इंसानियत के लिए दर्स देने का काम करेगी हुसैन की कुर्बानी : मौलाना इमाम हैदर
जौनपुर। जमीने मुबारक कदम रसूल छोटी लाइन इमाम बारगाह भंडारी स्टेशन के समीप रविवार को हिंदू, मुस्लिम एकता के प्रतीक शिया पंजतनी कमेटी के तत्वावधान में 25वां ऑल इण्डिया मजलिसे अजा व जुलूस सम्पन्न हुआ। इस अजीमुश्शान मजलिस में कनाडा से आये मौलाना सैय्यद इमाम हैदर ने कहा कि ईमाम हुसैन अ.स. की कर्बला के मैदान में दी गयी कुर्बानी रहती दुनिया तक न सिर्फ याद की जाती रहेगी बल्कि इंसानियत के लिए दर्स देने का काम करती रहेगी। उन्होंने कहा कि दुनिया में कुर्बानिया तो बहुत दी गयी लेकिन ऐसी कुर्बानी किसी भी धर्म के इतिहास में नहीं मिलती।
मौलाना असद यावर मुज़फरपुर व मौलाना मोहम्मद बाक़र मेहंदी जलालपुर अम्बेडकरनगर ने कहा कि कर्बला के मैदान में बुजुर्ग से लेकर जवान और बच्चे तक के साथ इस हद तक बर्बता की गयी कि किसी भी सदी में जब यह दास्तां बयां की जायेगी तो जिस इंसान के सीने में दिल होगा उसकी आंखे जरुर छलक उठेंगी। मौलाना गुलाम अली खान हरिद्वार ने कहा कि इमाम हुसैन अ.स. के चाहने वालों को चाहिए कि उनके संदेश से ऐसी जागरुकता पैदा करें कि इंसान के दिलों की आंखे रोशन हो जाय। मजलिस का आगाज तिलावते कलाम-ए-पाक से मौलाना शेख हसन जाफर ने किया। सोजख्वानी सैय्यद गौहर अली ज़ैदी व हमनवां ने किया। डा.शोहरत जौनपुरी, हसन फतेहपुरी,मेहदी जैदी, रेयाज मोहसिन बड़ागांवी,शम्सी आज़ाद, खुमैनी आफाकी,वसीम,शादाब जौनपुरी नेअपने कलाम पेश कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। अलविदाई मजलिस मौलाना इमाम हैदर ने पढ़ते हुए बताया कि इतिहास गवाह है कि हजरत मोहम्मद साहब व उनके नवासों ने अपना लहू देना गवारा समझा और इसके लिए सर कटाने से भी पीछे नहीं हटें। मजलिस के बाद शबीहे ताबूत, अलम मुबारक व जुलजनाह निकाला गया। जिसमें अंजुमन शमशीरे हैदरी के शहजादे ने नौहाख्वानी व मातम करती रही, या हुसैन की सदा के साथ,जुलूस अपने कदीम रास्ते से होता हुआ इमामबारगाह कदम रसूल में जाकर खतम हुआ।
इस मौके पर दिनेश टंडन,सोमेश्वर केसरवानी,मौलाना मनाज़िर हसनैन, मोहम्मद हसन नसीम,डॉ क़मर अब्बास,,नेहाल हैदर, एजाज हुसैन, कैफी रिजवी, नियाज़ हसन,कायम हसन रिज़वी सहित हजारों की संख्या में मोमनीन मौजूद रहे। अंत में कमेटी की ओर से शाहिद मेहदी, सै.हसनैन कमर दीपू ने लोगों के प्रति आभार प्रगट किया। कार्यक्रम का संचालन मीसम रामपुरी व मौलाना शेख हसन जाफर ने किया।
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