जानिए आखिर अभिषेक सिंह ने क्यों दिया था इस्तीफा, जानें आईएएस बनने से लेकर इस्तीफ़े तक की कहांनी
जौनपुर। लोकसभा चुनाव से पहले 2011 बैच यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी अभिषेक सिंह अपनी 12 साल की सेवा के बाद अक्टूबर 23 में पद से वीआरएस लेते हुए इस्तीफा सरकार को भेजा था जो 29 फरवरी 24 को स्वीकार कर लिया गया है।अब वह लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हो गए है। इतना ही सत्ताधारी दल भाजपा से चुनाव मैदान में आने के लिए ताल भी ठोंक दिया है।भाजपा अगर टिकट देगी तो सांसद बनने के लिए चुनावी जंग में जोर आजमाइश करेंगे। बता दे
साल 2022 में आईएएस अभिषेक सिंह उस समय चर्चा में आ गए थे। जब वह गुजरात चुनाव में ऑब्जर्वर के तौर पर अहदाबाद भेजे गए थे तब उन्होंने सरकारी गाड़ी के सामने खड़े होकर एक फोटो पोस्ट कर दी थी इस घटना पर उनको सस्पेंड कर दिया गया था।
साल 2011 के आईएएस अधिकारी रहे अभिषेक सिंह एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इस बार उन्होंने जौनपुर के लोगों को भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए निःशुल्क बस सेवा शुरू की है। जो उन्हें रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या लेकर जाती राम मंदिर दर्शन के बाद उन्हें जौनपुर वापस भी छोड़ रही है चर्चा इस बात की भी है कि अभिषेक सिंह 2024 लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने के लिए भाजपा से टिकट पाने के लिए एड़ी से चोटी तक जोर लगाए हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर उनके चुनाव लड़ने की बातें चल भी रही है।
बता दे पिछले साल अक्टूबर 23 में अभिषेक सिंह अपने इस्तीफे को लेकर चर्चाओं में आए थे। हालांकि उस समय उनका इस्तीफा स्वीकर नहीं किया गया था लगभग पांच माह बाद वीआरएस के तहत अभिषेक सिंह का इस्तीफा सरकार ने स्वीकार कर उन्हे आजाद कर दिया है।
अभिषेक सिंह ने साल 2013 में अपने प्रशासनिक करियर की शुरुआत झांसी में जॉइंट मजिस्ट्रेट के तौर पर की थी। साल 2014 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और साल 2015 में उन्हें प्रतिनियुक्त कर तीन साल के लिए दिल्ली भेज दिया गया। इस अवधि की दो साल के लिए और बढ़ा दी गया था और इसी बीच अभिषेक सिंह मेडिकल लीव पर चले गए। जब वह लंबे समय तक वापस नहीं लौटे तो 19 मार्च 2020 को उनका ट्रांसफर दोबारा यूपी में कर दिया गया। फिर भी उन्होंने लंबे समय तक ड्यूटी जॉइन नहीं की और विभाग ने उनसे इसकी वजह पूंछी तो भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। 30 फरवरी, 2022 को वह ड्यूटी पर वापस लौटे।
इसके बाद साल 2022 में वह तब चर्चा में आ गए जब उन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ऑब्जर्वर बनाकर भेजा गया। तब उनकी एक फोटो काफी वायरल हुई, जिसमें वह सरकारी गाड़ी के सामने खड़े नजर आ रहे थे। फोटो के साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा- अहमदाबाद में ड्यूटी लगी है। चुनाव आयोग ने उनका आचरण उचित ना मानते हुए नवबंर, 2022 में उन्हें ऑब्जर्वर की ड्यूटी से हटा दिया। इसके बाद वह उत्तर प्रदेश वापस लौटे, लेकिन नियुक्ति विभाग को रिपोर्ट नहीं किया और बिना किसी को बताए नौकरी से गायब रहे।
फरवरी 2023 में अभिषेक सिंह को फिर निलंबित कर दिया गया और यूपी की योगी सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया था। इसके बाद अक्टूबर में उन्होंने इस्तीफा दे दिया। नियुक्ति विभाग के एक अधिकारी के अनुसार अभिषेक सिंह का इस्तीफा को मंजूरी फरवरी 24 में मिली है। इस्तीफे को स्वीकार करने में पांच महीना लगने के पीछे जो कारण सामने आया है उसके अनुसार जहां-जहां अभिषेक सिंह की तैनाती रही, वहां से एनओसी मांगी गई है. एनओसी केंद्र सरकार को भेजी जाएगी और फिर इस्तीफे को मंजूरी मिलेगी.
