तहसीलदार ने किया गजब खेला वाद दाखिला के तीसरे दिन फैसला,एक दिन में 60 वाद निस्तारित,अरबो की जमीन हो गई भू-माफियाओं के नाम ,अब जांच शुरू


फूलपुर तहसील में 2015 में अरबों रुपये की सरकारी जमीन को भूमाफिया के नाम करने का अजब खेल खेला गया है। तत्कालीन तहसील प्रशासन ने एक दिन में 60 वादों को निस्तारित कर करीब 1800 बीघे जमीन भूमाफिया के नाम कर दी। इनमें से 52 वाद तो दाखिल करने के एक दिन बाद ही निस्तारित कर दिए गए। खास बात है कि ज्यादातर मामलों में सुनवाई करने वाले अधिकारी ने राजस्व टीम की आख्या पर बस ओके लिख दिया है।
झूंसी के पास स्थित आठ गांवों में इस जमीन की कीमत नौ से 10 अरब रुपये बताई जा रही है। अब डीएम की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय टीम को पूरे मामले की जांच कर एक महीने में रिपोर्ट शासन को भेजनी है। मामला दिसंबर 2015 का है। बलवान सिंह यादव नामक व्यक्ति ने अप्रैल को यह शिकायत की थी। शिकायतकर्ता की ओर से एसडीएम के स्तर पर हुए 61 आदेशों की प्रति भी लगाई है, जिसके माध्यम से 1800 बीघे जमीन अलग-अलग लोगों के नाम कर दी गई है। इस आधार पर मंडलायुक्त के निर्देश पर कराई गई प्रारंभिक जांच में बड़े ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
शिकायतकर्ता के पत्र व मंडलायुक्त की ओर से सात जून को भेजी जांच रिपोर्ट के अनुसार इन भूखंडों से संबंधित 52 वाद10 दिसंबर 2015 को दाखिल हुए थे। इसके अलावा आठ वाद इससे तीन दिन पहले यानी सात दिसंबर को दाखिल हुए थे। इन सभी 60 वादों को 12 दिसंबर को निस्तारित कर दिया गया। इसके विपरीत एक वाद उसी वर्ष 10 दिसंबर को दाखिल हुआ था, जिसका निस्तारण पिछले वर्ष छह नवंबर हुआ।
ज्यादातर वादों में तहसीलदार की ओर से आख्या लगाई गई है, जिसे एसडीएम ने स्वीकृति प्रदान कर दी। कई वाद में तहसीलदार की आख्या के आगे बस ओके लिख दिया गया है। वाद निस्तारण को लेकर स्पष्ट आदेश नहीं दिया गया है और न ही इसके अंतिम रूप से निस्तारण संबंधी आदेश के औचित्य को ही स्पष्ट किया गया है। इन आदेशों से यह स्पष्ट भी नहीं है कि इनके निस्तारण में इतनी तत्परता क्यों दिखाई गई।
शासन की ओर से पूरे मामले की जांच के लिए कहा गया है। डीएम, एडीएम सिटी और बंदोबस्त चकबंदी अधिकारी की जांच समिति यह भी देखेगी कि इन वादों का निस्तारण किन परिस्थितियों में अप्रत्याशित शीघ्रता से किया गया है। जांच समिति यह भी देखेगी कि तत्कालीन प्रशासन व्यक्तियों, भूमाफिया, बिल्डरों के बीच संबंधों को भी देखेगी, जिसकी वजह से वादों के निस्तारण में अतिशीघ्रता दिखाई गई।
बलवान सिंह की ओर से 255 पेज का शिकायती पत्र दिया गया है। इसमें रेवेन्यू केसेज कंप्यूटराइज्ड सिस्टम पोर्टल पर अपलोड सभी 61 आदेशों की प्रति भी लगाई गई है। इस आधार पर मंडलायुक्त की ओर से जांच कराके पिछले महीने रिपोर्ट भेजी गई थी। इन्हीं आधारों पर अपर मुख्य सचिव राजव पी.गुरु प्रसाद ने डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इसके अलावा आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद की अनुमति पर उत्तर प्रदेश उप भूमि व्यवस्था आयुक्त भीष्मलाल वर्मा की भी ओर से भी जांच का आदेश दिया गया है।
डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। तहसील से सभी आदेशों की मूल कॉपी मंगाई गई है। निबंधन कार्यालय से सभी संबंधित भूखंडों की रजिस्ट्री की मूल प्रति मंगाई गई है। इसके अलावा कलक्ट्रेट एवं तहसील में रखे गए भूखंड से संबंधित पुराने दस्तावेज भी मंगा लिए गए हैं। ताकि, यह देखा जा सके कि यह ग्राम समाज की ही जमीन है। पूरे मामले में उस दौरान तैनात एसडीएम, अफसरों और कर्मचारियों से भी पूछताछ की जाएगी।

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