प्रशासन से बड़ा सवालः आखिर मीठे जहर दोहरे से कब मुक्त होगा जौनपुर, पूंछती है जनता ?



जौनपुर। जनपद में विगत लगभग पांच दशक से चल रहा मीठे जहर का कारोबार आखिर कब पूरी तरह से बन्द हो सकेगा ताकि युवा पीढ़ी इसके सेवन से होने वाली भयंकर ला इलाज बीमारी कैंसर से मुक्त हो सके और अपने परिवार को संकट से मुक्त रख सके। दोहरे के कारोबारी भले ही माला माल हो रहे है लेकिन यह मीठा जहर युवा वर्ग को बड़ी तादाद में असमय काल के गाल में पहुंचाने का काम कर रहा है। जिले के हुक्मरान सरकारी कागजात में भले ही इस मीठे जहर को बन्द कराने के लिए कागजी बाजीगरी का खेल करते हो लेकिन वास्तविक धरातल पर जब से दोहरे का प्रचलन शुरू हुआ आज तक बन्द नहीं हो सका है। हां जिम्मेदार अधिकारियों की जेब इतना गरम हो गयी कि वो जन सामान्य से कोई सरोकार करने की जरूरत नहीं समझ सके है। 
यहां बता दें कि वसालत पुर स्टेट की रानी ने सुपारी से बनने वाले दोहरे को अपने लिए प्रचलन में लाया था उनकी नकल कर जनपद मुख्यालय पर बोतली पंडित नामक व्यापारी ने शहर में इसका कारोबार शुरू किया। इनको देख कर शंकर दोहरा के नाम से बड़े पैमाने पर यह कारोबार शुरू हुआ और देखते देखते कुटीर उद्योग का स्वरूप ले लिया और जनपद का युवा वर्ग इस नशे का इतना आदी बन गया कि कारोबारी दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगे और माला माल हो गये। इतना ही इसके सेवन से जिले में कैंसर मरीजो की संख्या बढ़ने लगी। देश में जहां भी कैंसर अस्पताल है वहां जौनपुर के दो चार मरीज जरूर नजर आये। इसके सेवन कर्ताओ की मौते होने लगी। हाहाकार मच गया। 
इसके बाद जनता के बीच से आवाज उठी तो प्रशासन भी जगा और सन् 2000 के दशक में नगर मजिस्ट्रेट ने एक आदेश कर दोहरे पर प्रतिबंध लगा दिया और सरकारी स्तर पर दविशें पड़ने लगी फिर दोहरे के कारोबारी एक जुट होकर न्याय पालिका को खरीदने की प्लान किया और सफल रहे एक जज ने लम्बा घूस लेकर नगर मजिस्ट्रेट के आदेश को स्थगित कर दिया। जिसका परिणाम हुआ कि तमाम प्रयासो के बाद भी आज तक यह कारोबार नहीं बन्द हो सका है। हां सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों के जेब का वजन जरूर बढ़ गया।
अभी एक बार फिर जनपद के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने 23 सितम्बर 22 को खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग की बैठक करते हुए शख्त आदेश दिया कि जनपद में किसी भी हालत में दोहरे की बिक्री को बन्द किया जाये यहां तक कारोबारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाये। जिलाधिकारी ने अधिकारियों की एक टीम बनाकर छापा मारी का निर्देश दिया जिसमें नगर मजिस्ट्रेट, ईओ नगर पालिका, जिला अभिहित अधिकारी एवं मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी को रखा गया।साथ ही सहायक आयुक्त (खाद्य) द्वितीय को भी छापा मारी के लिए लगाया गया।
जिलाधिकारी के आदेश के पालन में इस टीम के जिला अभिहित अधिकारी एवं खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने तीन दिन तक अभियान चलाने का एलान किया और तीन दिनों तक दोंनो उपरोक्त अधिकारी पान की दुकान पर दोहरा खोज रहे थे। कोई भी छापामारी वहां पर नहीं हुई जहां पर बड़े पैमाने पर प्रतिदिन कई कुन्तल दोहरा बनाये जाने की फैक्ट्री चल रही है। इतना ही नहीं बड़े कारोबारियों को जिला प्रशासन की मंशा से अवगत कराते हुए सचेत कर दिया कि वह कुछ समय तक कारोबार को ठप करदें एवज में कारोबारियों से मोटी कमाई कर लिये। इतना ही नहीं तीन दिन के अभियान में पान की एक दो दुकान से चार किग्रा दोहरा लेकर अभियान को पूरा करते हुए अखबार के जरिए सुर्खियां बटोरते हुए अभियान को बन्द भी कर दिये है। खबर तो यह भी है कि जिम्मेदार विभाग के अधिकारी दोहरे के बड़े कारोबारियों से माहवारी बांध कर अपनी जेब गरम कर रहे है।
अब यहां पर सवाल खड़ा होता है कि क्या इसी तरह से जिले के हुक्मरान मीठे जहर दोहरा को बन्द कराने का संकल्प ले रहे है अथवा सही मायने में जनपद के युवाओ के प्रति शुभ चिन्तक हो कर कारोबारियों की नकेल कसते हुए मुकदमें की जद में लेकर जेल की सीखचों में कैद कर मीठे जहर दोहरे से जनपद को मुक्त करा सकेगें ?

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