लोकसभा चुनाव: मुद्दे हुए गायब जातीय समीकरण का खेल शुरू,चुनावी जंग का जानिए अब क्या बना है समीकरण

जौनपुर। लोकसभा चुनाव में छठवें चरण में होने वाले मतदान के तरीख की उल्टी गिनती शुरू होने के साथ ही अब जनपद में चुनावी पारा का तापमान भीषण गर्मी के साथ ही आसमान पर पहुंचने लगा है।चुनाव मैदान में सभी दलो के नेता और प्रत्याशी अपना सबकुछ मतदाताओ को मनाने और पटाने के लिए झोंक दिया है। चुनाव के शुरूआत में लगा कि लोकसभा का चुनाव मुद्दो पर और विकास की योजनाओ पर होगा लेकिन जैसे जैसे मतदान की तिथि करीब आने लगी है चुनाव मुद्दो से हटकर जातीय समीकरण का खेल बन गया है। सभी दल के नेता और प्रत्याशी जातीय समीकरण साधने के लिए संबन्धित जाति और समाज के बड़े नेताओ को प्रचार प्रसार के लिए आमंत्रित भी करते नजर आ रहे है और खुद भी इसी दिशा मे अपनी जीत के लिए रणनीति भी बनाते नजर आ रहे है।
यहां बता दे कि जौनपुर संसदीय क्षेत्र से कागज पर तो 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है लेकिन चुनाव मुख्य रूप से सपा और भाजपा के ही बीच हो रहा है। बसपा भी पूरी तरह से नेपथ्य में जाती नजर आ रही है। जौनपुर संसदीय सीट से सपा ने प्रदेश में अपने पीडीए  योजना के तहत मौर्य समाज के बड़े नेताओ में शुमार जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे बाबूसिंह कुशवाहा पर दांव लगाया है तो भाजपा ने महाराष्ट्र की राजनीति करने वाले कृपाशंकर सिंह पर दांव लगाते हुए   चुनाव में जंग जीतने की कवायद में है। वहीं बसपा ने काफी उठा पटक और टिकटो को बदलते हुए अपने पार्टी के सांसद श्याम सिंह यादव पर दांव चला है। इसके अलांवा तमाम लोग ऐसे वोट कटवा के रूप में चुनावी मैदान में जिसे मतदाता नोटिस ही नही ले रहे है।
यहां पर बता दे कि बसपा पहले बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी पर श्रीकला रेड्डी को टिकट दिया था। तब बसपा अचानक चुनावी जंग में मजबूत मानी जा रही थी क्योंकि समीकरण के खेल में क्षत्रिय समाज के युवा बड़ी तादाद में धनंजय सिंह की पत्नी के साथ कदमताल मिला दिए थे लेकिन जैसे ही टिकट कटा फिर केसरिया पट्टा धारण कर लिए। क्षत्रिय समाज के लोगो  जैसे ही यह खेल चर्चा में आया पीडीए के लोग भी जातीय समीकरण ठीक करते हुए सपा की ओर चुपचाप रूप करते नजर आ गये है। बसपा चूंकी लड़ाई में कमजोर होकर लड़ने लगी तो बसपा के मूल मतदाताओ पर भी सपा और भाजपा की नजर टिक गई है वोटो की सेंधमारी का खेल भी शुरू हो गया  है और सपा का मूल वोट एक जुट दिखाई देने लगा उसमें किसी भी स्तर पर टूटन नहीं है।
जातीय समीकरण की इस जंग में सपा भाजपा से मजबूत दिखाई देने लगी क्योंकि इस खेल में भाजपा का एक मजबूत वोट मौर्य भाजपा का कमल छोड़कर जातीय गुणा गणित के तहत साइकिल पर सवार हो गया साथ ही पाल और विश्वकर्मा को अपने साथ जोड़ लिया। इस समाज के मतदाता अभी तक भाजपा के वोटर माने जाते रहे। लेकिन जैसे क्षत्रिय मतदाता अपने समाज के साथ जुड़े पीडीए का यह समाज भाजपा से खिसक लिया। इसकी भरपाई भाजपा किसी भी एंगिल से नहीं कर पा रही है।
जातीय समीकरण पर नजर डाली जाये तो जौनपुर संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाताओ की संख्या 1958554 है जिसमें 1015545 पुरुष है तो 942923 महिला मतदाता है। इसमें यादव मतदाता 2.50 लाख से अधिक है, मुसलमान 2.25 लाख के आसपास है, 2 लाख हरिजन मतदाता है, मौर्य 1.75 लाख मतदाता है, 2 लाख ब्राह्मण मतदाता है, 1.60 लाख के आसपास क्षत्रिय मतदाता है, 1.50 बनिया, 2 लाख के ही आसपास विन्द निषाद है, 1 लाख के आसपास चौहान, 1.25 कुर्मी मतदाताओ के साथ 1.73 लाख मे पाल, प्रजापती, विश्वकर्मा, शर्मा,नोनियां धुनियां कन्नौजिया,आदि जातिया शामिल है। इस तरह जातीय समीकरण पर भी नजर डाली जाए तो पीडीए का पलड़ा मजबूत नजर आ रहा है।
जनमत यह भी है कि यदि जिला प्रशासन किसी भी दल के साथ नहीं गया तो जौनपुर से गठबंधन की स्थिति मजबूत रह सकती है लेकिन यदि जिला प्रशासन किसी दल के साथ गया तो कुछ भी संभव है क्योंकि मतदान के बाद सबकुछ तो जिला प्रशासन की निगरानी और देखभाल में रहेगा। जिसके हाथ में चाभी होगी वह कुछ भी कर और करा सकता है। फिलहाल जनमत की माने तो जनता संविधान बचाने के लिए गठबंधन ञ साथ खड़ी नजर आ रही है। निष्पक्ष चुनाव होने पर अप्रत्याशित परिणाम नजर आएगा।

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