आखिर मास्टर प्लान भवनो का नक्शा स्वीकृत करने से परहेज क्यों कर रहा है? जानें इसके पीछे का पूरा खेल



जौनपुर। जहां एक तरफ मास्टर प्लान कार्यालय की तरफ से शहर में बिना नक्शा पास कराए भवनों का निर्माण करने वालों के खिलाफ अभियान चलता है, वहीं दूसरी तरफ पिछले ढाई महीने में मात्र 20 से 30 नक्शे ही स्वीकृत होना विभाग पर सवाल भी खड़ा कर रहा है। जबकि ड्राफ्टमैनों के पास करीब 200-250 फाइलें लंबित है। इससे राजस्व का भारी नुकसान भी हो रहा है। नागरिकों को मास्टर प्लान व सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय का चक्कर काटना पड़ रहा है। अधिकारी इसके पीछे जांच के इंतजार का बहाना बता रहे है जिससे नक्शे कम पास हो रहे है।
शहरी क्षेत्र में करीब 50 हजार आवासीय व व्यावसायिक भवन हैं। 1976 में बने नगर में मास्टर प्लान बना तब से अब तक करीब 25 हजार नक्शे पास हुए। 16 अगस्त को विकास शुल्क जमा हुई फाइलों में महज 20 का ही नक्शा पास हुआ है। विशेष परिस्थितियों में मानक पूरा करने पर इक्का-दुक्का नक्शे ही पास हो रहे हैं। ड्राफ्टमैनों के 200-250 नक्शे होंगे, जिनकी फाइलों को नजरी नक्शा लगाने, फायर विभाग की एनओसी, दाखिल खारिज आदि के चक्कर में लौटा दिया जा रहा है। इससे लोग ड्राफ्टमैन से विवाद भी कर ले रहे हैं। ऐसे में लोगों के सपनों का घर नहीं बन पा रहा है। जबकि पूर्व में प्रतिमाह 100 से 150 नक्शे पास होते थे, उससे विनियमित क्षेत्र कार्यालय को विकास शुक्ल के रूप में प्रतिमाह करीब 40 लाख रुपये प्राप्त हुए।
सिटी मजिस्ट्रेट जल राजन चौधरी बताते है कि वर्तमान में जो भी नक्शे पास किए जा रहे हैं, उसमें यह देखा जा रहा है कि वह ग्रीनलैंड में मानक के विपरीत तो नहीं है। तहसील में भूमि का दाखिल-खारिज हैं कि नहीं। न्यायालय में विचाराधीन है या नहीं, भूमि का नामांतरण हुआ या नहीं, आवास के पास सड़क, मुकदमे तो नहीं है। इन सभी बातों की जानकारी होने के बाद ही जेई से टेक्निकल रिपोर्ट लगाने पर नक्शा पास कराते है। 

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