जौनपुर अपर सिविल जज ने पुलिस के आपरेशन लंगड़ा पर उठाया सवाल, पुलिस के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं, एसपी से मांगी रिपोर्ट



जौनपुर। केराकत थाना क्षेत्र में रविवार की रात में हुई मुठभेड़ में तस्करों के पैर में गोली मारने के मामले को कोर्ट ने स्वत: संज्ञान ले लिया है। अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रथम विवेक विक्रम ने पुलिस अधीक्षक से आख्या मांगी है। ऐसे मामलों में हत्या के प्रयास की धारा में संबंधित पुलिस कर्मियों पर भी केस दर्ज होना चाहिए। आखिर पुलिस पर एफआईआर क्यों नहीं हुआ है।
न्यायालय ने कहा है कि यदि मुठभेड़ में पुलिस आरोपी के पैर में गोली मारी गई है तो पुलिस पार्टी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। इसकी विवेचना अन्य जांच एजेंसी से कराया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जिस हथियार से आरोपियों पर गोली चलाई गई, उस असलहे व खोखे को भी माल मुकदमाती के रूप में जमा कराएं। तीन मई को विवेचक थानाध्यक्ष कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर आख्या प्रस्तुत करें। आरोपियों को भी जिला कारागार से लाकर कोर्ट में पेश किया जाए। आदेश का पालन न होने की दशा में प्रकरण को उच्च न्यायालय इलाहाबाद भेजा जाएगा।
केराकत थाना क्षेत्र के मुफ्तीगंज पसेवां संपर्क मार्ग पर रविवार की रात पिकअप वाहन पर सवार गोवंश तस्करों व पुलिस की मुठभेड़ में दोनों तरफ से गोलियां चली थीं। आजमगढ़ का आरोपी समीउल्लाह व सरायख्वाजा के अरमान के पैर में गोली लगी। इसके अलावा फरहान व जीशान को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ। चारों आरोपियों को पुलिस ने मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट में पेश किया। 14 दिन के रिमांड की मांग भी की गई। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइंस का हवाला दिया, जिसमें एनकाउंटर के मामलों की निष्पक्ष जांच संबंधी 16 दिशा-निर्देश दिए गए हैं।

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