विकास के साथ ही प्रकृति की रक्षा जरूरी- प्रो. ध्रुवसेन सिंह

जौनपुर । लखनऊ विश्वविद्यालय के भू विज्ञान विभाग के अध्यक्ष ख्यातिलब्ध भू वैज्ञानिक  प्रो. ध्रुवसेन सिंह ने कहा कि मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति प्रकृति  करती है. अगर हम अपने विकास के साथ प्रकृति की सुरक्षा नहीं कर सकेंगे तो आने वाला समय मानव के लिए बहुत ही कष्टकारी होगा. उक्त बातें उन्होंने  शनिवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान में कही. 
उन्होंने कहा कि पर्यावरण जिसका जलमंडल, स्थलमंडल और वायुमंडल हमको जीने की जो मूलभूत आवश्यकता है उसे प्रदान कर रहा है. वायुमंडल हमको मुफ्त में ऑक्सीजन दे रहा है जिसमें हम सांस ले रहे हैं. जलमंडल हमको मुफ्त में पानी दे रहा है जिसको हम पी रहे हैं और स्थलमंडल मुफ्त में हमको मृदा प्रदान कर रहा है जिसके ऊपर हम खेती करके अपना पेट भरते है. अगर पर्यावरण अगर प्रकृति हमको मुफ्त में जीने की मूलभूत आवश्यकता है हवा, पानी और मिट्टी प्रदान कर रही है तो हम सब की भी यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि पर्यावरण के उस भाग के संरक्षण के लिए सतत जागरूक रहें.
उन्होंने कहा कि पर्यावरण पृथ्वी का वह भाग है जो हमको जीने की मूलभूत आवश्यकता प्रदान कर रहा है लेकिन वर्तमान समय में पर्यावरण परिवर्तित हो रहा है और इसके परिवर्तित होने में दो मुख्य कारण है एक जलवायु और दूसरा प्रदूषण है. जलवायु परिवर्तन वह तो प्राकृतिक कर्म से परिवर्तित हो रहा है लेकिन प्रदूषण शत- प्रतिशत मानव जनित है. उन्होंने कहा कि  प्रकृति की जितनी भी चीज हैं वह सारी की सारी साम्य अवस्था में है हम उसमें कोई भी चीज जोड़ रहे हैं या कोई भी चीज घटा रहे हैं जिसके कारण उसके साम्य अवस्था में परिवर्तन आता है.  वही प्रदूषण है और वही प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनता है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए छोटे- छोटे स्तर पर प्रयास किये जा रहे है.

यह तभी संभव है जब हम प्रकृति के प्रति संवेदनशील होंगे. उन्होंने संस्थान में हो रहे शोध पर भी चर्चा की और कहा कि विश्वविद्यालय ने शोध की दिशा में भी बहुत सराहनीय कार्य कर रहा है.
संस्थान के  निदेशक प्रो. प्रमोद यादव, डॉ. श्याम कन्हैया सिंह, डॉ नीरज अवस्थी एवं डॉ शशिकांत यादव ने अतिथि को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान किया. 

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