सरकारी एम्बुलेंस ढो रही है प्राइवेट सवारी विभाग के हुक्मरान क्यों है बेखबर?
जौनपुर। जिले के स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला प्रकाश में आया है। साधन,तेल खर्च सरकार का और आमदनी एम्बुलेंस चालको की है ने बड़ा भ्रष्टाचार, स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष से लेकर अन्य सभी अधिकारी और जिम्मेदार बेखबर है या इस भ्रष्टाचार के सहभागी यह एक बड़ा और अनुत्तरित सवाल विभाग के उपर खड़ा हो गया है। क्या जिले से लगायत प्रदेश तक के अधिकारी इस मामले को गम्भीरता से लेते हुए एक्शन मोड में आयेंगे या फिर एम्बुलेंस चालको के कमाई का धन्धा अनवरत जारी रहेने वाला है।
यहां बता दे कि प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार ने इमर्जेंसी के समय आम जनमानस की जान बचाने के लिए सरकारी खर्चे पर सरकारी एम्बुलेंस चलवाया था ताकि कोई भी गम्भीर रूप से घायल अथवा गम्भीर मरीज को तत्काल चिकित्सकीय सुबिधा प्रदान कर उनकी जांन बचाई जा सके लेकिन अब तो इस एम्बुलेंस वाहन को उसके चालक अपनी कमाई का जरिया बना लिए है और स्वास्थ्य विभाग के सभी अधिकारी जान कर भी अंजान बने हुए है।इसके पीछे का कारण है कि चालको से जिम्मेदार अधिकरी भी अपनी जेब गरम करने से परहेज नहीं करते है।
एम्बुलेंस को यात्री किराए के वाहन के रूप में पोल तब खुली जब जनपद के दक्षीणान्चल स्थित जनपद के विकास खंड बरसठी क्षेत्र के दंताव गांव में यात्रियों से भरी एंबुलेंस पहुंची। इस दौरान कुछ एक जागरूक ग्रामीणों ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इसे लेकर अब तो आम जन के बीच में तरह- तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
ग्रामीण जनों द्वारा बताया जा रहा है कि जौनपुर एंबुलेंस सदर से यात्रियों को लेकर बरसठी के दंताव गांव में झाड़ फूंक करवाने के लिए गयी थी एम्बुलेंस में महिलाओं सहित पुरुष भी सवार रहे है। जिसमें चार महिलाओ के साथ में वाहन में दो पुरुष भी शामिल रहे। जो पीछे गेट से बाहर आते दिखाई दे रहे हैं। गांव के लोगों से यह भी पता चला कि यह एंबुलेंस किसी मरीज को नहीं बल्कि किराए पर यात्रियों को ढोने का काम कर रही है।
वीडियो बनाने वाले लोगों ने जब ड्राइवर से पूंछा की आखिर एंबुलेंस से सवारी किसके कहने पर लाद रहे हो। इस पर उसने वीडियो बंद करने के लिए फोन की ओर झपटा और अपनी कमियों को छिपाने का प्रयास किया। एंबुलेंस में सवारी ढोने का वीडियो वायरल होने पर स्वास्थ विभाग पर सवाल खड़ा हो रहा है।
इस तरह एम्बुलेंस से सवारी ढोने की एक घटना तो पकड़ में आ गई। लेकिन जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि लगभग 50 प्रतिशत एम्बुलेंस वाहन को चालक सवारी वाहन बनाते हुए उससे सरकारी तेल और खर्च पर अपने आमदनी का जरिया बनाए हुए है। इस घटना के बाबत सीएमओ से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन सम्पर्क नहीं हो सका। सीएमएस बेखबर है उनको सरकारी एम्बुलेंस क्या करती है पता नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र ने बताया कि प्रतिदिन सरकारी एम्बुलेंस को तेल आदि सरकारी खजाने की राशि से दिया जाता है। लागबुक तो चालक ही भरता हो अधिकारी बगैर छानबीन किये ही उस पर अपने हस्ताक्षर की चिड़िया बैठा दे रहे है। कारण जो भी हो लेकिन स्वास्थ्य विभाग में एक नये तरीके का एम्बुलेंस से सवारी ढोने वाला भ्रष्टाचार अब जन मानस के बीच चर्चा कि बिषय बना हुआ है।
बड़ा बड़ा अधिकारी जनता का अनावश्यक धन लूट रहे यहाँ , ये तो ड्राइवर ही हैं ,
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