जन प्रतिनिधियों की बाते अनसुनी करने की शिकायत पर शासन हुआ गम्भीर,मिल रहे है संकेत, हो सकती है कार्यवाई



प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री सहित 
शासन द्वारा तमाम निर्देशों के बावजूद मंडल और जिला स्तरीय अधिकारी मंत्रियों और विधायकों की फोन काल को गंभीरता से नहीं लेते हैं। जन प्रतिनिधियों के फोन करने पर अधिकारियों द्वारा उनके साथ समुचित सम्मान के साथ वार्ता नहीं की जाती है। मिस्ड काल होने पर अधिकारी पलट कर किसी विधायकों को फोन करना उचित नहीं समझ रहे है।
ऐसा करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध अब शासन स्तर से विभागीय कार्यवाही की तैयारी चल रही है। संसदीय कार्य विभाग की ओर से  सभी विभागों को इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि विधान सभा सदस्यों के प्रोटोकाल उल्लंघन संबंधी प्रकरणों पर सदन की संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठकों में विधायकों के प्रति जिला स्तरीय अधिकारियों के अनुचित व्यवहार पर विधान सभा अध्यक्ष सतीश महाना नाराजगी जता चुके हैं।
संसदीय कार्य विभाग से अपेक्षा की गई है कि सांसदों, विधायकों के प्रति शिष्टाचार/अनुमन्य प्रोटोकाल के अनुपालन के लिए पूर्व में जारी शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए। शासनादेश में विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने मंडल व जिला स्तरीय अधिकारियों को निर्देश दें कि वे अपने क्षेत्र के सांसदों-विधायकों के मोबाइल नंबर सेव करें और इसकी अनुपालन रिपोर्ट 15 दिवस में प्राप्त कर विभाग की संकलित सूचना संसदीय कार्य विभाग को एक माह में उपलब्ध कराएं।
अभी चन्द दिवस पूर्व की एक घटना जनपद जौनपुर की भी खासी चर्चा में आयी थी जिले के शीर्ष अधिकारी ने प्रदेश सरकार के एक मंत्री सहित जन प्रतिनिधियों की सिफारिश को ताक पर रखते हुए अपनी मनमानी कर दी थी। हलांकि अब जनपद जौनपुर के जन प्रतिनिधि खुद अपनी मर्यादा बचाये रखने के लिए ऐसे अधिकारी से दूरी बनाये हुए है।ऐसे अधिकारी को फोन आदि करने से परहेज कर रहे है। अब शासन इस मुद्दे को गम्भीरता से लेते हुए जन प्रतिनिधियों को उपेक्षित करने वाले अधिकारियों पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। यहां सबसे बड़ा सवाल है कि जन प्रतिनिधियों की उपेक्षा करके अधिकारी निष्कंटक रूप अपनी जेब भरने का काम कर रहा है।
विभागों के अधिकारियों को यह भी निर्देश देने के लिए कहा गया है कि सांसदों, विधायकों का फोन आने पर वह उनकी बातों को सम्मानपूर्वक सुनें और शालीनता से जवाब दें। यदि अधिकारी बैठक में होने के कारण या अन्य किसी वजह से फोन नहीं रिसीव कर पाते हैं तो वे सांसदों-विधायकों को मैसेज के जरिये शीघ्र काल बैक करने की सूचना देंगे। फोन पर प्रकरण की जानकारी होने पर उसे निस्तारित करते हुए सांसदों और विधायकों को इसकी जानकारी भी देंगे।

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