जौनपुर लोकसभा चुनावः विकास और जन हित के मुद्दे गायब,जातीय समीकरण और लालीपाप के सहारे सांसद बनने की है जुगत


जौनपुर। लोकसभा चुनाव में अब प्रत्याशी अपना सबकुछ दांव पर लगाते नजर आ रहे है तो जीत दर्ज करने के लिए साम दाम दन्ड भेद सब कुछ अपना रहे है। लेकिन मतदाता अभी पूरी तरह शान्त है। इस चुनाव में विकास के मुद्दे गायब है वहीं पर जाति धर्म के नाम पर वोट की दरकार रखते हुए अपने अपने जीत की इबारत लिखने का खेल चल रहा है। इतना ही नहीं सच से कोसो दूर का लालीपाप भी मतदाताओ को परोसा जा रहा है जिससे वह भी भ्रमित होकर प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर दे। 
जौनपुर के 73 लोकसभा क्षेत्र की बात करे तो नामांकन और नाम वापसी तथा सिम्बल एलाट मेन्ट के बाद अब स्थित साफ हो गई है कि जौनपुर संसदीय सीट पर सपा भाजपा बसपा सहित कुल 14 दलो के और निर्दल प्रत्याशी चुनाव मैदान में है और सभी अपने जीत का दावा करते हुए मतदाताओ के बीच अपनी योजनाओ को लेकर पहुंच रहे है। लेकिन क्षेत्र में अब जो परिस्थिति दिखाई दे रही है उसके अनुसार सपा और भाजपा का सीधा मुकाबला होने की प्रबल संभावना है। बसपा को लोग अभी से लड़ाई से बाहर मानने लगे है।
सपा और इण्डिया गठबंधन से सपा प्रत्याशी के रूप प्रदेश के कद्दावर नेताओ में शुमार बाबूसिंह कुशवाहा चुनाव मैदान है। इनका नारा है बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर के द्वारा लिखित संविधान को बचाने के लिए और अपने बच्चो के भविष्य को संवारने के लिए तथा जिले के विकास के लिए जौनपुर संसदीय क्षेत्र की जनता इण्डिया गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में साइकिल पर अपनी मुहर लगाये। इसके अलांवा बाबूसिंह कुशवाहा जौनपुर की जनता की स्वास्थ्य सुविधाओ को बेहतर बनाने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा जौनपुर को दिए गए 
 मेडिकल कॉलेज जो आज तक अधूरा पड़ा है को तत्काल सुदृढ़ीकरण के साथ सभी सुविधाओ के साथ चालू कराने का वादा जनपद की जनता से कर रहे है। इसके अलांवा सड़क पानी बिजली के साथ बड़े उद्योग को जौनपुर संसदीय क्षेत्र में स्थापित कराने का वादा करते हुए जौनपुर के विकास के नाम पर वोट मांग रहे है। सबसे बड़ा मुद्दा बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के संविधान को बचाने का इनके द्वारा उठाया गया है। जिसको भाजपा के तमाम नेता बदलने की बात कर चुके है।
भाजपा ने जिले के नेताओ को उपेक्षित करते हुए जौनपुर संसदीय सीट पर महाराष्ट्र की राजनीति करने वाले कृपाशंकर सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। हलांकि श्री सिंह अपना चुनाव चढ़ाने के लिए साम दाम दण्ड भेद सब कुछ आजमाए लेकिन अभी तक इनका चुनाव चढ़ नही सका है। इनको भाजपा के स्थानीय नेताओ की नाराजगी को अन्दर खाने अभी भी जूझना पड़ रहा है। इनके द्वारा जौनपुर के मतदाताओ को लुभाने के लिए घोषणा पत्र सेवा समर्पण पत्र के नाम पर जारी किया गया है उसमें जौनपुर में एम्स जैसा अस्पताल बनवाने की बात है। यहां बता दे कि 2014 में अखिलेश यादव ने जौनपुर को एक मेडिकल कॉलेज दिया उसको पूरी क्षमता के साथ बनाने और जौनपुर की जनता के स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए कृपाशंकर सिंह ने आज तक किसी भी स्तर पर आवाज तक नहीं उठाई और अब चुनाव के समय एम्स जैसे अस्पताल का लालीपाप दिखा रहे है। जौनपुर के स्टेशन पर वन्दे भारत ट्रेन का ठहराव कराने का लालीपाप दिखा रहे है जबकि केन्द्र सरकार की नियमावली के अनुसार वन्दे भारत ट्रेन महानगरो में ही रूक सकेगी। इतना ही नहीं जौनपुर जंक्शन पर यार्ड की सुविधा नहीं है फिर भी वन्दे भारत का लालीपाप इसके अलावा जनता से जुड़े खास मुद्दे की जगह योगी और मोदी जी के नाम के साथ सनातन धर्म के सहारे सहित जातिवाद के जरिए चुनावी बैतरणी पार करने की जुगत में लेकिन जनता मूर्ख नहीं है वह भी सब समझती है और अभी मौन साधे हुए है।
जहां तक बसपा की बात की जाये तो अप्रैल माह में बसपा ने जिले के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह रेड्डी को जैसे ही अपना प्रत्याशी घोषित किया बसपा सीधी टक्कर में गयी थी लेकिन राजनैतिक दबाव के कारण नामांकन के अन्तिम दिन बसपा प्रमुख मायावती ने जैसे ही श्रीकला धनंजय सिंह का टिकट काट कर अपने सांसद श्याम सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया वैसे ही बसपा धड़ाम से निचले पायदान पर पहुंच गई और जनता के बीच श्याम सिंह के पिछले कार्यकाल की यादो को ताजा कर आलोचनात्मक रूख नजर आने लगा। अब बसपा अपने मूल दलित मतदाताओ के भरोसे रह गई है। श्याम सिंह का अखिलेश यादव को लिखा एक पत्र जिसमे बद्दुआ देने आदि की बाते है वायरल है और इनके समाज के लोग ही आलोचना करते नजर आ रहे है।
इस चुनाव में अब जातिय गणित बैठाई जा रही है भाजपा के खेमे में सुबह के समय कई दिन नजर डाली गई तो वहां पर क्षत्रिय समाज की जबरदस्त भीड़ नजर आयी वहीं पर सपा के खेमा में देखा गया तो यादव मौर्य मुस्लिम पाल चौहान बिन्द आदि पिछड़ी जाति की बहुतायत लोग नजर आए। बसपा के खेमा में दलित समाज के अधिक संख्या लोग मौजूद मिले थे। शेष दल और प्रत्याशी कहां और कैसे चुनाव लड़ रहे है कहीं भी नजर नहीं आ रहा है। इस तरह अभी तक जौनपुर संसदीय सीट पर सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है।
यहां एक बात राजनैतिक समीक्षक और भी मान रहे है कि अगर सरकारी तंत्र निष्पक्ष रूप से चुनाव कराया और किसी दल की मदद नहीं किया तो परिणाम चौकाने वाला होगा और यदि सरकारी तंत्र ने किसी के पक्ष में कोई भूमिका अदा की तो जनता की मंशा के विपरीत परिणाम जानें संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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