मछलीशहर (सु) संसदीय क्षेत्र से सांसद बनने के लिए दावेदारो की जाने क्या है स्थित, कौन होगा पार्टी के लिए फायदेमंद
जौनपुर। लोकसभा की घोषणा अभी भले नहीं हुई है लेकिन सांसद बनने का सपना संजोने वाले सड़क के किनारे लगे बिजली के खम्भो और पेड़ की डालियों सहित सार्वजनिक भवनो की दीवारो पर अपने धन बल का प्रदर्शन शुरू कर दिए है और जन मानस के सबसे बड़े हितैषी साबित करने में लगे हुए है। चुनाव की आहट के पहले जो कभी भी समाज के बीच में नजर नहीं आते रहे। चुनाव की आहट लगते ही बिन बुलाए मेहमान बनने की प्रक्रिया भी शुरू कर दिए। चुनाव की आहट के साथ ही राजनैतिक धनपशू बरसाती मेढक की तरह बाहर निकल कर र्टर्ट शुरू कर दिये है।
हम जनपद के मछलीशहर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र की बात करे तो यहां पर 2019 के चुनाव में भाजपा का कब्जा महज 182 मतो से हुआ था और वीपी सरोज सांसद बन गये थे। सांसद बनने के बाद वीपी सरोज मछलीशहर संसदीय क्षेत्र की जनता को ऐसे भूले कि मानो उनसे कोई सरोकार ही नहीं है। बीते पांच साल के कार्यकाल में सांसद वीपी सरोज ने ऐसा कोई काम भी नहीं किया कि क्षेत्र की जनता के पसन्द बने रहे। वैसे भी वीपी सरोज 2019 के चुनाव में सत्ता की हनक और जिला प्रशासन की बेईमानी के चलते सांसद बन सके थे। बसपा प्रत्याशी को जबरन हराया गया था। इनकी आम छबि इतनी खराब है कि अगर किंचित भाजपा ने इन पर दांव लगाया तो उसे इस सीट का नुकसान संभव है।
भाजपा के बड़े और प्रदेश स्तरीय नेताओ में शुमार अपने राजनैतिक जीवन के पूरे कार्यकाल में भाजपा के लिए दिन रात लगे रहने वाले पूर्व सांसद, पूर्व प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा वर्तमान में भाजपा के एमएलसी एवं विधान परिषद के उपसभापति विद्यासागर सोनकर भी टिकट की लाइन में पूरी ताकत के साथ लगे हुए है। इनके बारे में आम जनमानस के बीच एक अच्छी छबि है।और पूरे संसदीय क्षेत्र में हमेशा जनता के साथ जुड़ाव रखकर उनके सुख दुख के साथी बने रहते है। मछलीशहर संसदीय क्षेत्र की जनता विद्यासागर सोनकर को खासा पसन्द भी करती है। इस क्षेत्र के तमाम पार्टी जनो से बातचीत करने पर पता चला विद्यासागर को चुनाव लड़ने की दशा में जनता खुद चुनाव लड़ सकती है भाजपा का सपना साकार हो सकता है।
इस तरह पूर्व विधायक केराकत दिनेश चौधरी की बात करे तो बतौर विधायक श्री चौधरी 2022 विधान सभा के चुनाव में पराजित हुए है इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इनकी कितनी सोहरत है। हलांकि दिनेश अपना राजनैतिक कैरियर सपा से शुरू किया लेकिन 2017 से भाजपा का झण्डा उठाए हुए है। ये भी पार्टी के लिए खास कर केराकत विधान सभा में लगातार पार्टी के लिए काम कर रहे है। हलांकि केराकत सुरक्षित विधान सभा क्षेत्र के अलांवा अन्य चार विधान सभाओ में इनकी पकड़ कमजोर मानी जा रही है।
अब बात करते है आयातित नेताओ की जो विगत छह माह पहले तक सपा का झण्डा उठाए भाजपा की नीतियों की आलोचना करते थे अब भाजपा में पहुंचते ही सांसद बनने का दिवा स्वप्न देखने लगे है और टिकट की लाइन में लग गए है। इसमें पहला नाम जगदीश सोनकर का है जो सपा सरकार में विधायक मंत्री सब बने लेकिन जनता के विकास के लिए अपने लगभग 20 सालो के राजनैतिक जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं किया जिससे जनता के बीच इनकी छबि अच्छी कही जा सके।हां बतौर विधायक और मंत्री भू-माफिया बन कर अपनी आर्थिक स्थिति को इतना मजबूत बना लिया कि कई पढ़ियां ऐस करेगी।मजेदार बात यह भी है राजनीति शुरू करने के पहले भी प्लाटर रहे बाद में भी वही किया आज भी गरीबो की जमीन औने पौने हथियाने का ही काम करते है। क्षेत्र की जनता इनसे खासी नाराज भी रहती है।ऐसा जनमत है। मजेदार बात यह भी है इनको भाजपा में लाने वाले अब पार्टी में हासिए पर चले गए है।
इस तरह एक नाम गुलाब सरोज का है 2012 के चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक बन गए। इसके बाद इनकी छबि इतनी खराब हुई कि 2017 और 2022 के चुनाव में सपा इनको टिकट देना ही मुनासिब नहीं समझा इसके बाद गुलाब सरोज भी जगदीश सोनकर के साथ भाजपा का दामन थाम लिए। भाजपा में आने के बाद यह भी सांसद बनने का सपना पाल लिए और चुनाव की आहट लगते ही अपने पोस्टर बैनर क्षेत्र में फैलाए जरूर लेकिन संसदीय क्षेत्र के सभी पांचो विधान सभाओ में खुद को स्थापित नहीं कर सके है। इसी तरह अनीता रावत, मेहीलाल गौतम और अजगरा विधायक टी राम के पुत्र जिन्हे आम जनमानस जनता ही नहीं, कभी जनता के बीच आते जाते भी नहीं है। ऐसे लोग भी सांसद बनने के लिए टिकट चाहते है।भाजपा ऐसे लोगो पर दांव लगाई तो उसका बेड़ा पार होना कठिन ही नहीं नामुमकिन हो सकता है।
मछलीशहर सुरक्षित संसदीय क्षेत्र में जौनपुर की चार विधान सभाएं मछलीशहर (सुरक्षित)
मड़ियाहूं, जफराबाद, केराकत (सुरक्षित) के अलांवा वाराणसी की पिण्डरा विधान सभा शामिल है। इस संसदीय क्षेत्र में पिछड़ा और दलित वर्ग का सबसे बड़ा वोट बैंक है। इसमें यादव,लगभग ढाई लाख, अनु सूचित जाति ढाई लाख से अधिक, ब्राम्हण सवा लाख के आसपास क्षत्रिय डेढ़ लाख के आसपास, वैस्य एक लाख तो मौर्य पौने दो लाख के आसपास है जबकि मुस्लिम एक लाख से कम ही है। इस तरह इस संसदीय क्षेत्र में अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक भूमिका में माने जा रहे है। इस तरह इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा को अपना विजय रथ आगे बढ़ाए रखने के लिए गहन मंथन के बाद प्रत्याशी के चयन की जरूरत होगी।
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