आरओ और एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा में नकल के मुद्दे पर जांच शुरू सभी 58 जिले के नोडल अफसरो से रिपोर्ट तलब
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की आंतरिक जांच समिति तेजी से आगे बढ़ रही है। आयोग ने 58 जिलों के नोडल अफसरों से परीक्षा केंद्रों को लेकर रिपोर्ट तलब की है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार अब तक जो भी साक्ष्य सामने आए हैं या अभ्यर्थियों की ओर से उपलब्ध कराए गए हैं, उनके अनुसार दोनों पालियों के प्रश्नपत्रों की उत्तरकुंजी परीक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल की गई। प्रथम प्रश्नपत्र की जो उत्तरकुंजी वायरल की गई, उसमें आधे सवालों के वैकल्पिक जवाब सही और आधे गलत हैं।
वहीं, दूसरी पाली में हिंदी के प्रश्नपत्र में केवल 28 सवालों के वैकल्पिक उत्तर सही हैं और बाकी सवालों के जवाब गलत हैं। अगर प्रश्नपत्र आयोग के स्तर से या प्रिंटिंग प्रेस के स्तर से आउट होता तो एक दिन पहले ही अभ्यर्थियों तक पहुंच गया होता और सभी सवालों के जवाब भी सहीं होते। सूत्रों के अनुसार अब तक हुई जांच में सामने आए इन तथ्यों के आधार पर माना जा रहा है कि अगर पेपर आउट हुआ है तो यह परीक्षा केंद्र के स्तर से हो सकता है।
हालांकि, इस बाबत भी कोई ठोस साक्ष्य सामने नहीं आया है कि पेपर परीक्षा केंद्र के स्तर से बाहर आया। वायरल हुए दोनों पेपर लाखों मोबाइल फोन तक पहुंचे, इसलिए इसकी जड़ तलाशने में अभी वक्त लगेगा। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा प्रदेश के 58 जिलों के 2387 केंद्रों में आयोजित की गई थी। ऐसे में आयोग एक-एक केंद्र को खंगाल रहा है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए सभी 58 जिलों के नोडल अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई है।
उनसे पूछा गया है कि किस केंद्र में पेपर कितने बजे पहुंचा और पेपर का बंडल कब खुला। इस पूरी प्रक्रिया की सीसीटीवी फुटेज भी मांगी गई है। प्रश्नपत्रों को कोषागार में सुरक्षित रखवाना, वहां से निकलवाना और परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाना स्थानीय प्रशासन के जिम्मे होता है और इसमें आयोग की कोई भूमिका नहीं होती है, सो सभी 58 जिलों के स्थानीय प्रशासन से भी संपर्क किया जा रहा है ताकि रिपोर्ट शीघ्र प्राप्त हो और जांच किसी निष्कर्ष तक पहुंचे।
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