डिप्टी सीएम के आदेश बेअसर, भटकने और शोषित होने के लिए मजबूर है डेंगू के मरीज


डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने स्वास्थ्य विभाग की भले ही क्लास ली लेकिन उसका स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर कोई असर नहीं। आखिर डेंगू को लेकर सरकारी व्यवस्थाएं दुरुस्त क्यों नहीं हो पा रही हैं यह एक गम्भीर और बड़ा सवाल है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बेली अस्पताल में चार सेपरेटर मशीन लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अस्पताल को अभी तक मशीनें नहीं मिल सकी हैं। डेंगू के मरीजों के तीमारदारों को प्लेटलेट्स के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। ऐसा तब है जब प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम खुद मानीटरिंग कर रहे है। 
खबर है कि जनपद में एलाइजा जांच के आधार पर डेंगू के कुल मरीजों की संख्या 429 है। लेकिन इस बार डेंगू के संदिग्ध मामलों की बाढ़ सी आ गई है। जिले में सात ब्लड बैंक हैं, जिसमें प्रतिदिन लगभग 700 यूनिट तक प्लेटलेट्स उपलब्ध रहती है। वहीं लगातार मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण करीब 1200 यूनिट से अधिक प्लेटलेट्स की मांग हो रही है।
इसके अलावा सभी सरकारी अस्पतालों में बेड फुल हो चुके हैं। बेली, कॉल्विन व एसआरएन में मरीजों को लौटाया जा रहा है। जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, उनका कहना है कि डॉक्टर अभी भी दवाइयां बाहर से लिख रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में उपचार न मिल पाने के कारण लोग मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का सहारा ले रहे हैं।   सीएमएस का दावा है कि अस्पताल के लिए सेपरेटर मशीन अभी उपलब्ध नहीं हो पाई है। मरीजों से बेड फुल हो गए हैं। रही मरीजों की बात तो उनका बेहतर तरीके से इलाज किया जा रहा है। साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जो भी हो अधिकारी बेहतर उपचार का दावा कर रहे है और मरीज बिलबिला रहे है। डिप्टी सीएम शख्त आदेश जारी कर रहे है। सरकार के मंत्री के आदेश का असर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर नहीं नजर आ रहा है।

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