जानिए सुरेन्द्र प्रताप पचास वर्षो से जौनपुर की सियासत में रहते हुए नेता से जन नेता कैसे बने,क्या है उनका राजनैतिक सफर


जौनपुर। जनपद की सियासत में विगत पचास वर्षो से एक ऐसा नाम उभरा एक कार्यकर्ता से शुरू होकर नेता और जन नेता के रूप में विख्यात हो गया है। आज राजनैतिक जगत में नेता के संबोधन पर जन मानस उसी का नाम लेते है।जी हाँ हम बात कर रहे है भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह की जो जिले की सियासत में विगत पचास वर्षो से आम जनता की आवाज बने हुए है और जन समस्याओ को लेकर सड़क से सदन तक उनके संघर्ष का एक बड़ा सफर है।
यहां बता दें कि सुरेन्द्र प्रताप सिंह जौनपुर मूल रूप से जनपद अम्बेडकर नगर के निवासी है सन् 1970 में जनपद जौनपुर में इंटर की शिक्षा ग्रहण करने आये और जिले की सियासत में छात्र जीवन से रम गये और जौनपुर की आवाम के लिए लड़ते हुए राजनीति की तमाम सीढ़ियां चढ़ते हुए एक सामान्य कार्यकर्ता से जन नेता तक का सफर तय कर लिया है। सन्  1971 में विद्यार्थी परिषद की जुड़ कर अपने सियासी  सफर का आगाज किये। सन् 1980 से 82 तक भाजपा के महामंत्री के रूप में अपनी सेवा देने के बाद फिर 1982 में विद्यार्थी परिषद में वापसी कर लिए और प्रदेश स्तर की सियासत में कदम रख दिया विद्यार्थी परिषद के पूर्ण कालिक प्रदेश संगठन मंत्री बनाये गये।
विद्यार्थी परिषद की सियासत करने के चलते भाजपा के तमाम शीर्ष नेताओ के सम्पर्क में आये और 1993 में पहली बार जौनपुर के सदर विधान सभा से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े लेकिन हार का समना करना पड़ा, फिर 1996 में भी भाजपा ने टिकट दिया लेकिन इस बार भी भाग्य ने साथ नहीं दिया जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ाने का काम जरूर किया था। तीसरी बार 2002 में पुन: भाजपा ने सुरेन्द्र प्रताप सिंह को जौनपुर विधान सभा से चुनाव लड़ाया इस बार अपने तेवर एवं संघर्ष के कारण चुनाव जीते और विधायक बन गए तथा राजनैतिक प्रतिद्वंदिता से अलग हटकर एक विधायक के रूप में पक्ष विपक्ष सभी का काम खूब किया और जनपद के विकास में सहायक बने, 2012 के चुनाव में जाति वाद की राजनीति में फेल हो गए और चुनाव हार गये। इसके बाद आज तक भाजपा में रहकर एक नेता के रूप में जनता की सेवा में लगे है तथा पार्टी की नीतियों और रीतियों को जन जन तक पहुंचाने का काम पूरी निष्ठा और इमानदारी के साथ करते चले आ रहे है।
सुरेन्द्र प्रताप सिंह राजनैतिक जीवन में प्रवेश लेने के पहले छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और जौनपुर के टीडीपीजी काॅलेज जो पूर्वांचल ही नहीं यूपी के अन्दर एक बड़े महाविद्यालय में शुमार है के छात्र संघ का चुनाव लड़े और छात्र हितो के लिए संघर्ष करते हुए कई बार जेल यात्रा भी किया। छात्र राजनीति के समय संघर्ष और छात्रो के लिए लड़ाई की अपने नेचर को भाजपा की सियासत के दौरान भी अपनाये रखे जनता की आवाज बनते हुए सड़को पर धरना प्रदर्शन करते रहे इतना ही इमर्जेंसी के दौरान भी जन हितो के लिए जेल की सलाखों में कैद किये गए जिसके कारण आज लोकतंत्र सेनानी बने हुए है। छात्र राजनीति से लेकर भाजपा की सियासत तक जन हितो के लिए लड़ाई लड़ते हुए सुरेन्द्र प्रताप सिंह लगभग 30 बार जेल की यात्रा कर चुके है। संघर्ष के दौर के कुछ एक मुकदमे आज भी एमपी-एमएलए कोर्ट में विचाराधीन है।
अयोध्या राम जन्म भूमि मुद्दे पर हुए आन्दोलन में अग्रणी भूमिका में सुरेन्द्र प्रताप सिंह को जौनपुर में देखा गया था इस समय भी इन पर एफआईआर हुई थी छात्र राजनीति में भी एफआईआर दर्ज हुई थी। जौनपुर से लगायत सेन्ट्रल जेल और लखनऊ और वाराणसी की जेल में भी इनको रखा गया था।
सुरेन्द्र प्रताप सिंह के राजनैतिक जीवन के बिषय में जो जानकारी मिली है उसके अनुसार छात्र संघ के अध्यक्ष सें अपने सफर को शुरू करते हुए श्री सिंह विद्यार्थी परिषद में प्रदेश संगठन मंत्री फिर प्रदेश महामंत्री, किसान मोर्चा के प्रदेश मंत्री,भाजपा युवा मोर्चा में प्रदेश मंत्री फिर भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय परिषद के सदस्य, उर्दू भाषा को द्वितीय राज भाषा बनाये जाने पर उसके खिलाफ संघर्ष के लिए बनायी गई समिति के प्रदेश संयोजक बनाये गये थे।
सुरेन्द्र प्रताप सिंह अपने संघर्ष और जनता की आवाज बनने के कारण जनपद की आवाम ने श्री सिंह को नेता से जन नेता की उपाधि से विभूषित किया है।आज भी अपने राजनैतिक जीवन के पचास साल बाद 69 साल की उम्र में सुरेन्द्र प्रताप सिंह आम जनमानस के लिए सड़क पर संघर्ष करने में जरा भी परहेज नही करते है। जिले में किसी भी जन प्रतिनिधि से अधिक सक्रिय रहते हुए जन समस्याओ को लेकर सरकारी तंत्र से लेकर देश एवं प्रदेश की सरकार तक संघर्ष करने में तनिक भी कमजोर नहीं है। इसलिए आज जनपद का बच्चा बच्चा श्री सिंह के नेता के रूप में जानता और पहचानता है।

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