अभिषेक सिंह ने साल 2011 में यूपीएससी की परीक्षा क्लियर की। अभिषेक खुद बताते है कि प्यार में धोखा मिला तो कुछ बड़ा करने का जुनून सवार हो गया और वह आईएएस बन गए। दिल टूटने के बाद उन्होंने सुसाइड करने की सोची, लेकिन खुद को संभाला और यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। यूपीएससी को क्लियर किया और 94वीं रैंक हासिल की। यूपीएससी की तैयारी के दौरान उनकी मुलाकात दुर्गा शक्ति नागपाल से हुई और दोनों ने साल 2012 में शादी कर ली दुर्गा शक्ति नागपाल इस समय यूपी के बांदा जिले में डीएम हैं।
अभिषेक सिंह को एक्टिंग का शौक था इसलिए साल 2020 में उन्होंने ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा। सिंगर बी पार्क के गाने 'दिल तोड़ के' में उन्होंने काम किया। फिर जुबिन नौटियाल की एलबम 'तुझे भूलना तो चाहा' में भी काम किया. इसके बाद नेटफ्लिक्स की वेबसीरिज दिल्ली क्राइम के सीजन 2 में वह नजर आए. इसके अलावा, एक शॉर्ट मूवी 'चार पंद्रह' की और पिछले साल मार्च में उन्होंने गीतकार जानी और सिंगर हार्डी संधू के गाने 'याद आती है' में अपने जलवे बिखेरे। दो महीने पहले सनी लियोनी के साथ वह एक और सॉग 'थर्ड पार्टी' में भी दिखाई दिए. सोशल मीडिया पर भी उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. इंस्टाग्राम पर उनके 30 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
अभिषेक सिंह ने जौनपुर के रामभक्तों के लिए निषाद रथ यात्रा शुरू कर दिए है। 7 फरवरी से बसें रामभक्तों को अयोध्या राम मंदिर लेकर प्रतिदिन जा रही हैं रामलला के दर्शन कराकर दर्शनार्थियों को लेकर जौनपुर वापस लौटती है। इन बसों का नाम निषाद रथ रखा गया है. इस यात्रा के भी राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इससे पहले पिछले साल उन्होंने जौनपुर में गणेश उत्सव का आयोजन किया था। यह आयोजन काफी बड़े स्तर पर किया गया था और मुंबई से कई फिल्मी हस्तियां कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची थीं।
गणेश उत्सव कार्यक्रम के समय ही इस बात की चर्चा शुरू हो गई थी कि अभिषेक सिंह लोकसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि उस समय उन्होंने साफ तौर पर इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया था लेकिन चुनाव के घोषणा की उल्टी गिनती शुरू होते ही भाजपा से टिकट की दावेदारी ठोक दी है। जब तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं था तब तक वह खुल कर चुनाव के मैदान में आने से परहेज भले करते रहे लेकिन अन्दर ही अन्दर भाजपा से टिकट हथियाने के लिए चूर गांठ बैठाते रहे। अब वीआरएस के तहत इस्तीफा स्वीकार होने के बाद टिकट की लाइन में अपनी पूरी ताकत के साथ खड़े हो गए है। हलांकि भाजपा किस पर भरोसा करेगी यह तो भविष्य के गर्भ में है क्योंकि भाजपा में जौनपुर संसदीय क्षेत्र से टिकट के दावेदारो की बड़ी लम्बी फेहरिस्त है। सभी अपने आप में धुरंधर और उपर तक पकड़ रखने वाले नेता है।
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