जानिए जौनपुर की दोनो लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का सूपड़ा साफ होने के लिए जिम्मेदार कौन थे
जौनपुर। लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही अब जिले के चट्टी चौराहे एवं चाय की अड़ियों पर जौनपुर की दोनो संसदीय सीट 73 जौनपुर एवं 74 मछलीशहर सुरक्षित पर भाजपा की हार के कारणो की कहांनी सामने आने लगी है। चुनाव परिणाम आने के एक दो दिन बाद तक तो हारने वाले और उनकी टीम कोमा में चली गई थी लेकिन दो दिन बाद हार के कारण की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जन चर्चाओ पर विश्वास करे तो भाजपा की पराजय के पीछे खुद भाजपाई और भाजपा के कोर वोटर ही नजर आ रहे है।
73 जौनपुर संसदीय सीट की बात करे तो यहां पर भाजपा ने जौनपुर से भाजपा की राजनीति करने वालो की उपेक्षा करते हुए महाराष्ट्र की राजनीति करने वाले कांग्रेस से भाजपा में आने वाले कृपाशंकर सिंह पर दांव लगाया था। इनके मुकाबले सपा ने पीडीए का फार्मूला अख्तियार करते हुए यूपी के वरिष्ठ नेताओ में शुमार जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूसिंह कुशवाहा को सपा के बैनर तले चुनाव मैदान मे उतारा था जो भाजपा को 99335 वोटो से पराजित कर लोकसभा की दहलीज पर पहुंच गए है।
अब यहां बता दे कि भाजपा द्वारा कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित करने के बाद जौनपुर के भाजपा जन नाराज हुए और मतदान के दिन तक नाराजगी दूर नहीं की जा सकी और चुनाव दबा रहा। इतना ही नहीं जौनपुर के भाजपा के नेता जान गये कि अगर कृपाशंकर सिंह सांसद बने तो जौनपुर के नेताओ की राजनीति नेपथ्य में चली जायेगी। इसीलिए चाहे जिलाध्यक्ष हो अथवा विधायक गण हो अथवा जिले के सभी नेता गण हो यहां तक कि बूथ के कार्यकर्ता तक सक्रिय नहीं हुए और कृपाशंकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं कृपाशंकर सिंह के साथ आठ से दस की संख्या में जिले के ऐसे लोगो ने शुरूआती दौर में घेरा बन्दी कर लिया था जिसकी आम छबि जौनपुर की जनता के बीच बहुत ही नकारात्मक रही है। यह भी भाजपा की हार का एक बड़ा कारण रहा।
कृपाशंकर सिंह चुनाव जीतने के लिए साम दाम दन्ड भेद सब कुछ आजमाया इसी के तहत जौनपुर के बाहुबली नेता धनंजय सिंह को एक सामान्य मुकदमें में जिसमें वादी से लेकर गवाह तो होस्टाइल हो गए थे उसमे सात साल की सजा कराने से लेकर जौनपुर की जेल से बरेली जेल भेजवाने तक का खेल भाजपा के एक राष्ट्रीय नेता के जरिए कराया बाद में धनंजय सिंह के उपर ऐसा दबाव बनवाया कि वह खुद चुनाव मैदान से बाहर होते हुए बसपा से अपनी पत्नी को मिले टिकट को वापस कर दिया।
इसके बाद धनंजय सिंह बाहर से भाजपा का सपोर्ट तो किए लेकिन अन्दर खाने में जबरदस्त खेल करते बदला भी ले लिया। यहां बता दें मल्हनी विधान सभा क्षेत्र जहां बाहुबली का अपना दबदबा रहता है वहां सपा ने अपनी ताकत का अह्सास कराया और 31 हजार मतो से सपा की जीत दर्ज करायी थी। यहां पर पीडीए के लोग बाहुबली को नजरअंदाज कर गये है। इसके अलावां विधायक रमेश मिश्रा सहित विधायक रमेश सिंह और राज्य सभा की सदस्य ने बदलापुर, शाहगंज और मुंगराबादशाहपुर विधान सभाओ में ऐसा खेल किया कि भाजपा को पराजय मिली।
खुद कृपाशंकर सिंह प्रदेश की समीक्षा बैठक में अपनी हार के लिए भाजपा के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह और महामंत्री सुशील मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है। जनमत है कि इन्ही लोगो के चलते भाजपा का बूथ कार्यकर्ता घर बैठ गया और परिणाम भाजपा के खिलाफ चला गया। इतना ही नहीं कृपाशंकर सिंह के समाज के लोग यानी राजपूत युवाओ ने जैसे ही चुनाव में जातिवाद का संकेत दिया भाजपा पिछड़े वर्ग के कोर मतदाता पीडीए की तरफ मुड़ गये और शोर गुल से दूर रहकर साइकिल का बटन दबा दिया यह भी भाजपा के हार का महत्वपूर्ण कारण रहा।
इसी तरह 74 मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा के पराजय पर नजर डाली जाए तो यहां पर भाजपा की हार के लिए खुद प्रत्याशी ही जिम्मेदार रहा है।मछलीशहर सीट से चुनाव मैदान उतारे गये वीपी सरोज 2019 के चुनाव में सत्ता और जिला प्रशासन की कृपा से 182 वोट से सांसद बने थे। सांसद बनने के बाद अहंकार और जाति वाद में इतने ग्रसित हुए कि अपने पांच साल के कार्यकाल में 1365 सवर्ण खास कर राजपूत और ब्राह्मण परिवार के लोगो पर थाने में हरिजन बनाम सवर्ण का मुकदमा लिखवाया और उनको जेल की सीखचों के पीछे भेजवाया था। पुन: 2024 में टिकट मिलने पर क्षेत्र के राजपूत और ब्राह्मण मतदाता अपने उपर हुए जुल्म का बदला लेने का मन बना लिए थे।
भाजपा नेतृत्व के दबाव में अपनी पीड़ा दबाते हुए राष्ट्र के नाम पर भाजपा के साथ जाने का मन बना रहे थे तभी चुनाव मे मतदान की तीन दिन पूर्व वीपी सरोज ने मछलीशहर विधान सभा क्षेत्र में अपने भाषण के दौरान कहा उत्तर प्रदेश में अगर बुलडोजर बाबा लखनऊ में बैठे है तो जौनपुर हम यानी वीपी सरोज एससी- एचटी बाबा है। इसके बाद फिर सवर्ण मतदाता भड़के और बूथ गये ही नहीं जो गया उसने नोटा दबा दिया। जिसका परिणाम रहा कि सपा प्रत्याशी प्रिया सरोज जो केराकत विधायक तुफानी सरोज की बेटी थी ने जनता का मन जीता और 35,850 वोटो से भाजपा के वीपी सरोज को पटखनी देते हुए लोकसभा की दहलीज पर पहुंच गयी है। इस तरह भाजपा को यहां पर सवर्ण मतदाताओ की नाराजगी भारी पड़ गई।
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