सपा छोड़ भाजपा में जाने वाले जौनपुर के तीनो पूर्व विधायक जानिए भाजपा के लिए कितने होगे फायदेमंद,ये है समीक्षको की राय

जौनपुर।  जनपद में सपा और बसपा के बैनर तले विधायक बनने वाली तीन पूर्व विधायक जिसमें जगदीश सोनकर, गुलाब चन्द सरोज और सुषमा पटेल का नाम शामिल है आज 24 जुलाई 23 को भाजपा के सदस्य बन गये है। इन तीनो को भाजपा में जाने को लेकर अटकले तो लम्बे समय से लगायी जा रही थी वह अब जा कर पूरी हो गयी है। इन सभी पूर्व विधायको को प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष एवं दोनो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने सदस्यता ग्रहण कराई है।
तीनो पूर्व विधायको को भाजपा में जाने के बाद अब जनपद के राजनैतिक समिक्षक इसके नफा नुकसान को लेकर चर्चा शुरू कर दिये है। सपा को कितना नुकसान आने वाले लोक सभा के चुनाव में होगा तो भाजपा को क्या लाभ मिलेगा।
यहां पर जगदीश सोनकर की चर्चा करें तो जगदीश सोनकर जौनपुर की शाहगंज और मछलीशहर विधान सभाओ से विधायक चुने गए और मंत्री तक बने। पहली बार सपा के टिकट पर शाहगंज से विधायक बने थे। शाहगंज के यादव और मुस्लिम मतदाता सपा के नाम पर मर मिटने की कसम लेते हुए इनको विधायक बना दिया जबकि इनके स्वजातीय मतदाता मूलत: भाजपा से नाता रखते है इसी तरह मछलीशहर से चुनाव लड़ते समय भी यहां के यादव और मुस्लिम मतदाता सपा के नाम वोट किये और कराये यहा से विधायक बनने के बाद मंत्री भी बन गये। अपने पूरे कार्यालय में श्री सोनकर का एक सूत्रीय कार्यक्रम रहा जमीन की खरीद फरोख्त प्लानिंग का कारोबार चलाना इसके अलांवा इनके द्वारा जनता के हितो और क्षेत्रीय विकास के लिए कोई काम खास नही किया था। विधायक निधि का भी उपयोग अपने खास के लिए करते रहे। इनके इस कृत्य से सपा के कार्यकर्ता जब नाराज हुए तो नेतृत्व ने इनकी जगह रागिनी सोनकर को मछलीशहर से चुनाव लड़ा दिया और इनको हाशिए पर रख दिया तभी से नाराज पूर्व विधायक सोनकर भाजपा की ओर रूख कर लिए थे आज इनका सपना साकार हो गया।सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि इनका मतदाताओ के बीच कितना असर होगा और भाजपा कितने फायदे में रहेगी। जनता की नाराजगी के चलते हाशिए पर जाने वाले पाला बदलकर कितने फायदे में रहेंगे यह तो भविष्य के गर्भ में है।
इसी तरह सुषमा पटेल की बात करें तो यह पहली बार बसपा के टिकट पर मुंगराबादशाहपुर विधान सभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में आयी और दलित मतदाताओ के साथ अपने समाज का वोट जोड़कर विधायक बन गयी। इसके बाद इन्होने बसपा को ठुकराते हुए सपा का दामन थाम लिया और मड़ियाहूं विधान सभा क्षेत्र से सपा की प्रत्याशी बनी इसी क्षेत्र में इनका आवास भी है और इनकी सास और ससुर भी मड़ियाहूं से विधायक रह चुके है। लेकिन बदली परिस्थिति में सुषमा पटेल चुनाव हार गई और एक साल बीतते बीतते सपा का भी दामन छोड़कर भाजपाई बन गयी है। हलांकि इनके समाज का बड़ा वोट बैंक है लेकिन वह अनुप्रिया पटेल के साथ अधिक है।राजनैतिक समीक्षक मानते है कि इनका वजूद बसपा से ही था जो अब अनुप्रिया के आगे न के बराबर रह गया है। भाजपा को 2024 के चुनाव में कितना लाभ होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन मड़ियाहूं विधान सभा का विगत दो चुनाव से अपना दल का ही कब्जा है। जो साफ करता है कि पटेल जाति पर अनुप्रिया पटेल का बड़ा असर है।
अब बात करते है पूर्व विधायक गुलाब चन्द सरोज की यह भी पहली बार केराकत विधान सभा से सपा के बैनर तले चुनाव लड़े और पार्टी के मूल मतदाताओ और खुद के व्यवहार के कारण विधायक बन गये। इसमें कोई शक नहीं कि गुलाब चन्द सरोज मिलनसार और विकासोन्मुखी व्यक्ति है। लेकिन इनके खिलाफ इन्ही के समाज के सपाई नेता तुफानी सरोज ने षड्यंत्र किया और टिकट काटवा दिया तथा खुद केराकत क्षेत्र से विधायक बन गये।राजनैतिक समीक्षक मानते है कि इनके भी क्षेत्र की जनता सपा के मूल मतदाता तुफानी के साथ गये तो पासवान समाज के लोग भी उन्ही के साथ हो लिए। अब सवाल इस बात का हो कि गुलाब चन्द सरोज मुखर विरोध करने की स्थित में नहीं रहते है हां इनकी सरलता और व्यवहार जन जन के लिए सर्वसुलभता इनकी ताकत है। इनका असर लोकसभा के चुनाव में जरूर देखने को मिल सकता है लेकिन सपा के मतदाता अब गुलाब से ऐसे दूर होगे जैसे सर से सींघ गायब होती है केराकत क्षेत्र में यादवो और क्षेत्रीयो का दबदबा है ऐसे में गुलाब चन्द सरोज भाजपा के लिए कितने कारगर साबित होगे राजनैतिक समीक्षक अब इस पर सवाल खड़ा करने लगे है।

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