सुभासपा-एनडीए गठबंधन के बाद एक नया सवाल, विधायक अब्बास अंसारी को लेकर यूपी सरकार का रूख होगा क्या
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के एनडीए में शामिल होने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल पार्टी के विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को लेकर उठाया जा रहा है। सवाल यह है कि सुभासपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले वे विधायक भी एनडीए का नेतृत्व स्वीकार करेंगे, जिन्हें सपा का माना जा रहा है? खासकर माफिया मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी पर प्रदेश सरकार का क्या नजरिया होगा?
बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करके चुनाव लड़ने वाली सुभासपा के सिंबल पर सपा के तीन नेताओं को चुनाव लड़ाया गया था। इनमे जगदीश नारायण राय जफराबाद से, महदेवा से दूधराम और मऊ सदर से अब्बास अंसारी शामिल हैं।हलांकि ये तीनों विधायक अभी तक अपने वाहनों पर सपा का ही झंडा लगाते हैं। इसलिए इनको अभी भी सपा खेमे का ही माना जाता है।
ईडी ने नवंबर, 2022 को जब अब्बास को गिरफ्तार कर जेल भेजा था तो उस समय ओमप्रकाश राजभर ने भी कहा था कि 'अब्बास अंसारी हमारे नहीं सपा के हैं. मुझे खत्म करने के लिए सपा मुखिया ने चाल चली थी, सपा ने डमी प्रत्याशियों को टिकट दिलवा कर हमें खत्म करने का प्रयास किया था, सपा से समझौते में 12 सीटें दी गईं. उसी में अब्बास थे और सिंबल हमारा था। राजभर ने कहा था कि अब्बास सपा का झंडा लगाकर घूमते हैं ।'
अब बदले सियासी समीकरण में सबकी नजर अब्बास अंसारी के अगले कदम पर टिक गई है। हालांकि जेल में बंद होने के कारण अब्बास की तरफ से कोई प्रतिक्रिया तो सामने नहीं आई है। लेकिन सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर का कहना है कि तकनीकी तौर पर तो सभी छह विधायक सुभासपा के ही विधायक हैं, लेकिन किसको किसके साथ रहना है वह खुद तय करेंगे ।
चूंकि सरकार के माफिया विरोधी अभियान में अब्बास के पिता मुख्तार पर सरकार ने शिकंजा कस रखा है। अब्बास पर भी शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने, भड़काऊ भाषण देने, शस्त्र लाइसेंस पर प्रतिबंधित बोर के असलहे खरीदने और मनी लांड्रिंग एक्ट का मुकदमा दर्ज है और जांच चल रही है। ऐसे में भाजपा अब्बास को लेकर क्या रुख अपनाएगी, इस पर लोगों की नजर है।
राजनैतिक विश्लेषक मानते है कि अब्बास के अलावा पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी को लेकर भी पेंच फंसा है। पूर्व मंत्री का नाम बहुचर्चित आयुष दाखिला घोटाले में आ चुका है। वर्ष 2019 में भाजपा सरकार में मंत्री रहने के दौरान उन पर कॉलेज संचालकों से 1.25 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। धर्म सिंह सैनी पर लगे आरोप की जांच का हाईकोर्ट ने आदेश भी दिया था, हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी । इस वजह से भी सैनी को भाजपा में शामिल कराने को लेकर संशय बना हुआ है।
सुभासपा के सिंबल पर चुनाव लड़कर विधायक बने सपा नेता जगदीश नारायन राय और दूधराम का कहना है कि वे पूरी तरह से ओमप्रकाश राजभर के फैसले के साथ हैं। जगदीश नारायन राय ने कहा कि अगर उन्हें सरकार में शामिल होने के लिए कहा जाएगा तो जरूर शामिल होंगे। महादेवा सुरक्षित सीट से विधायक दूधराम ने कहा कि सपा- सुभासपा गठबंधन के तहत उन्हें सुभासपा के टिकट पर लड़ाया गया। अब ओम प्रकाश राजभर जहां जाएंगे, वहीं जाएंगे। ओमप्रकाश राजभर से मिलकर भविष्य की रणनीति तय करेंगे। जाफराबाद (जौनपुर) से विधायक जगदीश नारायन ने भी कहा कि वे पार्टी के फैसले के साथ रहेंगे। यहां बता दें कि हाल ही में एक सवाल के जवाब में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था कि जब भी चाहेंगे, राजभर की पार्टी के विधायक आधे रह जाएंगे।
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