ज्ञानवापी को लेकर जज का आया नया आदेश,चार अगस्त तक वैज्ञानिक से जांच कराके दाखिल करें रिपोर्ट


वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को राखी सिंह बनाम व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य के मुकदमे में बड़ा फैसला सुनाया है। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे (सील वजूखाने को छोड़कर) के संबंध में अदालत ने 11 बिंदु पर आधारित आदेश एएसआई के निदेशक को दिया है। इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एएसआई को सर्वे कर चार अगस्त तक अदालत को रिपोर्ट देनी है। प्रकरण में सुनवाई की अगली तिथि चार अगस्त नियत की गई है।
अदालत ने साफ कहा कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर विस्तृत वैज्ञानिक जांच करें और बताएं कि क्या मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर की संरचना के ऊपर किया गया है। एएसआई के निदेशक यह सुनिश्चित करेंगे कि विवादित भूमि पर खड़ी मौजूदा संरचना को कोई नुकसान न हो और वह जस की तस बरकरार रहे।
जिला जज की अदालत ने कहा कि एएसआई के निदेशक आराजी नंबर-9130 पर (सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सील वजूखाने को छोड़कर) वैज्ञानिक जांच / सर्वे / खुदाई कराएं। विस्तृत वैज्ञानिक जांच के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षण, उत्खनन, कार्बन डेटिंग पद्धति और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए।
ताकि, यह पता लगाया जा सके कि क्या मौजूदा संरचना का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है। एएसआई के निदेशक वादी, प्रतिवादी और उनके वकीलों से वैज्ञानिक जांच के संबंध में बात करें और फिर सर्वे करके रिपोर्ट चार अगस्त तक अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें। सर्वे की कार्रवाई की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी कराई जाए। मौजूदा निर्माण की प्रकृति, आयु का निर्धारण करने के लिए अन्य वैज्ञानिक तरीकों का संचालन करने का भी आदेश दिया।
हिंदू पक्ष और अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की दलीलें सुनने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि मेरे विचार में यदि एएसआई को संबंधित संपत्ति पर सर्वेक्षण, वैज्ञानिक जांच करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाएगा तो इससे मामले के उचित निपटारे में मदद मिलेगी। सच्चे तथ्य इस न्यायालय के सामने आएंगे। मेरा यह भी विचार है कि प्रतिवादी द्वारा दायर आपत्तियां निराधार और तथ्य विहीन हैं।
जिला जज ने कहा कि वादी के आवेदन में मांग की गई है कि वादपत्र में उल्लिखित तथ्यों को न्यायालय के समक्ष वैज्ञानिक तरीकों से साबित किया जाए। ताकि, एकत्रित सामग्री और तथ्यान्वेषी विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एएसआई देश का एक प्रमुख संस्थान है। यह निर्माण की उम्र और प्रकृति का पता लगाने के लिए जीपीआर सर्वेक्षण और अन्य वैज्ञानिक तरीकों का संचालन करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और उपकरणों से सुसज्जित है।

एएसआई को इन बिंदुओं पर करना होगा सर्वे

- मौजूदा इमारत की पश्चिमी दीवार की उम्र और प्रकृति की जांच

- तीन गुंबदों के ठीक नीचे जीपीआर तकनीक से सर्वे करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें।

- यदि आवश्यक हो तो इमारत की पश्चिमी दीवार के नीचे सर्वेक्षण करें और खोदाई करें।

- सभी तहखानों की जमीन के नीचे सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो खोदाई करें।

- इमारत में पाई जाने वाली सभी कलाकृतियों की एक सूची तैयार करें। उन कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का पता लगाएं।

- इमारत की आयु, निर्माण की प्रकृति का पता लगाने के साथ ही उसके स्तंभों की जानकारी दें।

- इमारत के विभिन्न हिस्सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की कलाकृतियों और अन्य वस्तुओं की जांच करें।

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