महिलाएं अपना कदम उठाती है तो परिवार, गांव और राष्ट्र का होता है विकास - वाणी रंजन अग्रवाल
जौनपुर। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण,नई दिल्ली एवं उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार एवं जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती वाणी रंजन अग्रवाल, के निर्देश पर 04 मार्च 2023 से 11 मार्च 2023 तक ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला सप्ताह’’ के अवसर पर महिलाओं को उनके अधिकारों एवं कानूनों की जानकारी प्रदान कराने हेतु अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/एफ.टी.सी./ सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशान्त कुमार के अध्यक्षता में 04 मार्च 2023 को दीवानी न्यायालय परिसर में विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।शिविर को सम्बोधित करते हुए न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण वाणी रंजन अग्रवाल द्वारा बताया गया कि पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा कहा गया मशहूर वाक्य ‘‘लोगों को जगाने के लिये’’ महिलाओं का जागृत होना जरूरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, परिवार आगे बढ़ता है, गॉंव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरूरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, भू्रण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृत्ति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय। लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता ळै। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे प्रभावशाली उपाय है इस तरह की बुराईयों को मिटाने के लिये।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/एफ.टी.सी./सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशांत कुमार, द्वारा महिला सशक्तीकरण के बारे में बताया कि महिला सशक्तीकरण में ये ताकत है कि वो समाज और देश में बहुत कुछ बदल सके। वो समाज में किसी समस्या को पुरूषों से बेहतर ढ़ंग से निपट सकती है वो देश और परिवार के लिये जनसंख्या के नुकसान को अच्छी तरह से समझ सकती है। अच्छे पारिवारिक योजना से वो देश और परिवार की आर्थिक स्थिति का प्रबंधन करने में पूरी तरह से सक्षम है। पुरूषों की अपेक्षा महिलाये किसी भी प्रभावकारी हिंसा को संभालने में सक्षम है चाहे वो पारिवारिक हो या सामाजिक।
बाल संरक्षण अधिकारी चन्दन राय द्वारा बताया कि महिला सशक्तीकरण को बेहद आसान शब्दों में परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाएॅं शक्तिशाली बनती है जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती है। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिये उन्हें सक्षम बनाना महिला सशक्तीकरण है।
रिसोर्स पर्सन श्रीमती रंजीता शर्मा एवं सविता सिंह यादव, द्वारा बताया गया कि महिला
सशक्तीकरण की जरूरत इसलिये पड़ी क्योकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरूषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। महिलाओं के लिये प्राचीन काल से समाज में चले आ रहे गलत और पुराने चलन को नये रिती-रिवाजों और परंपरा में ढ़ाल दिया गया था। भारतीय समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिये मॉं, बहन, पुत्री, पत्नी के रूप में महिला देवियो को पूजने की परंपरा है लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि केवल महिलाओं को पूजने भर से देश के विकास की जरूरत पूरी हो जायेगी। आज जरूरत है कि देश की आधा आबादी यानि महिलाओं का हर क्षेत्र में सशक्तीकरण किया जाए जो देश के विकास का आधार बनेंगी।इस अवसर पर पैनल अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार यादव, आंगनबाड़ी कार्यकत्रि, पी0एल0वी0 गण सुनील कुमार गौतम, करन चौधरी, रूपेश कुमार सेठ व अन्य उपस्थित रहे।
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