हाथरस काण्ड में आखिर भोले बाबा सहित जिम्मेदार सरकारी तंत्र पर अभी तक कार्यवाई क्यों नहीं


हाथरस हादसा काण्ड के पांच दिन बीत गये अभी तक भोले बाबा पर सरकार और जांच एजेन्सी के अधिकारी कार्यवाई नही किये इसे लेकर जन मानस के स्तर से जिम्मेदार जनो पर तमाम सवाल खड़े किये जा रहे है। विपक्षी के राजनैतिको के तीखे बयान भी सामने आने लगे है। उनके अलावा पक्ष-विपक्ष की किसी भी पार्टी ने इस कथित गुरु सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग नहीं की जाने लगी है। जन चर्चा में वजह साफ बताई जा रही है कि दलित वोट बैंक पर सबकी नजर...इसलिए भोले हैं भोले बाबा पर कार्यवाई नहीं हो रहा है।
जन मत माने तो अब वोट बैंक के लिहाज से राजनीतिक पार्टियों के गुणा-भाग पर थोड़ा नजर डालते हैं। सामाजिक न्याय की रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिमी यूपी की ग्रामीण आबादी में 30 फीसदी हिस्सा दलित जातियों का है। इन दलित जातियों में 55 फीसदी से ज्यादा जिस एक जाति का संख्या बल है,वो है जाटव। भोले बाबा जाटव है और उनके ज्यादातर अनुयायी दलित हैं। कोई भी पार्टी उस पर हाथ डालकर इस वोट बैंक को नाराज करने का खतरा मोल लेना नहीं चाहती।
यही वजह है कि विपक्ष के नेता भी बाबा के नाम पर विरोध करने से परहेज करते नजर आ रहे है। अखिलेश ने पुलिस प्रशासन की ओर से मामले में अब तक हुई गिरफ्तारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि परंपरागत धार्मिक आयोजनों में पुख्ता इंतजाम की जिम्मेदारी सरकार की है। उनका यह भी कहना है कि अगर भाजपा सरकार कहती है कि इससे उसका कोई लेना-देना नहीं, तो उसे सरकार में रहने का हक नहीं।
हाथरस में पीड़ित परिवारों से मिलने राहुल गांधी गए जरूर, पर उन्होंने भी खुद को समुचित इलाज और मुआवजे की मांग तक सीमित रखा। किसी ने समस्या की असल जड़ पर सवाल नहीं उठाया कि घटना के मुख्य सूत्रधार पर कार्रवाई क्यों नहीं? बसपा प्रमुख मायावती ने भोले बाबा के खिलाफ एक्शन की मांग की है। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकारी तंत्र जिसने कार्यक्रम की परमीशन दिया और व्यवस्था नहीं करायी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। सावादारो को जेल भेजकर सरकार क्या संदेश देना चाहती है।
हलांकि सरकार की सख्ती के बाद प्रशासन ने सेवादारों पर शिकंजा जरूर कसा है। हालांकि भोले बाबा के खिलाफ तात्कालिक तौर पर कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य न होने की बात कह कर बाबा के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई है। राजनैतिक विश्लेषक डाॅ अमित कुमार कहते है कि भोले बाबा जाटव समेत कई दलित जातियों के लोगों के बीच मसीहा बनकर उभरा है। वह राजनीतिक पार्टियों से अपने अनुयायियों को लेकर सौदेबाजी करने की स्थिति में भी है। जाहिर है कि इसमें मायावती को भी अपने लिए खतरा महसूस हो रहा है और उन्होंने इस तरह के बाबाओं से दूर रहने का आह्वान किया है।

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