बिजली उपभोक्ताओ के अच्छी खबर, उर्जा मंत्रालय का आदेश नहीं लगेगा स्मार्ट मीटर लगाने का कोई चार्ज


प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। उन पर स्मार्ट मीटर का खर्च देने का मंडरा रहा खतरा खत्म हो गया है। अब ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि विद्युत उपभोक्ताओं से किसी भी कीमत पर स्मार्ट मीटर का चार्ज नहीं लिया जाएगा। इसके एवज में ऊर्जा मंत्रालय विद्युत कंपनियों को 900 से 1350 रुपये तक अनुदान देगा।
प्रदेश में करीब 25 हजार करोड़ की लागत से तीन करोड़ स्मार्ट मीटर लगने हैं। इसे लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है। यहां अब तक 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। ऐसे में विद्युत वितरण निगम की ओर से हर साल टैरिफ प्लान में स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने का प्रस्ताव दिया जाता है, लेकिन चार साल से यह प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग खारिज करता रहा है। ऐसे में नियामक आयोग के फैसले के खिलाफ निगमों ने अपीलीय ट्रिब्यूनल में मुकदमा भी दाखिल कर रखा है। अब ऊर्जा मंत्रालय ने 16 सितंबर को सभी विद्युत नियामक आयोग को आदेश दिया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर आने वाला खर्च किसी भी रूप में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से नहीं लिया जाएगा। क्योंकि यह पूरी योजना आत्मनिर्भर योजना के अंतर्गत आती है, जिस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय 900 से 1350 रुपए प्रति मीटर अनुदान देगा।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि उत्तर प्रदेश में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं, उससे बिजली कंपनियों को 18 से 40 रुपया प्रति मीटर फायदा हो रहा है। ऊर्जा मंत्रालय ने राज्यों के नियामक आयोग के साथ ही पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकों को भी पत्र भेजा है। पत्र पहुंचने के बाद पावर कॉरपोरेशन ने प्रदेश के सभी विद्युत वितरण निगमों को आदेश देना शुरू कर दिया है। पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार का कहना है कि मंत्रालय का जो भी आदेश है, उसका पालन होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विद्युत वितरण निगमों की ओर से स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने का लगातार प्रयास किया जाता रहा है, लेकिन उपभोक्ता परिषद इसका विरोध करता रहा। परिषद की दलील पर नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष आरपी सिंह उपभोक्ताओं पर भार डालने पर सहमत नहीं हुए। यही वजह है कि चार साल से टैरिफ आदेश में मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर नहीं आया। अब ऊर्जा मंत्रालय ने पूरे मामले का पटाक्षेप कर दिया है।
विद्युत वितरण निगमों की ओर से प्रीपेड स्मार्ट मीटर की टेंडर प्रक्रिया लटकी हुई है। मूल्य की वजह से कई बार टेंडर प्रक्रिया निरस्त हो चुकी है। ऊर्जा मंत्रालय की ओर से इसकी कीमत करीब छह हजार रुपये प्रति मीटर तय किया है, जबकि पश्चिामंच में इसकी 8415 रुपये पर हो चुका है। इसी तरह उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड की ओर से लगाए गए पुरानी तकनीकी 2जी व 3जी के 50 लाख स्मार्ट मीटर को 4जी में बदलने का मामला भी लटका हुआ है।

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