लम्बे इंतजार के बाद धनंजय सिंह ने किया रूख साफ आखिरकार गये भाजपा की ही ओर, चुनाव पर कितना होगा इसका असर?
जौनपुर। जौनपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का सपना संजोए जिले के बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह का सपना जब राजनैतिक दबावो के चलते साकार नहीं हो सका और एक अपहरण और रंगदारी वसूली के आरोप में सजाय आफ्ता घोषित हो तो पत्नी के जरिए सांसद बनने के सपने को साकार करने के लिए बसपा का दामन पकड़ा लेकिन राजनैतिक दबाव और खुद की रक्षा सुरक्षा के लिए राजनैतिक दबाव के आगे फिर अपने कदम को पीछे लिया और बसपा ने अपने सांसद पर दांव लगाया।
बसपा से टिकट कटने के बाद बसपा ने धनंजय सिंह पर स्वयं दबाव के कारण चुनाव लड़ने से इनकार करने का आरोप लगाया तब धनंजय सिंह मीडिया के सामने आ कर बयान दिया कि वह दबाव की राजनीति नहीं करते है। उस समय उन्होने भाजपा के प्रत्याशी पर अपरोक्ष रूप से अपने टिकट को कटवाने का आरोप भी लगाया था। साथ में यह भी कहा कि हम जिसे चाहेंगे वही सांसद बनेगा। इस बयान के बाद धनंजय सिंह चुप हो गए थे।
हलांकि राजनैतिक हलको में चर्चा चल रही थी कि धनंजय सिंह भाजपा का दामन थामने वाले है।लेकिन उनके समर्थक उनके निर्णय के इंतजार में थे।
अचानक 13 मई को धनंजय सिंह का एक पोस्टर वायरल हुआ कि अपने समर्थको की राय लेगे। 14 मई को आझू राय इन्टर कालेज शेरवां में अपने समर्थको की बैठक में तमाम सैध्दांतिक बातो पर चर्चा करते हुए अपने समर्थको को संदेश प्रेषित कर दिया कि वह भाजपा के साथ चले इससे एक बात का स्पष्ट संकेत भी मिल गया कि धनंजय सिंह भविष्य की सियसी पारी भाजपा के साथ खेलने का मन बना चुके है। हलांकि धनंजय सिंह को चुनाव मैदान से हटने के बाद से ही उनके समर्थक भाजपा के पाले में घूमने लगे थे।
धनंजय सिंह के एलान के बाद अब जिले में 73 लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक बनाम सवर्ण की जंग शुरू हो गई है। धनंजय सिंह के समर्थन का असर चुनाव पर कितना होगा यह तो मत गणना के बाद ही साफ होगा लेकिन अब संविधान बचाने और अभिव्यक्त की आजादी और सनातन एवं धर्म आदि के बीच लड़ाई होगी।
बकवास है पिछड़े व अगड़े की लड़ाई ।
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