जौनपुर सहित यूपी के इन जिलो में अधिक है डेंगू का कहर,स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थायें नाकाफी


कोरोना वायरस की तरह इस बार डेंगू का बदला हुआ रूप मरीजों के लिए खतरा बनता जा रहा है। कानपुर, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, लखनऊ, फतेहपुर, कन्‍नौज, उन्‍नाव, बाराबंकी, गोरखपुर जौनपुर आद‍ि ज‍िलों में रोज डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। डेंगू का ये नया वेरिएंट मरीज पर धोखे से हमला कर रहा है। ठीक होने के बाद अचानक मरीज के प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि ऐसे लक्षण कई मरीजों में देखे गए हैं। रोगी को पहले दो दिनों तक बुखार रहता है। तीसरे दिन बुखार उतर जाता है। रोगी स्वयं को स्वस्थ समझता है। इसके बाद अचानक मरीज के प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं।
मरीज के क‍िडनी ल‍िवर को भी डेंगू डेमेज कर रहा है। डेंगू के मामलों में प्लेटलेट्स की कमी के साथ-साथ बढ़ते सामान्य बुखार को देखते हुए ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की मांग इन दिनों तेजी से बढ़ रही है। नए संस्करण को लेकर लोगों में कुछ भ्रांतियां भी हैं, लेकिन चिकित्सकों का सुझाव है कि केवल डॉक्टर ही प्लेटलेट्स की आवश्यकता और किस स्तर की पहचान कर सकते हैं।
यूपी में जनवरी 2022 से लेकर अभी तक डेंगू के कुल साढ़े नौ हजार रोगी मिल चुके हैं। मरीजों की मदद के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम तैयार कर लिया गया है। कंट्रोल रूम के दो हेल्पलाइन नंबर 18001805145 और 104 के माध्यम से मरीजों की मदद की जा रही है। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की ओर से अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि कंट्रोल रूम चौबीस घंटे चालू रहे और मरीजों की समस्या का समाधान किया जाए। प्रदेश भर के सभी मेडिकल कालेजों व अस्पतालों में डेंगू मरीजों के लिए अलग वार्ड बनाया गया है।
सभी जिलों के मुख्य चिकित्साधिकारियों (सीएमओ) और अस्पतालों के मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों (सीएमएस) को निर्देश दिए गए हैं कि दवा, बेड और डेंगू की जांच की पुख्ता व्यवस्था की जाए। अगर मरीजों की कंट्रोल रूम के माध्यम से शिकायत मिली तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अस्पतालों में डाक्टर व कर्मियों की टीमें गठित कर उपचार किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। किसी भी क्षेत्र में डेंगू का एक मरीज मिलने पर आसपास के क्षेत्र के 60 घरों की स्क्रीनिंग करने के निर्देश पहले दिए गए थे और इसे और बढ़ाने को कहा गया है। विभिन्न क्षेत्रों में टीमें भेजकर घर-घर स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। हलांकि स्वास्थ्य विभाग इन निर्देशो को अनुपालन पूरी इमानदारी से नहीं कर रहा है जिसका खामियाजा पीड़ित मरीजो को भुगतना पड़ रहा है और मरीज असमय ही काल के शिकार हो रहे है।

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