चर्चित उमेश पाल हत्याकांड:आखिर यूपी पुलिस की तेज तर्रार पुलिस अबतक क्यों नहीं खोज सकी असली शूटरो को
मृतक उमेश पाल
प्रदेश में हाल के सबसे सनसनीखेज हत्याकांड की गूंज विधानसभा में भी सुनाई दी थी। इसके बाद उमेश पाल और उनकी सुरक्षा में तैनात दो सिपाहियों की 24 फरवरी की शाम सरेआम हत्या के मामले में पुलिस को कातिल सीसीटीवी फुटेज में दिखे। पहचान हो गई लेकिन पुलिस की 20 टीमें एक सप्ताह बीतने के बाद भी किसी कातिल तक नहीं पहुंच पाई। हालांकि इस दौरान अरबाज को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। सदाकत को गोरखपुर से पकड़ा गया। लेकिन ये दोनों पर्दे के पीछे के खिलाड़ी थे। सीसीटीवी फुटेज में न तो अरबाज दिखा न ही सदाकत दिखा था।
विधान सभा के सदन में मुद्दा उठने के बाद
एसटीएफ ने अपनी सर्वश्रेष्ठ पुलिस वालों की दस टीमें बनाकर शूटरों की खोजबीन शुरू की थी। प्रयागराज यूनिट के अलावा लखनऊ, वाराणसी और गोरखपुर यूनिट के तेज तर्रार पुलिस कर्मियों को लगाया गया। इसके अलावा प्रयागराज में एसओजी और पुलिस वालों की दस अलग-अलग टीमें भी खोजबीन में लगी रहीं लेकिन शूटरों के मामले में पुलिस 24 फरवरी की शाम वाली जगह ही खड़ी है।
सीसीटीवी में दिखने वाला कोई भी शूटर आज तक हाथ नहीं आया है। पुलिस ने घटना वाली शाम ही यह पता लगा लिया था कि शूटर कौन हैं, उनके घर कहां, उनके मोबाइल और सोशल मीडिया एकाउंट तक पुलिस को पता चल गए थे लेकिन शातिर शूटरों को पकड़ा नहीं जा सका। पुलिस ने शूटरों के नजदीकी रिश्तेदारों को उठाकर दबाव बनाने की कोशिश की। अतीक के कुछ करीबियों के घर भी गिराए गए लेकिन शूटर हाथ नहीं आए।
इस बीच कई बातें पता चलीं जैसे घटना के बाद सारे शूटर क्रेटा कार से चकिया पहुंचे थे। यहां उन्होंने कार खड़ी की। असद समेत चार शूटर चकिया से तुरंत निकल गए। दो शूटरों ने चकिया में मुन्ना नाम के शख्स के घर में रात काटी। वे सुबह मुन्ना के चचेरे भाई की बाइक लेकर भागे। यानी घटना वाली रात पुलिस जब अतीक के घर तथा अन्य जगहों पर छापेमारी कर रही थी, उस समय दो शूटर वहीं मौजूद थे। फिलहाल प्रयागराज से लेकर नेपाल तक छापे मारे गए। एसटीएफ ने शूटरों को पकड़ने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा थी। लेकिन आज तक सीसीटीवी में दिखने वाले असद, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, अरमान और साबिर नहीं मिल पाए।
अब तक का घटनाक्रम
शुक्रवार 24 फरवरी : धूमनगंज में क्षेत्र में उमेश पाल और उनकी सुरक्षा में तैनात दो सिपाहियों संदीप और राघवेंद्र को गोली मारी गई। उमेश पाल और संदीप की मौत।
रात में ही पुलिस ने अतीक के दो बेटों को घर से उठाया। हिरासत में लिया।
शनिवार 25 फरवरी : अतीक, अशरफ, शाइस्ता, अतीक के बेटों, गुलाम, साबिर समेत अन्य सहयोगियों और नौ शूटरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त कार चकिया से बरामद की। शाइस्ता फरार हुईं।
रविवार 26 फरवरी : गोरखपुर से पकड़ा गया सदाकत खान। सदाकत खान के मुस्लिम बोर्डिंग हास्टल के कमरे में रचा गया था हत्याकांड का षड्यंत्र। सदाकत को 27 फरवरी को प्रयागराज पुलिस को सौंपा गया।
सोमवार 27 फरवरी : पुलिस ने शूटरों को क्रेटा गाड़ी से घटनास्थल तक पहुंचाने और हत्याकांड के बाद चकिया तक छोड़ने वाले कार चालक अरबाज को नेहरू पार्क के पास एनकाउंटर में मार गिराया। पुलिस अभिरक्षा से भागते हुए डिवाइडर से टकराकर घायल हुआ सदाकत खान।
मंगलवार 28 फरवरी : सिविल लाइंस के ईट आन रेस्टोरेंट के मालिक नफीस अहमद को पुलिस ने हिरासत में लिया। क्रेटा कार नफीस की निकली। हालांकि उसने अपनी एक रिश्तेदार को बेच दिया था। रात में अशरफ की पत्नी जैनब और उसकी बेटी को भी पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की।
बुधवार एक मार्च : अतीक की पत्नी शाइस्ता चकिया में जिस घर में रहती थीं, पुलिस ने उसे बुलडोजर से जमींदोज किया। जफर अहमद का था मकान। घर से जर्मन मेड एयर रायफल भी बरामद हुई।
बृहस्पतिवार दो मार्च : शूटरों की गोली से घायल दूसरे सिपाही राघवेंद्र सिंह की लखनऊ स्थित पीजीआई में मौत। 60 फिट रोड के रहने वाले सफदर के आलीशान मकान को बुलडोजर से ढहाया गया। सफदर अतीक का करीबी था। उसकी बंदूक की दुकान में अतीक के लाइसेंसी असलहे जमा थे। एसआरएन अस्पताल में भर्ती सदाकत खान को जेल भेजा गया।
शुक्रवार तीन मार्च : पुलिस ने धूमनगंज में असरौली प्रधान माशूक के नवनिर्मित घर को ढहाया। वहीं कौशाम्बी के सरायआकिल थाना क्षेत्र के भाखंदा गांव में अतीक के शूटर और 18 साल से फरार अब्दुल कवि के घर को भी ढहाया।
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