मछलीशहर (सु) लोकसभा में सवर्ण मतदाताओ की नाराजगी भाजपा के लिए बनी बड़ी समस्या,क्या होगा परिणाम?
जौनपुर। लोकसभा चुनाव में छठवें चरण के मतदान के तिथि की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही अब मतदाताओ का ध्रुवीकरण भी धीरे धीरे होने लगा है। जबकि चुनाव लड़ने वाले सभी दलो के प्रत्याशी और समर्थको को मतदाता अभी भी गुमराह करते हुए सभी को वोट देने का वादा करते भी नजर आ रहे है। जिसका परिणाम यह है कि सभी प्रत्याशी अभी अपने जीत का दावा कर रहे है लेकिन सच तो यह है कि मतदाता अब किसी के भाषण और बहकावे में आने से परहेज करते हुए लोकसभा में क्षेत्र के प्रतिनिधित्व के लिए किसे सांसद बनाना है ऐसा मन बना लिए है। मतदाताओ की रूझान अब संकेत देने लगी है कि मछलीशहर सुरक्षित से सांसद कौन बन सकता है।
यहां बता दें कि जनपद जौनपुर में दो लोकसभा क्षेत्र है जौनपुर संसदीय क्षेत्र सामान्य है तो मछलीशहर (सु) संसदीय क्षेत्र है। आज जनपद के मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा सीट के प्रत्याशियों की समीक्षा करेंगे। मछलीशहर सुरक्षित से सपा भाजपा और बसपा तीनो राजनैतिक दलो ने पासवान समाज के लोगो पर दांव लगाया और चुनावी जंग में उतार दिया है। इसके अलांवा इस क्षेत्र से 11 लोग छोटे दल अथवा चुनावी सीजनल दल या फिर निर्दल चुनाव के मैदान में कागज पर तो लेकिन मतदाताओ के बीच उनकी कोई चर्चा नही है।
मछलीशहर सुरक्षित संसदीय सीट पर भी सपा और भाजपा की सधी लड़ाई है बसपा यहां पर भी एक डमी प्रत्याशी के रूप चुनाव मैदान मे नजर आ रही है। सपा ने अपने पार्टी के पूर्व सांसद और वर्तमान में केराकत विधायक तुफानी सरोज की पुत्री प्रिया सरोज को अपना प्रत्याशी बनाया है तो भाजपा ने अपने सांसद भोला प्रसाद (वीपी) सरोज पर दांव लगाया है वहीं पर बसपा ने पूर्व आईएएस अधिकारी रहे कृपाशंकर सरोज को चुनावी मैदान में उतारा है।
यहां पर गहन सर्वे के बाद जो स्थित नजर आयी है उसके अनुसार भाजपा के वीपी सरोज के विरोध में सवर्ण मतदाता पूरी तरह से दिख रहा है। भाजपा के कई क्षत्रिय नेता वीपी सरोज के खिलाफ क्षेत्र में प्रचार भी शुरू कर दिए है। क्षत्रियो के साथ बड़ी तादाद में ब्राह्मण मतदाता भी वीपी सरोज के खिलाफ खुल कर आवाज बुलंद करते नजर आ रहे है। इसका मुख्य कारण जो सामने आया है वीपी सरोज अपने पिछले पांच साल के कार्यकाल में मछलीशहर लोकसभा के अन्दर 1365 सवर्णो के उपर हरिजन बनाम सवर्ण का मुकदमा दर्ज करा कर उनके जीवन को नरक बनाने का काम किया है। इसके अलांवा अपने पांच साल के कार्यकाल में पूरे लोकसभा क्षेत्र में एक भी ऐसा विकास का काम नहीं किया जिसे जनता को तालठोंक कर बता सके।
इस संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा क्षेत्रो में तीन पर सपा का कब्जा है जिसमें मछलीशहर सुरक्षित, केराकत सुरक्षित, और जफराबाद शामिल है।मड़ियाहूँ मे तो भाजपा गठबंधन का विधायक है। महज एक सीट पिण्डरा से ही भाजपा का विधायक है। इस तरह भी देखा जाये तो सपा की प्रिया सरोज का पलरा भारी नजर आता है। हलांकि प्रिया सरोज के पिता तुफानी सरोज भी सवर्ण विरोधी मानसिकता के नेता है लेकिन उन्होने किसी सवर्ण को हरिजन बनाम सवर्ण के मुकदमे में फंसाने का काम नहीं किया है। जहां तक पासवान समाज के नेता की बात है तो तुफानी पासवान समाज में और प्रत्याशियों से अधिक ग्राह्य माने जा रहे है। इसलिए भी प्रिया सरोज की स्थित मजबूत नजर आ रही है।
बसपा के कृपाशंकर सरोज चुनाव से पहले कभी भी क्षेत्र की जनता के बीच नहीं गये इसलिए उनकी पहचान तक मतदाताओ के बीच नहीं के बराबर है।बसपा का मूल वोटर हरिजन उनको कितना वोट करेगा यह तो गणना के बाद ही साफ होगा लेकिन इतना तो सच है कि बसपा की कमजोर लड़ाई का लाभ सपा और भाजपा दोनो दल उठाने की फिराक में है। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का संविधान बचाने के नाम पर गठबंधन को अधिक फायदा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओ की संख्या पर दृष्टिपात करने के बाद पता चलता है कि यहां पर कुल 1923872 मतदाता है जिसमें 1006760 पुरूष और 917026 महिला मतदाता शामिल है। इसमें जातीय आंकड़े जो मिले है उसके अनुसार पिछड़ा और दलित का बड़ा वोट बैंक है। यादव 2.25 लाख है तो अनुसूचित 2.45 लाख मतदाता है।क्षत्रिय यहां 1.80 लाख बताये जा रहे है। ब्राम्हाण को 1.70 लाख है। मुस्लिम 89 हजार के आसपास है। पासवान समाज का भी 2 लाख के आसपास वोट बैंक है। इसके अलांवा अन्य जातियो के मतदाताओ की संख्या मानी जा रही है। जनमत है इस क्षेत्र में क्षत्रिय वोटर निर्णायक भूमिका में रहते है वह वीपी सरोज से नाराज है तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि परिणाम क्या होने वाला है।
खबर यह भी मिली है कि नाराज सवर्ण मतदाता बड़ी तादाद में वोट देने से या तो परहेज कर सकते है या फिर नोटा भी दबा सकते है।
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