जानिए यूपी कैसे बनने जा रहा है स्वर्ण धातु का खजाना और कहां मिली स्वर्ण धातु की खदान
सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सोनांचल की खदानों से स्वर्ण धातु का खनन आरंभ हो जाएगा। इसके लिए यूपी सरकारी के खनिज विभाग ने कवायद तेज कर दी है। खनन कार्य के लिए ग्लोबल टेंडर कराया जा रहा है। देश-दुनिया की नामी कंपनियां इसमें हिस्सा लेंगी। स्वर्ण धातु के अलावा ग्लूकोनाइट और लौह अयस्क का भी खनन होना है। नए वर्ष से खनन कार्य शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले वर्ष भू-वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में पहाड़ियों के नीचे प्रचूर खनिज संपदा होने का तथ्य सामने आया था। इसके बाद से ही सरकार ने उनका चिह्नांकन कराते हुए वृहद सर्वे के निर्देश दिए थे। सर्वे के दौरान स्वर्ण धातु के तीन और लौह धातु के एक और ग्लूकोनाइट का एक ब्लाक चिह्नित किया गया था।
वन और राजस्व विभाग की ओर से खनन क्षेत्र का निर्धारण कर रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। इसके बाद से ही लोगों की निगाहें यहां होने वाले खनन कार्य पर टिकी थीं। सरकार की मंजूरी के बाद खनिज विभाग ने खनन कार्य के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी है। सोनभद्र जिले में में पांच ब्लाकों से खनन के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया है।
इसमें हरदी पूर्वी, सोना पहाड़ी और धुरवा-बियाडांड ब्लाक में स्वर्ण धातु, भरहरी ब्लॉक में लौह अयस्क और कुरछा ब्लॉक में ग्लूकोनाइट का खनन होना है। टेंडर की यह प्रक्रिया नवंबर तक पूरा किया जाना है। माना जा रहा है कि अन्य औपचारिकताओं के बाद नए वर्ष से खनन कार्य आरंभ होगा।
फिलहाल जिले में मुख्य रूप से गिट्टी, कोयला की खदानें हैं। इसके अलावा बालू का खनन होता है। समूचे पूर्वांचल में गिट्टी-बालू की आपूर्ति यहीं से होती है, जबकि यहां का कोयला मप्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब तक जाता है। अब लौह और स्वर्ण धातु के खनन के माध्यम से यहां खनन के नए क्षेत्र विकसित होंगे।
ग्लोबल टेंडर के चलते दुनिया की नामी कंपनियां इसमें शामिल होंगी। इससे जिले के विकास की नई संभावनाएं बनने की संभावना जताई जा रही है। नए खनन क्षेत्र के ही समीप म्योरपुर में एयरपोर्ट को विस्तारित करने की योजना भी इसी का हिस्सा मानी जा रही है।
आशीष कुमार, ज्येष्ठ खान अधिकारी आशीष कुमार का कहना है कि जिले के तीन ब्लॉकों में स्वर्ण धातु, एक ब्लॉक में लौह और एक ब्लॉक में ग्लूकोनाइट के खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सारी प्रक्रिया निदेशालय स्तर से संचालित है। वहां से मिले निर्देशों के अनुसार आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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