सेहत के लिए वरदान है मोटा अनाज - जिलाधिकारी


जौनपुर। कृषि विभाग द्वारा सोमवार को कलेक्ट्रेट स्थित काशीराम सामुदायिक भवन सभागार में उत्तर प्रदेश मीलेट्स पुनरोद्धार योजना अन्तर्गत स्कूल कैरीकुलम के माध्यम से अध्यापकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें श्री अन्न के महत्व एवं उपयोगिता से अध्यापकों को प्रशिक्षित किया गया।
अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने अध्यापकों को सम्बोधित कमरते हुए कहा कि भारत सरकार की कोशिशों के बाद वर्ष 2023 को दुनिया भर में मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। सरल शब्दों में कहें तो गेहूं और चावल को छोड़कर ज्वार, बाजरा, मक्का, सावा, कोदो, रागी, जौ, जई आदि को मोटे अनाज में शुमार किया जाता है। गेहूं और चावल की तुलना में मोटे अनाजों की सतह तुलनात्मक रूप से खुरदरी होती है। आहार व पोषण विशेषज्ञ मोटे अनाजों की खूबियों से इतने प्रभावित हैं कि इन्हें सुपरफूड्स के रूप में मान्यता दे रहे, अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओ को मोटे अनाज की उपयोगिता से जागरूक करें ताकि उनके परिजन मोटे अनाज की खेती करें, श्री अन्न को एमडीएम में भी शामिल किया जाएगा, जिससे जनपद में मीलेट्स के उत्पादन को बल मिलेगा, मानव स्वास्थ्य बेहतर होगा तथा किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
उप कृषि निदेशक हिमांशु पांडेय ने कहा कि मोटे अनाजों की उपयोगिता को देखते हुए सरकार ने श्री अन्न योजना का नाम दिया है दूसरे अनाजों की तरह ही मोटे अनाज चीला, खीर, खिचड़ी, दलिया, कटलेट, सूप,उपमा, डोसा, इडली, बिस्कुट स्नेक्स, चिक्की आदि रूपो में खाया जा सकता है। बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. गोरखनाथ पटेल ने कहा कि श्री अन्न से बने खाद्यान्न एमडीएम में सम्मिलित किए जाने से बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के साथ मीलेट्स पुनरोद्धार को बढ़ावा मिलेगा।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा.आरके सिंह ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स  रिसर्च (आईआईएमआर) हैदराबाद के अनुसार मोटे अनाज सिलिएक डिजीज के इलाज में लाभप्रद है। इसका कारण है मोटे अनाज ग्लूटेन फ्री है। गेहूं में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है जिससे कुछ लोगों में सीलिएक रोग हो जाता है।
भूमि संरक्षण अधिकारी शशिकेश ने कहा कि विशेषज्ञ मोटे अनाज को मधुमेह और कैंसर रोकने वाले तत्वों से भरपूर मानते हैं, पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में होने के कारण मोटे अनाज को एनीमिया व कुपोषण की समस्या को दूर करने में सहायक माना जा रहा है।
डा.सुरेन्द्र प्रताप ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार मोटे अनाज वात एवं कफ दोष को संतुलित करने में सहायक है। मोटे अनाजों में फाइबर की प्रचुरता उन्हें मधुमेह और मोटापे से बचाती है मोटे अनाजों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है इसीलिए मधुमेह व हृदय रोगियो को  मोटे अनाज खाने की सलाह दी जाती है।
कृषि वैज्ञानिक डा. संदीप कुमार ने कहा कि नदियों के किनारे वाले गांव जो मोटे अनाज की खेती के लिए अनुकूल होती है, ऐसे गांव का चयन कर निदेशालय को भेजा गया है। कार्य योजना तैयार कर आगामी खरीफ मौसम से जनपद में मोटे अनाजों के बढ़ावा देने के लिए आच्छादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा आयोजित होने वाली गोष्ठियों में मोटे खाद्यान्न पैदा करने की तकनीकियो से किसानों को प्रशिक्षित एवं जागरूक किया जा रहा है।
संचालन करते हुए उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चंद्र यादव ने कहा कि मोटे अनाजों की खेती से किसान कम लागत व स्वच्छ पर्यावरण में बेहतर उत्पादन को लेकर कृषि का सतत विकास कर सकते है। इस अवसर पर उप जिला विद्यालय निरीक्षक रमेश यादव, जिला कृषि रक्षा अधिकारी विवेक कुमार, डा. लालबहादुर, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी डा. स्वाति पाहुजा, अमित कुमार, तथा 100 अध्यापक बेसिक शिक्षा एवं 100 अध्यापक माध्यमिक शिक्षा से मौजूद रहें।

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