सपा के इन नेताओं की पदों से छुट्टी तय, चुनावी नतीजे सामने, अब सख्त रुख अपनाएंगे राष्ट्रीय अध्यक्ष


लोकसभा चुनाव में बगावत करके घरों में कैद रहने वाले सपा नेताओं को संगठन के पदों से छुट्टी होना तय मानी जा रही है। पार्टी मुख्यालय से ही ऐसे नेताओं को चिह्नित कर लिया गया है। जिले की नई कार्यकारिणी में भी ऐसे नेताओं को स्थान मिलना मुश्किल है।
डा. एसटी हसन का टिकट कटने के बाद सपा के कई नेताओं ने पार्टी से बगावत करके घर बैठ गए थे। इनमें संगठन के गुट के नेता और उनके समर्थकों के तमाम नाम शामिल हैं। कई पूर्व पार्षद और सपा के कद्दावर नेताओं ने भी इसी कारण चुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखाई जबकि डा. एसटी हसन हो या रूचि वीरा टिकट देने और काटना दोनों फैसले सपा मुखिया अखिलेश यादव के ही थे।
ऐसे में पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले नेताओं को तो इस तरह नहीं करना चाहिए था। पार्टी किसी भी नेता से ऊपर होने पर भी सफलता मिलती चली जाती है। यह भी तमाम नेताओं ने नहीं सोचा। कुछ ऐसे भी नेता थे, जिनको चुनाव में बुलावे का इंतजार रहा लेकिन, ऐसा हुआ ही नहीं। सपा के एक गुट के बगावत के बाद भी रूचि वीरा मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुन ली गईं।
स्थानीय नेताओं में कांठ विधायक कमाल अख्तर, जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव, पूर्व महानगर अध्यक्ष शाने अली शानू का अहम रोल रहा। दूसरा सांसद रूचि वीरा की अपनी टीम बहुत मजबूत थी। एक विधानसभा में तो उन्होंने स्थानीय नेताओं के साथ अपनी टीम खड़ी कर दी। इसे लेकर काफी चर्चा भी रही। ऐसे में अब चुनाव होने के बाद लोकसभा चुनाव में गुटबाजी को हवा देने वाले नेताओं पर कार्रवाई हो सकती है।
इसमें स्थानीय नेताओं के अलावा कुछ अन्य नेताओं के नाम भी शामिल हैं। इसी गुटबाजी के कारण सपा के एक गुट ने मुरादाबाद से सांसद बनी रूचि वीरा के चुनाव से भी दूरी बनाए रखी। वह पार्टी से निष्ठा जताने के लिए आसपास की सीटों के प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने का बहाना बनाते रहे। लेकिन, राष्ट्रीय अध्यक्ष तक उनकी सारी बातें पहुंचती रहीं। अब ऐसे सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की बारी है।
जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने बताया कि अभी हमने इस बारे में कुछ नहीं सोचा है। हमें सबको जोड़कर रखना है। पार्टी के नेताओं को कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन, जो काम नहीं करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई भी होगी।

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