वाराणसी के एनसीआर में जौनपुर सहित इन छह जिलो को जोड़ने की बन रही योजना, नीति आयोग ने जानें क्या बनायी है योजना


पूर्वी भारत के गेटवे के रूप में विकसित हो रहे बनारस को मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में विकसित करने के लिए छह जिलों को जोड़कर समग्र प्लान बनाया जा रहा है। नीति आयोग ने वाराणसी के साथ गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, मिर्जापुर और भदोही को जोड़कर एनसीआर की तर्ज पर बृहद बनारस की परिकल्पना तैयार की है। इसमें वाराणसी को केंद्र बनाकर आसपास के जिलों में आवास, परिवहन, रोजगार के अवसर विकसित किए जाएंगे। शासन स्तर पर नीति आयोग के अधिकारियों के साथ मंथन के बाद अब अक्तूबर से इस योजना को धरातल पर उतारने का काम शुरू किया जाएगा।
महानगर का स्वरूप ले चुकी काशी में रोजगार की तेजी से बढ़ रही संभावनाओं और आबादी के दबाव को देखते हुए छह जिलों को जोड़कर बृहद बनारस की रूपरेखा बनाई जा रही है। नीति आयोग ने मुंबई, सूरत, विशाखापत्तनम के साथ ही काशी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चुना है।
नीति आयोग ने वाराणसी और मिर्जापुर मंडल के छह जिलों के बीच मजबूत कनेक्टिविटी के लिए मेट्रो परियोजना की योजना बनाई है। इसमें वाराणसी के बाहरी हिस्सों को कनेक्ट करते हुए जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर और भदोही के बीच मेट्रो सेवा की योजना है। इसके साथ ही इन जिलों को इंटर कनेक्ट करते हुए सिटी बसों का संचालन भी कराया जाएगा।
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रिंग रोड, प्रयागराज-वाराणसी हाईवे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे सहित अन्य सड़कों के किनारे औद्योगिक क्षेत्र के साथ ही आवासीय व व्यावसायिक विकास की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। इसके लिए शासन स्तर पर एक विशेष टीम भी गठित की गई है। संबंधित जिलों में विकास की संभावनाओं पर प्रस्ताव तैयार कराए जा रहे हैं। वाराणसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वृहद बनारस के जिलों में अलग-अलग सुविधाएं विकसित की जाएंगी। अगले पांच दशक की विकास संभावनाओं पर प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं।
एनसीआर की तर्ज पर बनारस के विकास को इस तरह गति दी जाएगी कि भविष्य में यहां आबादी बढ़ने पर आसपास के जिलों तक में आवासीय क्षेत्र विकसित किए जा सकें। दिल्ली की तर्ज पर रोजगार के लिए लोग वाराणसी आएंगे और शाम को लौट जाएंगे। इससे वाराणसी के साथ ही आसपास के जिलों में भी महानगर की सुविधाएं विकसित होंगी।
शासन स्तर पर नीति आयोग के अधिकारियों के साथ मंथन के बाद वाराणसी के मंडलायुक्त को इस परियोजना का नोडल बनाया गया है। वे सभी जिलों के जिलाधिकारियों व मंडलायुक्त से समन्वय कर उन जिलों के विकास संभावनाओं की रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसके साथ ही योजना विभाग के दो अधिकारियों की नियुक्ति वाराणसी में की गई है। नीति आयोग की पांच सदस्यीय टीम सितंबर के अंतिम सप्ताह से वाराणसी में डेरा डाल देगी।
वाराणसी की आबादी करीब 40 लाख है और रीजनल प्लान में जुड़ने वाले बाकी पांच जिलों की आबादी करीब 1.25 करोड़ है। ऐसे में बृहद बनारस की अनुमानित आबादी 1.75 करोड़ है। पिछले पांच वर्ष में वाराणसी की जनसंख्या तीन से पांच फीसदी की दर से बढ़ रही है। शासन स्तर से ही आने वाले पांच साल में वाराणसी की अर्थव्यवस्था को एक बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए पर्यटन, यातायात, बनारसी साड़ी, लकड़ी के उत्पाद, गुलाबी मीनाकारी सहित छह जिलों के अलग अगल उद्योगों को संगठित कर उन्हें विकसित करने की योजना है।

- जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही से बनारस के बीच तेज रफ्तार ट्रेनों का संचालन

- बृहद बनारस में हाईवे के किनारे नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना और बड़े उद्योगों को आमंत्रण

- हैंडीक्राफ्ट, जीआई उत्पादों सहित पूर्वांचल के उत्पादों के लिए ट्रेड सेंटर की स्थापना

- रोजगार के अवसर विकसित करने के लिए ऑटोमोबाइल सहित बड़े उद्योगों की स्थापना

- रेल लाइन के किनारों पर लाजिस्टिक पार्क की स्थापना और सुविधाएं विकसित करना

- छह जिलों के बीच सिटी बसों का संचालन, बनारस को केंद्र बनाकर रोजगार का सृजन
वाराणसी के मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने जारी बयान में कहा है कि नीति आयोग ने वाराणसी के समग्र विकास की योजना पर काम शुरू किया है। वाराणसी और मिर्जापुर मंडल के छह जिलों को जोड़कर एनसीआर की तर्ज पर वाराणसी को विकसित करने की योजना है। इसके लिए नीति आयोग और शासन की संयुक्त टीम का गठन हो गया है। अक्तूबर से नीति आयोग धरातल पर काम शुरू करेगा। 

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