सीएम योगी ने राज्य मंत्रियों के साथ बैठक कर दिया यह निर्देश,पढ़ाया आपसी समन्वय का पाठ
कैबिनेट मंत्रियों के साथ नियमित अंतराल पर बैठकें होती रहती हैं, लेकिन अब अपनी कार्यशैली में भी 'नवाचार' करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्रियों के साथ भी अलग-अलग बैठकें कीं। सभी मंत्रियों से उनके विभाग में किए गए नवाचार की जानकारी लेने के साथ ही उन्होंने आपसी समन्वय का भी पाठ पढ़ाया। स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्रियों से कहा कि राज्य मंत्रियों को साथ लेकर चलें। किसी भी कार्यक्रम में मंच पर उन्हें भी पूरा सम्मान मिलना चाहिए।
अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्रमवार तरीके से अलग-अलग मंडलों के निरीक्षण की जिम्मेदारी मंत्री समूह को दे रहे हैं। कैबिनेट मंत्री के साथ राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्रियों को लगाया गया है। मुख्यमंत्री ने खुद 25 जिलों के निरीक्षण का दायित्व अपने पास रखा है तो समान रूप से दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को भी 25-25 जिले सौंपे हैं।
निरीक्षण की रिपोर्ट के संबंध में कैबिनेट मंत्रियों के साथ हुई पिछली बैठक में ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने कह दिया था कि अब वह राज्य मंत्रियों के साथ भी बैठेंगे। उनसे भी कामकाज का फीडबैक लेंगे। लिहाजा, बुधवार को सीएम योगी ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्वतंत्र प्रभार वाले सभी राज्य मंत्रियों से उनके विभाग में छह माह में हुए कामकाज की संक्षिप्त रिपोर्ट ली। खास जोर नवाचार पर था।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूछा कि आपने ऐसा क्या नया किया है, जिससे जनता को अधिक लाभ मिले। अच्छे कार्यों की सराहना के साथ योगी ने सुझाव भी दिए। कहा कि अगले छह माह में और बेहतर काम करें। क्षेत्र में भ्रमण कर जनता से जुड़ाव रखें। उनकी समस्याओं का समाधान कराएं। कहीं भी कोई कार्यक्रम हो, उसमें राज्य मंत्री को भी मंच पर उचित सम्मान मिलना चाहिए। उनका नाम भी लिया जाए।
राज्य मंत्रियों के साथ हुई बैठक में भी मुख्यमंत्री ने जनता के बीच सक्रिय रहने और समन्वय के साथ काम करने पर जोर दिया। सूत्रों ने बताया कि योगी ने राज्य मंत्रियों से यह भी पूछा कि कैबिनेट मंत्री और आपके बीच विभाग के काम का बंटवारा हो गया या नहीं? इस पर सभी राज्य मंत्रियों ने हां में जवाब दिया। दरअसल, पिछले दिनों जलशक्ति विभाग के राज्य मंत्री ने यह मुद्दा उठाते हुए त्याग-पत्र तक हाईकमान को भेज दिया था कि उनके पास कोई काम ही नहीं है।
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