गैर कांग्रेसवाद को पहनाया अमली जामा, जिद्दी और गरीबों के लिए प्रतिबद्ध नेताजी - शैलेंद्र यादव ललई
भारतीय राजनीति के नेता ही नहीं, एक इमोशन थे मुलायम सिंह यादव: अजय यादव
जौनपुर। महाराष्ट्र सपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अजय यादव ने कहा नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव की नजरों में समाजवाद सिर्फ विचार या सिद्धांत नहीं था। बल्कि एक आचरण था। उनका मानना था कि उसे जीवन में उतारकर ही समाज, देश, आदमी एवं उसकी समास्याओं को देखा जा सकता है। धरती से जुड़े इस नेता के न रहने से गांव, गरीब, किसान की राजनीति में एक जबर्दस्त खालीपन होगा।
शुक्रवार को रमदेइया गांव में आयोजित श्रद्धेय नेताजी मुलायम सिंह यादव की श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि नेताजी
वह अंतिम समाजवादी थे। उनके बाद सिर्फ नाम की समाजवादी पार्टियां तो रहेंगी, पर लोहिया का गढ़ा कोई समाजवादी नहीं होगा। डॉ. लोहिया ने उन्हें अपने हाथों से गढ़ा था। यानी समाजवादी राजनीति के उत्तर लोहिया युग का अंत हुआ है। मुलायम सिंह ने समाजवाद को अपने जीवन में उतारा था। गांव और खेत की मेड़ से उठे इस धरती पुत्र ने सही मायनों में लोहिया के गैर कांग्रेसवाद को अमली जामा पहनाया।
सपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री शैलेंद्र यादव ललई ने कहा कि 1989 में मुलायम सिंह ने जिस कांग्रेस को उत्तर प्रदेश से उखाड़ा, वह आज तक देश में जड़ें न जमा सकी। उनसे सहमत और असहमत हुआ जा सकता था, पर भारतीय राजनीति के वह नेता नहीं, एक इमोशन थे। केवल संबंधों को निभाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगाने वाले इस पांच फुट के जिद्दी और गरीबों के लिए प्रतिबद्ध नेता ने अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं किया।
लोहिया की वैचारिक ट्रेनिंग, चौधरी चरण सिंह की सादगी और दृढ़ता, और जयप्रकाश नारायण की संघर्ष क्षमता से मिली थी।मुलायम सिंह पार्टी और समाज के लिए धुर विरोधियों को भी गले लगा लेते थे। उनके मन में गाली देने वालों के प्रति भी कभी कोई कटुता नहीं रही।
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति ने जिस-जिस मोड़ पर अपना रास्ता बदला, मुलायम सिंह यादव वहां खड़े नजर आते हैं।
मुलायम सिंह यादव राजनीति में आने से पहले अध्यापक और उससे पहले पहलवान थे। कुश्ती में चरखा दांव उनका प्रिय था। राजनीति में भी वह अपने दांव और बयानों से विरोधी खेमे को हमेशा चौंकाते रहे।
नेता जी की नजरों में समाजवाद सिर्फ विचार या सिद्धांत नहीं था। बल्कि एक आचरण था। उनका मानना था कि उसे जीवन में उतारकर ही समाज, देश, आदमी एवं उसकी समास्याओं को देखा जा सकता है। धरती से जुड़े इस नेता के न रहने से गांव, गरीब, किसान की राजनीति में एक जबर्दस्त खालीपन होगा। डॉ. लोहिया और चौधरी चरण सिंह की विरासत का अंत हो गया।
सपा के पूर्व प्रदेश सचिव विवेक रंजन यादव ने कहा कि नेता जी की नजरों में समाजवाद सिर्फ विचार या सिद्धांत नहीं था। बल्कि एक आचरण था। उनका मानना था कि उसे जीवन में उतारकर ही समाज, देश, आदमी एवं उसकी समास्याओं को देखा जा सकता है। धरती से जुड़े इस नेता के न रहने से गांव, गरीब, किसान की राजनीति में एक जबर्दस्त खालीपन होगा। डॉ. लोहिया और चौधरी चरण सिंह की विरासत का अंत हो गया।
श्रद्धांजलि सभा को राजनाथ यादव ,रमापति यादव ,महेंद्र यादव,रमाशंकर यादव,दीनानाथ सिंह, राम जनक यादव,सालिकराम मास्टर ,राम अभिलाष पाल,लक्ष्मीकान्त यादव,राजेंद्र पटेल,
नन्हकू राम यादव,राघवेंद्र यादव, रामजनक यादव,अमित यादव ,जयनाथ यादव आदि लोंगो ने सम्बन्धित किया।
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