पत्रकार पर हमले को लेकर मेडिकल और पूरक मेडिकल की रिपोर्ट ने एफआईआर की जानें कैसे तोड़ी कमर,जनता सच जानना चहती है

जौनपुर। जनपद में थाना लाइन बाजार क्षेत्र स्थित मिर्जापुर मार्ग पर चाँदपुर स्थित बालू मन्डी के पास पत्रकार पर विगत 26 फरवरी 23 को गोली बारी कर घायल करने की घटना बताते हुए थाना लाइन बाजार में मुअसं 104/23 धारा 307, 506, 120 बी भादवि के बाबत जिला अस्पताल में घायल पत्रकार की मेडिकल जांच में  परीक्षणो परान्त चिकित्सक द्वारा जारी मेडिकल रिपोर्ट फिर मेडिकल रिपोर्ट की पूरक मेडिकल रिपोर्ट में चिकित्सक की रिपोर्ट ने थाने में दर्ज मुकदमा उपरोक्त को सवालो के कटघरे में खड़ा कर दिया है। हलांकि मेडिकल रिपोर्ट और पूरक मेडिकल रिपोर्ट दोनो रिपोर्ट घटना केविवेचक के पास पहुंच चुकी है। अब सवाल खड़ा होता है कि पुलिस मेडिकल रिपोर्ट को अपने जांच से जोड़ते हुए मुकदमे की धाराओ में परिवर्तन करने से लेकर मौके पर मिले 12 बोर कारतूस के खोखे का सच कब तक खोजेगी।
यहां बता दे कि घटना के दिन 26 फरवरी 23 की पुलिस ने घटना पत्रकार से जुड़ा होने के कारण आनन फानन में मिली तहरीर के आधार पर एक नामजद रितुराज सिंह उर्फ छोटू सिंह सहित दो अज्ञात को आरोपी बनाते हुए मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया। घटना के दूसरे ही दिन इस घटना के बाबत घायल पत्रकार की मेडिकल रिपोर्ट वायरल हो गयी मेडिकल रिपोर्ट में चिकित्सक ने स्पष्ट रूप से लिखा था कि चोट किसी ठोस हथियार से लगी है मेडिकल में कहीं भी गनशाट का जिक्र तक नहीं किया गया है।इसके साथ ही कुछ चोटो के एक्सरे भी एडवाइज था। चिकित्सक की राय पर मेडिकल की पूरक रिपोर्ट भी जारी हुई और वह भी वायरल हो गयी। पूरक रिपोर्ट में चिकित्सक ने दो चोटो के बाबत एन ए डी  लिखा है इसका मतलब चिकित्सको ने बताया कि कोई चोट नहीं एक चोट पर फैक्चर बताया है।
अब यहां पर मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार लाठी डन्डे से घटना कारित हुई है फैक्चर तो लाठी अथवा राड की मार से आयेगी। फिर गोलीकांड एफआईआर में क्यों बताया गया इसके पीछे मुकदमा वादी की मंशा क्या थी यह जांच का बिषय है। जब चोट बता रही है कि गोली से नहीं लगी है तो घटना स्थल पर 12 बोर के कारतूस का खोखा किसने लाया यह भी तो गम्भीर रूप से जांच का बिषय है। मिली खबर के अनुसार मेडिकल रिपोर्ट और पूरक मेडिकल रिपोर्ट दोंनो अब पुलिस के पास पहुंच गयी है।पुलिस अगर मेडिकल रिपोर्ट को जांच का अंश बनायेगी तो निश्चित रूप घटना का सच सामने आयेगा। मुकदमा पर सवाल जरूर उठेगा कि जब चोट ठोस लाठी या राड की है तो गोली चलना क्यों दिखाया गया है।इसका एक और भी मतलब का संकेत मिल रहा है कि नामजद अभियुक्त सहित कुछ लोंगो को फंसाने का षड्यंत्र इस कथित गोलीकांड की कहांनी के जरिए किये जाने का कुत्सित प्रयास हो सकता है। पुलिस को घटना के सच का खुलासा करना चाहिए। क्योंकि जनपद की आवाम अब इस घटना का सच जानना चाहती है। हलांकि कानून का मत है और जनमत भी है कि जांच में मेडिकल रिपोर्ट को शामिल किया जाना चाहिए। अब एक बड़ा सवाल की पुलिस सच कब तक सामने लायेगी?

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