मामला खनन का है: जब 20 करोड़ रूपये प्रतिमाह मिल रहा हो तो साहब क्यों करेंगे कार्रवाई
बालू के अवैध खनन में कड़ी और बड़ी कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, इस सवाल का जवाब देने में अफसर कतराने लगे हैं मगर इस बाबत आमजन को सब कुछ पता है। इसलिए कार्रवाई नहीं हो पा रही है क्योंकि विभिन्न विभागों को हर माह मोटी रकम खनन माफिया द्वारा पहुंचाई जा रही है। मामला जनपद प्रयागराज का है हर माह जिले में बालू के अवैध खनन में लगभग 200 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इसमें से अवैध खनन के खेल में हर माह लगभग 20 करोड़ रुपये विभिन्न विभागों में जा रहे हैं। सबसे ज्यादा थाने व चौकी पुलिस तथा यातायात पुलिस के कार्यालय को जा रहा है। इसके अलावा आरटीओ कार्यालय, तहसील प्रशासन और खनन विभाग के कार्यालय को भी अवैध बालू खनन का पैसा जा रहा है।
पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारी सक्रिय हुए और खुद मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और आइजी चंद्रप्रकाश ने भारी फोर्स के साथ खनन घाटों पर छापा मारा था और तमाम तरह की गड़बड़ी पकड़ी थी। फतेहपुर के विभन्न विभागों के 15 अधिकारियों क खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति की गई थी। इसके बाद डीएम संजय कुमार खत्री ने भी घाटों पर छापेमारी कराकर जुर्माना आदि की कार्रवाई कराई थी।
खबर हैं कि खनन विभाग दिखाने के लिए आठ पट्टाधारकों पर 45 लाख रुपये का जुर्माना और मुकदमा दर्ज करा दिया मगर यह कार्रवाई छोटी ही मानी जा रही है। एनजीटी की ओर से यही जुर्माना लगता तो करोड़ों रुपये वसूले जाते, क्योंकि नदी की जलधारा में मशीनों से बालू का अवैध खनन कराने को एनजीटी बड़ा अपराध मानता है।
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