभाग की महानिदेशक कंचन वर्मा ने बताया कि इस पूरे मामले पर शासन की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है जो पूरे लीगल एस्पेक्ट को देख रही हैं. मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि इस पूरे भर्ती प्रक्रिया में किसी का कोई अहित नहीं होने दिया जाएगा.

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